💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-4⃣7⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🎆 *ज़्यादा सोहबत नुकसानदेह* 🎆
*____________________________________*
*_मसअ्ला_* _बीवी से जिन्दगी मे एक मरतबा सोहबत करना कतअन वाज़िब है। और हुक्म यह है कि औरत से सोहबत कभी कभी करता रहे इसके लिए कोई हद नही है!मगर इतना तो हो कि औरत की नज़र औरों की तरफ़ न उठे , और इतना ज़्यादा भी जाइज़ नही कि औरत को नुक़्सान पहुँचे।_
📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 63,]_*
*____________________________________*
👉🏻 _हद से ज़्यादा मुबाशरत (सोहबत) करने से मर्द और औरत दोनो के लिए नुक़सान है! ज्यादा सोहबत से मर्द की सेहत पर ज्यादा असर पडता है! सेहत की कमजोरी फिर तरह-तरह की बिमारीयो की वजह बनती है! अक्सर शहवत परस्त औरतो के शौहर मुसस्सल मुबाशरत की वजह से अपनी सेहत खो बैठते है! और सेहत की कमजोरी की वजह से जब वह औरत की ख्वाहिश (पहले की तरह) पुरी नही कर पाते, और औरत को जब आदत के मुताबीक तसल्ली नही हो पाती है, तो वह फिर पडोस और बाहर वह चीज तलाश करने की कोशीश करती है! फिर एक नई बुराई का जन्म होता है! *इसलिये जरूरी है के कुदरत की इस अनमोल चिज (सेहत व कुव्वत) का इस्तेमाल बेदर्दी से न किया जाए!*।_
👉🏻 _*हकीमों ने लिखा है कि ज़्यादा से ज़्यादा हफ्ते में दो मरतबा सोहबत की जाए। *हकीम बुक़रात* जो एक बहुत बड़े हकीम थे और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से 450 साल पहले गुजरे है उनसे किसी ने पूछा..... *"सोहबत हफ़्ते में कितनी मरतबा करनी चाहिये"?* उन्होने जवाब दिया-... *"हफ़्ते में सिर्फ एक मरतबा"* पूछने वाले ने फिर पूछा... *"एक मरतबा ही क्यों ?"* बुक़रात ने झल्ला कर जवाब दिया *"तुम्हारी ज़िन्दगी है तुम जानो मुझसे क्या पूछते हो"* गोया यह इशारा था ज़्यादा सोहबत करोगे तो कमज़ोर होगे जाओंगे और जिन्दगी ख़तरे में पड़ सकती है! गालीबन हकीम राजी ने अपनी किताब मे लिखा है की..........._
💫💫 *_"ज्यादा सोहबत मोटो को दुबला, और दुबलो को मुर्दा, जवानो को बुढा और बुढो को मौत की तरफ ढकेल देती है!"_*
✍🏻 *_हजरत फक़ीह अबूल्लैस समरक़न्दी* [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है। कि *हज़रत मौला अ़ली* [कर्रमल्लाहु वज्हुल करीम] ने इरशाद फरमाया........_
💫 *_"जो शख़्स इस बात का ख़्वाहिश मन्द हो कि उसकी सेहत अच्छी हो और ज़्यादा दिन तक क़ायम रहे तो उसे चाहिए कि वह कम खाया करे और औरत से कम सोहबत किया करे"।_*
📕 *_[बुस्तान शरीफ,]_*
*_____________________________________*
👉🏻 _आज के इस फ़ैशन और नंगाई के दौर में ज़ज़्बात बहुत जल्द बे क़ाबू हो जाते है इसलिए ध्यान रखे कि बीवी की अगर ख़्वाहिश हो तो इंकार भी न करे वरना ज़ेहन भटकने का अंदेशा है!_
*_____________________________________*
💫 _इमाम मुहम्मद गजाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है........_
💫 *_"मर्द चार दिनो मे एक बार औरत से जिमा कर सकता है, और औरत की जरुरत पुरा करना और उसकी परहेजगारी के ऐतेबार से इस हदसे कमो बेश भी मुबाशरत कर सकता है, क्यो की औरत को पाक दामन रखना मर्द पर वाजीब है!_*
📕 *_[अहया-उल-उलुम जिल्द 2, सफा नं 95]_*
*_____________________________________*
👉🏻 _कुछ लोग शादी के बाद शुरू शुरू में औरत पर अपनी क़ुव्वत और मर्दानगी का रौब डालने के लिए दवाओं का या किसी स्प्रे या तेल वगै़रह का इस्तेमाल करते है, जिससे औरत और वह खुब लुत्फ अंदोज होते है! लेकिन बाद में इसका उल्टा असर होता है। मर्द और औरत उस चीज़ की आदी हो जाते है! फिर बाद में अगर मर्द वह दवा या स्प्रे इस्तेमाल न करे तो औरत को तसल्ली नही होती। और वह अपनी ख्वाहीश को पुरा करने के लिए मर्द को इसका इस्तेमाल करने पर मजबूर करती है। दवाओं के मुसलसल इस्तेमाल से मर्द की सेहत पर बुरा असर पडता है! और वह दवाओं का आदी हो कर जल्द ही तरह तरह की बीमारियों मे मुब्तीला हो जाता है! मर्द अगर यह दवाएँ इस्तेमाल न करे तो औरत को पहले की तरह इत्मीनान नही होता जिसकी वह आदी हो चुकी है, चुनांचेवऐसी हालत मे औरत के बदचलन होने का भी ख़तरा होता है या फिर वह दिमाग़ी मरीज़ होने का भी खतरा है!_
_लिहाजा क़ुव्वते मर्दाना को बढ़ाने के लिए और उसे बरकरार रखने के लिये मस्नुई दवाओं, स्प्रे, तेल वगै़रा के बजाए ताक़तवर ग़िज़ाओं का इस्तेमाल करे । ग़िज़ा के जरिए बढ़ाई हुई ताक़त ख़त्म नही होती और न ही इस से किसी तरह का नुक़सान होता है।_
*_____________________________________*
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-4⃣7⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🎆 *ज़्यादा सोहबत नुकसानदेह* 🎆
*____________________________________*
*_मसअ्ला_* _बीवी से जिन्दगी मे एक मरतबा सोहबत करना कतअन वाज़िब है। और हुक्म यह है कि औरत से सोहबत कभी कभी करता रहे इसके लिए कोई हद नही है!मगर इतना तो हो कि औरत की नज़र औरों की तरफ़ न उठे , और इतना ज़्यादा भी जाइज़ नही कि औरत को नुक़्सान पहुँचे।_
📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 2, सफा नं 63,]_*
*____________________________________*
👉🏻 _हद से ज़्यादा मुबाशरत (सोहबत) करने से मर्द और औरत दोनो के लिए नुक़सान है! ज्यादा सोहबत से मर्द की सेहत पर ज्यादा असर पडता है! सेहत की कमजोरी फिर तरह-तरह की बिमारीयो की वजह बनती है! अक्सर शहवत परस्त औरतो के शौहर मुसस्सल मुबाशरत की वजह से अपनी सेहत खो बैठते है! और सेहत की कमजोरी की वजह से जब वह औरत की ख्वाहिश (पहले की तरह) पुरी नही कर पाते, और औरत को जब आदत के मुताबीक तसल्ली नही हो पाती है, तो वह फिर पडोस और बाहर वह चीज तलाश करने की कोशीश करती है! फिर एक नई बुराई का जन्म होता है! *इसलिये जरूरी है के कुदरत की इस अनमोल चिज (सेहत व कुव्वत) का इस्तेमाल बेदर्दी से न किया जाए!*।_
👉🏻 _*हकीमों ने लिखा है कि ज़्यादा से ज़्यादा हफ्ते में दो मरतबा सोहबत की जाए। *हकीम बुक़रात* जो एक बहुत बड़े हकीम थे और हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम से 450 साल पहले गुजरे है उनसे किसी ने पूछा..... *"सोहबत हफ़्ते में कितनी मरतबा करनी चाहिये"?* उन्होने जवाब दिया-... *"हफ़्ते में सिर्फ एक मरतबा"* पूछने वाले ने फिर पूछा... *"एक मरतबा ही क्यों ?"* बुक़रात ने झल्ला कर जवाब दिया *"तुम्हारी ज़िन्दगी है तुम जानो मुझसे क्या पूछते हो"* गोया यह इशारा था ज़्यादा सोहबत करोगे तो कमज़ोर होगे जाओंगे और जिन्दगी ख़तरे में पड़ सकती है! गालीबन हकीम राजी ने अपनी किताब मे लिखा है की..........._
💫💫 *_"ज्यादा सोहबत मोटो को दुबला, और दुबलो को मुर्दा, जवानो को बुढा और बुढो को मौत की तरफ ढकेल देती है!"_*
✍🏻 *_हजरत फक़ीह अबूल्लैस समरक़न्दी* [रदिअल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है। कि *हज़रत मौला अ़ली* [कर्रमल्लाहु वज्हुल करीम] ने इरशाद फरमाया........_
💫 *_"जो शख़्स इस बात का ख़्वाहिश मन्द हो कि उसकी सेहत अच्छी हो और ज़्यादा दिन तक क़ायम रहे तो उसे चाहिए कि वह कम खाया करे और औरत से कम सोहबत किया करे"।_*
📕 *_[बुस्तान शरीफ,]_*
*_____________________________________*
👉🏻 _आज के इस फ़ैशन और नंगाई के दौर में ज़ज़्बात बहुत जल्द बे क़ाबू हो जाते है इसलिए ध्यान रखे कि बीवी की अगर ख़्वाहिश हो तो इंकार भी न करे वरना ज़ेहन भटकने का अंदेशा है!_
*_____________________________________*
💫 _इमाम मुहम्मद गजाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु फरमाते है........_
💫 *_"मर्द चार दिनो मे एक बार औरत से जिमा कर सकता है, और औरत की जरुरत पुरा करना और उसकी परहेजगारी के ऐतेबार से इस हदसे कमो बेश भी मुबाशरत कर सकता है, क्यो की औरत को पाक दामन रखना मर्द पर वाजीब है!_*
📕 *_[अहया-उल-उलुम जिल्द 2, सफा नं 95]_*
*_____________________________________*
👉🏻 _कुछ लोग शादी के बाद शुरू शुरू में औरत पर अपनी क़ुव्वत और मर्दानगी का रौब डालने के लिए दवाओं का या किसी स्प्रे या तेल वगै़रह का इस्तेमाल करते है, जिससे औरत और वह खुब लुत्फ अंदोज होते है! लेकिन बाद में इसका उल्टा असर होता है। मर्द और औरत उस चीज़ की आदी हो जाते है! फिर बाद में अगर मर्द वह दवा या स्प्रे इस्तेमाल न करे तो औरत को तसल्ली नही होती। और वह अपनी ख्वाहीश को पुरा करने के लिए मर्द को इसका इस्तेमाल करने पर मजबूर करती है। दवाओं के मुसलसल इस्तेमाल से मर्द की सेहत पर बुरा असर पडता है! और वह दवाओं का आदी हो कर जल्द ही तरह तरह की बीमारियों मे मुब्तीला हो जाता है! मर्द अगर यह दवाएँ इस्तेमाल न करे तो औरत को पहले की तरह इत्मीनान नही होता जिसकी वह आदी हो चुकी है, चुनांचेवऐसी हालत मे औरत के बदचलन होने का भी ख़तरा होता है या फिर वह दिमाग़ी मरीज़ होने का भी खतरा है!_
_लिहाजा क़ुव्वते मर्दाना को बढ़ाने के लिए और उसे बरकरार रखने के लिये मस्नुई दवाओं, स्प्रे, तेल वगै़रा के बजाए ताक़तवर ग़िज़ाओं का इस्तेमाल करे । ग़िज़ा के जरिए बढ़ाई हुई ताक़त ख़त्म नही होती और न ही इस से किसी तरह का नुक़सान होता है।_
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-4⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[मुबाशरत के औकात ]_* 🔵
*___________________________________*
👉🏻 _शरीयत ए इस्लामी मे सोहबत करने के लिए कोई ख़ास वक्त़ नही बताया गया है। शरीअ़त मे (अलावा नमाज के औकात) दिन और रात के हर हिस्से में सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन बुजुर्गों ने कुछ ऐसे अवक़ात (वक्त़) बताए है जिन में सोहबत करना सेहत के लिए फ़ायदेमन्द है।_
_हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु *"इहयाउल ऊलूम"* मे उम्मुल मोमीनीन हज़रत आएशा सिद्दीका [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] से रिवायत है के फरमाती है..._
💫 _*रसूले करीम ﷺ* रात के आख़िरी हिस्से में (तकरीबन रात 2 बजे से लेकर फ़ज्र की अ़जान से पहले) जब वित्र की नमाज़ पढ़ चुके होते तो अगर आप को अपनी किसी बीवी की हाज़त होती तो उनसे मुबाशरत फ़रमाते ।_
📕 *_[इहयाउल ऊलूम,]_*
*______________________________*
💫💫 *_हदीसों मे है कि हुजुर ﷺ_* _ईशा की नमाज़ पढ़ते और सिर्फ़ ईशा की वित्र नही पढ़ते फिर आप कुछ घंटे आराम फ़रमाते फिर उठते और *"तहज्जुद"* की नमाज़ पढ़ते और कुछ नफ़्ल नमाज़े अदा फरमाते और आखिर में ईशा की वित्र पढ़ते, उसके बाद अगर आप को अपनी किसी बीवी की हाज़त होती तो उनसे सोहबत फ़रमाते या अगर हाज़त न होती तो आप आराम फ़रमाते यहाँ तक कि *हज़रत बिलाल* [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] नमाज़े फ़ज्र के लिए अ़जान के वक्त़ आप को इत्तेला देते।_
✍🏻 _इस हदीस के तहत इमाम ग़ज़ाली रदी अल्लाहु तआला अन्हु फ़रमाते है....._
👉🏻 _रात के पहले हिस्से (तकरीबन 9 से 12 बजे के दरम्यान) मे सोहबत करना मक़रूह है कि सोहबत करने के बाद पूरी रात नापाक़ी की हालत मे सोना पड़ेगा।_
📕 *_[इहयाउल ऊलूम]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_हजरत इमाम फक़ीह अबूललैस_* _[रदि अल्लाहु तआला अन्हु] अपनी किताब *"बुस्तान शरीफ"* में नक़्ल फरमाते है कि........_
💫 *_सोहबत के लिए सबसे बेहतर वक्त़ रात का आख़िरी हिस्सा है (यानी तकरीबन 2 से बजे से 4 बजे के दर्मीयान) क्योंकि रात के पहले हिस्से में पेट ग़िज़ा (खाने) से भरा होता है और भरे पेट सोहबत करने से सेहत को नुक़सान है! जब के रात के आख़िरी हिस्से में सोहबत करने से फ़ायदे है! (जैसे आदमी दिन भर का थका हुआ होता है और रात के पहले और दूसरे हिस्से में उस की नींद पुरी हो जाती है! जिस की वजह से उस की दिनभर की थकावट दूर हो जाती है, इसके अलावा दूसरा एक यह भी फ़ायदा है कि रात के आख़िरी हिस्से तक खाना अच्छी तरह हज़्म हो जाता है।)_*
📕 *_[बुस्तान शरीफ]_*
💫💫 *_"हकीमो की तहकीक के मुताबीक पेट भरा होने की हालत मे मुबाशरत नही करना चाहीये की इससे औलाद कुंद जेहन पैदा होती है!"_*
*____________________________________*
✍🏻 _यह तमाम बातें हिक़्मत के मुताबिक़ है! शरीयत मे सोहबत के लिये कोई ख़ास वक्त़ मुतैय्यन नही की इसी वक्त पर सोहबत की जाए! शरीअ़त मे हर वक्त़ सोहबत की इज़ाज़त है। *हुजुर ﷺ* अज्वाजे मुतह्हरात (बिवीयों) से दिन और रात के दिगर वक्त़ो में सोहबत करना साब़ित है। हॉ कुछ दिनो की फजीलत अहादिस मे वारीद है, जैसा की हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली रजी अल्लाहु तआला अन्हु नक्ल फरमाते है.... "बाज उलमाओ ने शबे जुमा और दिन को मुबाशरत करना मुस्तहब कहा है!"_
📗 _*(इहया उल उलुम जिल्द 2 सफा नं 94)*_
*_(वल्लाहो तआला आ़लम)_*
*___________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-4⃣9⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵[इन रातों में सोहबत न करें]🔵_*
✍🏻 *_अमीरूल-मोमिनीन हज़रत अली_* और *_हज़रत अबू ह़ुरैरा_* और *_हज़रत अमीर मुआ़विया_* _[रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] से रिवायत किया है कि.........!_
💫 _"(हर महीने की) चाँद रात, और चाँद की पन्द्रहवी शब, और चाँद के महीने की आख़िरी शब, सोहबत करना मकरूह है, कि इन रातों मे जिमा के वक्त़ शैतान मौजूद होते है"_
📕 *_[कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 266]_*
✍🏻 _तहक़ीक़ यह है कि इन रातों में सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन एहतियात इसी मे है कि सोहबत करने से इन रातो मे परहेज करे।_ *_(वल्लाहु तआला आ़लम)_*
*_______________________________________*
*_🔵[रमज़ान-उल मुबारक मे मुबाशरत]🔵_*
*_______________________________________*
💎 *_आयत :_* _अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इर्शाद फरमाता है................_ *_तर्जुमा_* _रोज़ों की रातों में अपनी औरतों के पास जाना तुम्हारे लिए हलाल हुआ ।_
📕 *_[तर्जुमा कन्जुल इमान, सूर ए बखरा आयत नं 187,]_*
👉🏻 _रमज़ान के महीने मे रात को सोहबत कर सकते है नापाक़ी की हालत मे सेहरी किया तो जाइज़ है और रोज़ा भी हो जाता है। लेकिन नापाक रहना सख़्त गुनाह है।_
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _रोज़े की हालत मे मर्द औरत ने सोहबत की तो रोज़ा टूट गया मर्द ने औरत का बोसा लिया, गले लगाया और इन्ज़ाल हो गया तो रोज़ा टूट गया!औरत को कपडे के उपर से छुआ और कपडा इतना मोटा है की बदन की गर्मी महसुस नही होती तो रोजा न टुटा, अगरचे मर्द को इंजाल हो गया और अगर औरत ने मर्द को छुआ और मर्द को इंजाल हो गया तो रोजा न गया!_
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 59]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _किसी ने मर्द को या औरत को रोजे की हालत मे मजबुर किया की जिमा करे, नही तो कत्ल करने की उज्व काट डालने की या किसी और तरह की जानी नुक्सान पहु्ंचाने की धमकी दी, और रोजदार को यह यकीन है के अगर उसका कहेना न माना तो जो कहता है कर गुजरेंगा लिहाजा उसने जिमा किया तो रोजा टुट गया, लेकीन कफ्फारा लाजीम न हुआ, सिर्फ कजा रोजा रखना होंगा!_
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 61]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _औरत ने मर्द को जिमा करने पर मजबुर किया तो मर्द औरत का रोजा टुट गया, लेकीन औरत पर कफ्फारा वाजीब है मर्द पर नही बल्की वह सिर्फ कजा रोजा रखेंगा_
📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 62]_*
*_____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _जान बूझकर मर्द ने रोजे की हालत मे औरत से जिमा किया, इंजाल हो न हो (यानी मनी निकले या न निकले) तो रोज़ा टूट गया और कफ़्फ़ारा भी लाजीम हो गया।_
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5, सफा नं 61]_*
*_____________________________________*
💎💎 *_कफ़्फ़ारा: कफ़्फ़ारा यह है कि एक गुलाम आजाद करे! (मौजुदा दौर मे यह किसी भी मुल्क मे मुमकीन नही) दुसरी सुरत यह है के लगातार साठ (60) रोज़े रखे! अगर यह भी न हो सके तो फिर 60 मिस्कीनो (गरीब मोहताज़ों) को पेट भर कर दोनो वक्त़ो का खाना खिलाए। और अगर रोज़ा रखने की सूरत में अगर बीच में एक दिन का भी रोज़ा छूट गया तो अब फिर से साठ (60) रोज़े रखने होगें पहले रखे हुए रोज़ों को गिना नही जाएगा। मसलन (59) रख चुका था साठवॉं नही रख सका तो फिर से रोज़े रखे। पहले के उन्सठ (59) बेकार हो गए। लेकिन अगर औरत को रोज़े रखने के दौरान हैज़ (माहवारी) आ गई तो हालते हैज़ मे रोज़े रखना छोड़ दे फिर बाद में पाक़ होने के बाद बचे हुए रोज़े रखे यानी पहले के रोज़े और हैज़ के बाद वाले रोज़े पुरे कर ले! हैज से पहले और हैज के बाद के दोनों को मिला कर साठ (60) रोजे हो जाने से कफ़्फ़ारा अदा हो जाएेगा अगर कफ़्फ़ारा अदा न किया तो सख़्त गुनाहगार होगा और बरोज़े महशर सख़्त अज़ाब़ होंगा।_*
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 5 सफा नं 62]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣0⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[हैज़ (माहवारी) का बयान]_* 🔵
*____________________________________*
👉🏻 _बालेग़ा औरत के आगे के मक़ाम (शर्मगाह) से जो खून आदत के मुताबिक़ निकलता है उसे हैज़ (माहवारी MC Period) कहते है। लड़की को जिस उम्र से यह खून आना शुरू हो जाएे तो शरई रू से वह उस वक्त़ से बालिग़ समझी जाएंगी।_
✍🏻 *_मसअ़ला_* _हैज़ (माहवारी) की मुद्दत कम से कम तीन दिन और तीन रातें है यानी पूरे बहत्तर (72) घंटे, एक मिनट भी अगर कम है तो हैज़ नही। और ज़्यादा से ज़्यादा दस (10) दिन और दस रातें है।_
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 51]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हैज़ में जो खून आता है उस के छह (6) रंग है, काला, लाल, हरा, पीला, गदला, (कीचड़ के रंग जैसा) और मटीला (मिट्टी के रंग जैसा) उन रंगों मे से किसी भी रंग का खून आए तो हैज़ है ! सफ़ेद रंग की रूतूबत (गीलापन) हैज़ नही।_
📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 43, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1 सफा नं 52]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हैज़ और निफ़ास (निफ़ास का बयान आगे तफ्सील मे आएगा) की हालत में क़ुरआने करीम को छूना, देख कर या ज़बानी पढ़ना, नमाज पढना, दीनी किताबों को छूना, यह सब हराम है! लेकिन दुरूद शरीफ, कलीमा शरीफ, वगै़रह पढ़ने मे कोई हर्ज नही ।_
📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 46,]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हालते हैज़ मे औरत को नमाज़ मुआ़फ है! और उसकी कज़ा भी नही यानी पाक होने के बाद छूटी हुयी नमाज़ पढ़ना भी नही है। इसी तरह रमज़ान शरीफ के रोज़े हालते हैज़ मे न रखे लेकिन बाद में पाक होने के बाद जितने रोज़े छूटे थे वोह सब क़ज़ा रखने होंगे।_
📕 *_[फ़तावा-ए-मुस्तफ़विया, जिल्द नं 3, सफा नं 13, कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 46,]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _यह जरूरी नही के मुद्दत मे हर वक्त खुन जारी रहे, बल्की अगर कुछ-कुछ वक्त आए जब भी हैज है!_
📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42,]_*
*_______________________________________*
*_[हालत ए हैज़ मे मुबाशरत (सोहबत) हराम है!]_*
*_______________________________________*
💎 *_आयत:_* _अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है..._
*_وَ یَسۡئَلُوۡنَکَ عَنِ الۡمَحِیۡضِ ؕ قُلۡ ہُوَ اَذًی ۙ فَاعۡتَزِلُوا النِّسَآءَ فِی الۡمَحِیۡضِ ۙ وَ لَا تَقۡرَبُوۡہُنَّ حَتّٰی یَطۡہُرۡنَ ۚ فَاِذَا تَطَہَّرۡنَ فَاۡتُوۡہُنَّ مِنۡ حَیۡثُ اَمَرَکُمُ اللّٰہُ ؕ اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیۡنَ وَ یُحِبُّ الۡمُتَطَہِّرِیۡنَ_*
*_💎तर्जुमा : (ए महेबुब!) और तुम से पुछते है हैज का हुक्म! तुम फरमाओ के वह नापाकी है! तो औरतों से अलग रहो हैज़ के दिनों, और इनसे नज़दीकी न करो, जब तक पाक न हो लें, फिर जब पाक हो जाए तो इनके पास जाओ जहाँ से तुम्हे अल्लाह ने हुक़्म दिया। बेशक अल्लाह पसंद करता है बहुत तौबा करने वालो को, और पसंद रखता है सुथरो (पाक रहने वालो) को!_*
📕 *_[तर्जुमा :- कन्जुल इमान सूर ए बखरा, आयत नं 222]_*
*____________________________________*
👉 *_जब औरत हाइजा (हैज की हालत मे हो तो उससे जिमा करना सख्त गुनाहे कबीरा, नाजाइज व सख्त हराम है! इस बात का खयाल हमेशा रखे की जब कभी सोहबत का इरादा हो तो पहले औरत से दर्याफ्त कर ले, और औरत पर लाजीम है की अगर वह हाइजा है, तो मर्द को इस बात से आगाह कर दे! और मुबाशरत से बाज रखे! "और औरत पर वाजीब है के अगर वह हाइजा हो तो अपनी हालत से शौहर को वाकीफ कर दे ताकी शौहर मुबाशरत न करे वर्ना औरत सख्त गुनाहगार होंगी!_*
*____________________________________*
✍🏻 *_अक्सर मर्द शादी की पहली रात बेसब्री का मुजाहरा करते है, और बावजुद इसके के औरत हाइजा होती है जिमा कर बैठते! अगर औरत हाइजा हो तो उससे मुबाशरत करना जाइज नही, चाहे शादी की पहली ही रात क्यो न हो! इसलिये मर्द की जिम्मेदारी है के वह शादी की पहली रात से ही अपनी बिवी को इन मसाईल से आगाह कर दे!_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣1⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[हालत ए हैज़ मे मुबाशरत (सोहबत) हराम है!]_* 🔵
*_____________________________________*
✍🏻 _हजरत इमाम मुहम्मद गजाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु इर्शाद फरमाते है......._
💫 _"इल्मे दीन जो नमाज रोजा, तहारत वगैरह मे काम आता है, औरत को सिखाए! अगर न सिखाएंगा तो औरत को बाहर जाकर आलीम ए दीन से पुछना वाजीब और फर्ज है! अगर शौहर ने सिखा दिया है तो उसकी इजाजत के बगैर बाहर जाना और किसी से पुछना औरत को दुरूस्त नही, अगर दीन सिखाने मे कसुर करेंगा तो खुद गुनाहगार होंगा की हक तआला ने इर्शाद फरमाया.. ए इमान वालो! अपनी जानो और अपने घर वालो को जहन्नम की आग से बचाओ!_
📕 *_[किमीया ए सादात, सफा नं 265]_*
👉 *_हालते हैज मे औरत से सोहबत करना सख्त हराम है! जो की कुरआन से साबीत है! अल्लाह अज्जा व जल्ला और उसके रसुल ﷺ ने ऐसे शख्स से बेजारी का इजहार फरमाया है, जो हाइजा औरत से हम बिस्तरी करता है!_*
*______________________________________*
*_🔵[हैज़ में मुबाशरत से नुकसान]🔵_* *______________________________________*
👉🏻 _हकीमों ने लिखा है कि औरत से हैज़ की हालत में सोहबत करने से मर्द और औरत को जुज़ाम (कोढ) की बीमारी हो जाती है। और कुछ हकीमों का कहेना है, कि हैज़ की हालत में सोहबत किया और अगर हमल ठहर गया तो औलाद नाकिस (अधूरी) या फिर जुजामी पैदा होगी।_
📕 *_[इहया उल उलुम, जिल्द नं 2, सफा नं 95]_*
👉🏻 _हालते हैज़ मे सोहबत करने से औरत को सख्त नुक्सान है, क्योंकि औरत की फरज से लगातार गंदा खून खारीज होता रहता है, जिस की वजह से वह मकाम नर्म और नाजुक़ हो जाता है! अब अगर ऐसी हालत मे जिमा किया गया तो इस मकाम मे रगड की वजह से वहां ज़ख़्म बन जाता है! फिर मजीद यह की जख्म मे गर्मी की वजह से पीप भर जाता है! बाद मे मुख्तलीफ बिमारीयॉ पैदा होने लगती है!_
👉🏻 _हकीमो के मुताबीक हैज मे मुबाशरत करने से *सोजीशे रहम, सुजाक व आतिश्क* जैसे मर्ज लाहिक हो जाते है! इसलिये हालते हैज मे जिन्सी इख्तिलात सेहत के लिये नुक्सानदेह है!_
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _औरत हैज़ की हालत मे है और मर्द को शहवत (Sex) का ज़ोर है, और डर यह है कि कही जिना मे न फंस जाऊ, तो ऐसी हालत मे औरत के पेट पर अपने आले (शर्मगाह) को मस कर के इंजाल कर सकता है, जो जाइज़ है लेकिन रान पर नाजाइज़ है कि हालते हैज़ मे नाफ़ के नीचे से घुटने तक अपनी औरत के बदन से फाइदा हासील नही कर सकता।_
📕 *_[इहया उल उलुम, जिल्द नं 2, सफा नं 95, फ़तावा-ए-अफ़्रीक़ा, सफा नं 171]_*
👉🏻 *_याद रहे यह मसअ़ला ऐसे शख़्स के लिए है जिसे ज़िना हो जाने का गालीब गुमान हो तो वह इस तरह से फरागत हासिल कर सकता है। लेकिन सब्र करना और उन दिनों (हैज) मे सोहबत से परहेज करना ही अफ़जल है।_*
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1 सफा नं 42]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣2⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵हैज़ में औरत अछूत क्यों ⁉🔵_*
*_____________________________________*
✍🏻 _कुछ लोग औरत को हालते हैज़ (माहवारी) में ऐसा नापाक और अछुत समझ लेते है के, उसके हाथ का छुआ पानी, खाने पिने से परहेज करते है! यहॉ तक के उसके साथ बैठना भी छोड देते है! यह आम खयाल है की जिस कमरे मे हाईजा औरत हो वह कमरा नापाक है और अगर ऐसे मौके पर किसी बुजुर्ग की फातीहा आ जाए तो उस घर मे फातीहा नही होती! या अगर फातीहा दी भी जाए तो यह खयाल रखा जाता है के ऐसी औरत का हाथ भी इन चिजो को नही लगना चाहीये जो फातीहा के लिये रखी जाती है! गरज के हाइजा औरत के के मुतअल्लीक कई तरह की जाहीलाना बाते आज कौम ए मुस्लीम मे देखी जा सकती है! यह सब लग्व व फुजुल व जेहालत है! याद रखीये हाइजा औरत फातीहा का खाना पका सकती है, इसमे कोई कबाहत नहीं, हॉ फातीहा नहीं दिला सकती की इसमे कुरआने करीम की सुरते पढी जाती है_
_👉🏻 ऐसे लोग जो हालते हैज मे औरत को अछुत समझते है, उनके मुतअल्लीक शहज़ाद-ए-आला हज़रत हुज़ूर मुफ़्ती-ए-आज़मे हिन्द [रहमतुल्लाह तआला अलैह] अपने फ़तवे में इरशाद फरमाते है ........_
💫 *_"जो लोग ऐसा करते है वह नाजाइज़ व गुनाह का काम करते है, और मुशरेकीन यहूद, मजुस की रस्मे मरदूद की पैरवी करते है। हालते हैज़ मे सिर्फ़ सोहबत करना नाजाइज़ है बस इससे परहेज़ ज़रूरी है ! मुशरेकीन, यहूद, और मजूस की तरह हैज़ वाली औरत को Sweeper से भी बदतर समझना बहुत ना पाक ख़याल निरा, जुल्म अजीम वबाल है, यह उन की मनघडत है।_*
📕 *_[फ़तावा-ए-मुस्तफ़्विया, जिल्द नं 3, सफा नं 13]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रजी अल्हाहु तआला अन्हा इर्शाद फरमाती है....._
💫 _हुजुर ए अक्रम ﷺ ने मुझ से फरमाया की "ए आइशा! हाथ बढाकर मस्जीद से मुसल्ला उठा कर दो" मैने अर्ज किया "मै हैज से हु!" हुजुर ﷺ ने फरमाया "तुम्हारा हैज तुम्हारे हाथ मे नही!"_
📕 *_[सही मुस्लीम शरीफ जिल्द नं 1, किताबुल हैज, बाब नं 3 सफा नं 143,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हालते हैज़ मे सोहबत करना बहुत बड़ा गुनाह हराम व नाजाइज़ है! लेकिन औरत का बोसा ले सकते है। ख़बरदार बात बोस व कनार तक ही रहे उससे आगे मुबाशरत तक न पहुँच जाए। इसी तरह एक ही प्लेट में साथ खाने पीने यहां तक कि हाइजा औरत का झूठा खाने पीने मे भी कोई हर्ज नही है। गरज कि औरत से वैसा ही सुलूक रखे जैसा आम दिनो मे रहता है।_
📕 *_[मुलख्खस तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 136,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रजी अल्हाहु तआला अन्हा इर्शाद फरमाती है....._
💫 _"जमानाए हैज (हैज के दौरान) मे मै पानी पिती फिर हुजुर ﷺ को देती तो जिस जगह मेरे लब लगे होते हुजुर ﷺ वही दहने मुबारक रख कर पीते, और हालते हैज़ मे मै हड्डी से गोश्त मुंह से तोड कर खाती फिर हुजुर ﷺ को देती तो हुजुर ﷺ अपना दहन शरीफ उस जगह पर रखते जहॉ मेरा मुंह लगा था!"_
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हालते हैज़ मे औरत के साथ शौहर का सोना जाइज़ है। और अगर साथ सोने में शहवत (Sex) का ग़लबा और अपने आपको को क़ाबू मे न रखने का शुबह (शक) हो तो साथ न सोए । और अगर खुद पर ऐतमाद व पक्का यक़ीन हो तो साथ सोना गुनाह नही है।_
📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 74,]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣3⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_हैज़ के बाद सोहबत कब जाइज है_* 🔵
*______________________________________*
👉🏻 _हमारे इमाम, इमामे आ़ज़म अबू हनीफ़ा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] के नज़दीक औरत को हैज का खुन (10) दस दिनो के बाद आना बन्द हो जाए तो ग़ुस्ल से पहले भी सोहबत करना जाइज़ है, लेकिन बेहतर यह है के औरत ग़ुस्ल कर ले उस के बाद ही मुबाशरत की जाए।_
📚 *_हदीस :_* _हज़रत सालिम बिन अब्दुल्लाह और हज़रत सुलेमान बिन यासीर रदी अल्लाहु तआला अन्हुमा से हैज़ वाली औरत के बारे में पूछा गया की........._
💫 *_"क्या उस का शौहर उसे पाक देखे तो ग़ुस्ल से पहले सोहबत कर सकता है या नही"? दोनों ने जवाब दिया...."न करे यहाँ तक कि वह ग़ुस्ल कर ले।_*
📕 *_[मोअत्ता इमाम मालिक, जिल्द नं 1, बाब नं 26, हदीस नं 90, सफा नं 79,]_*
*___________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _दस (10) दिन से कम मे खून आना बंद हो गया हो तो जब तक औरत ग़ुस्ल न करे सोहबत जाइज़ नही।_
📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 2, सफा नं 47,]_*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _आदत के दिन पूरे होने से पहले ही हैज़ का खून आना बंद हो गया तो अगर्चे औरत ग़ुस्ल कर ले सोहबत जाइज़ नही, मसलन किसी औरत की हैज़ की आ़दत चार दिन व चार रात थी और इस बार हैज़ आया तीन दिन व रात तो चार दिन व रात जब तक पूरे न हो जाए सोहबत जाइज़ नही।_
📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा नं 2, सफा नं 47,]_*
*______________________________________*
🔵 *_हैज़ से पाक होने का तरीका_* 🔵
*______________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _औरत को जब हैज़ (खुन आना) बंद हो जाए तो उसे ग़ुस्ल करना फ़र्ज़ है।_
📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 38,]_*
💫 *_हैज से फरागत के फौरन बाद गुस्ल करना जरुरी है! बिला कीसी उज्रे शरई गुस्ल मे ताखीर (देरी) करना सख्त हराम है!_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] से रिवायत है कि......._
*_أن امرأة سألت النَّبيّ - صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ - عَن غسلها مِن المحيض، فأمرها كيف تغتسل، قالَ: خذي فرصة مِن مسك فتطهري بها . قالت: كيف أتطهر بها؟ قالَ: تطهري بها . قالت: كيف؟ قالَ: سبحان الله، تطهري ، فاجتذبها إلي، فقلت: تتبعي بها أثر الدم_*
💫💫 _"एक औरत ने *रसूलुल्लाह ﷺ* से हैज़ के ग़ुस्ल के बारे मे पूछा । आप ने उसे बताया.. "यूं गुस्ल करें" और फिर फ़रमाया..... "मुश्क (कस्तूरी) मे बसा हुआ रूई का फाया ले और उस से तहारत हासिल करे"! वह औरत समझ न सकी और अर्ज किया..... "किस तरह से तहारत करूँ"? फरमाया....... "सुब्हानल्लाह! उससे तहारत करो " (हज़रत आएशा सिद्दीका फरमाती है) "मैंने उस औरत को अपनी तरफ़ ख़ींच लिया और उसे बताया कि उसे खून के मुक़ाम पर फेरे "।_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 215, हदीस नं 305, सफा नं 201,]_*
✍🏻 *_नोट :-_* _इस ज़माने में मुश्क मिलना मुश्किल है इसलिए उसकी जगह गुलाब जल या इत् वगैरह का फाया लें।_
💫 _इसी हदीस के तहत इमाम अहमद रजा कादरी रजी अल्लाहु अन्हु नक्ल फरमाते है_
👉 *_हैज वाली औरत को मुस्तहब है की बाद फरागे हैज जब गुस्ल करे, पुराने कपडे से फर्जे दाखील (गुप्तांग) के अंदर से खुन का असर साफ करले_*
📕 *_[फतावा रज्वीया जिल्द नं 1, किताबुत्तहारत बाबुल वजु सफा नं 54]_*
💫 _आगे मजीद "रद्दुल मुहतार, फतावा शामी, और फतावा तातर खानीया वगैरह के हवाले से फरमाते है......_
💫 *_गुस्ल मे औरत को मुस्तहब है के फरजे दाखील (गुप्तांग) के अंदर उंगली डालकर धो ले, हॉ वाजीब नही बगैर उसके भी गुस्ल उतर जाएंगा!_*
*_____________________________________*
👉🏻 *_इस हदीस से मालुम हुआ कि हैज़ का खून आना बंद हो जाए तो, जब औरत ग़ुस्ल करने बैठे तो पहले रूई (Cotton,) को इत्र वगै़रा की ख़ूशबू में बसा ले फिर उससे खून के मक़ाम पर अच्छी तरह फेरे ताकि वहॉ की गंदगी अच्छी तरह से साफ़ हो जाए, फिर उस के बाद ग़ुस्ल कर ले! (गुस्ल का तरीका आगे आऐंगा)_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣4⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔥🔥 *_दुबूर (पीछे के मकाम) में सोहबत_* 🔥🔥
*______________________________________*
👉🏻 _कुछ कम अक़्ल जाहिल, हालते हैज़ मे औरत से उस के दुबुर (पीछे के मक़ाम, पाख़ाने की जगह) में सोहबत कर बैठते है और दीन व दुनिया दोनो अपने ही हाथों बरबाद करते है। होश में आईये यह कोई मामूली सा गुनाह नही बल्कि शरीअ़त मे सख़्त हराम है और गुनाहे कबीरा है। बल्कि कुछ हदीसो में तो इस फे'ल को कुफ़्र तक बताया गया है।_
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबु ज़र [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया.........._
💎 *_"पीछे के मकाम मे औरत से वती (सोहबत) करना हराम है।"_*
📕 *_[मुस्नदे इमामे आ़ज़म, सफा नं 223,]_*
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है की ..... *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया.........._
💎 *_"जिस ने औरत या मर्द से उस के पीछे के मुक़ाम में (जाइज़ समझते हुए) सोहबत की उस ने यक़ीनन कुफ़्र किया"।_*
📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, अहमद शरीफ, नसाई शरीफ वगै़रा]_*
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* *_रसूलुल्लाह ﷺ_* _ने इर्शाद फरमाया........._
*_لاينظر الله يوم القيامة إلى رجل أتى رجلاً، أو امرأة في دّبرها_*
💎 *_"अल्लाह तआ़ला क़ियामत के दिन ऐेैसे शख़्स की तरफ़ नज़रे रहमत नही फरमाएगा जिसने औरत के पीछे के मक़ाम से सोहबत की"।_*
📚 *_[ बुखारी शरीफ, तिर्मिज़ी शरीफ, अबूू दाऊद शरीफ, इब्ने माज़ा शरीफ, मुस्लिम शरीफ, नसाई शरीफ (जिसे स्याह ए सित्ता शरीफ कहा गया है मोअत्तेबर हदिस की (6) किताबे]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है की ..... *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया.........._
💎 *_"दुबूर (पिछे के मकाम ) मे जिमा करने वाला मलऊन है"!_*
📕 *_[अबूू दाऊद शरीफ, जिल्द 2, बाब नंबर 123, हदीस नं 395]_*
*____________________________________*
💫 _इमाम मुहम्मद गजाली रदी अल्लाहु तआला अन्हु नक्ल फरमाते है........._
👉 *_"औरत के दुबुर मे (सोहबत) दुरुस्त नही, इसलिये की उसका हराम होना ऐसा ही है जैसे हैज मे जिमा हराम है! दूबूर (पिछे के मकाम) मे जिमा से औरत को तक्लीफ पहुंचती है!चुनांचे उसका हराम व नाजाईज होना यह निस्बते हैज की हुरमत से ज्यादा सख्त तर है!"_*
📕 *_[इहया उल उलुम, जिल्द 2, सफा नं 95]_*
*____________________________________*
➡ _अगर हम गौ़र करे तो मालूम होगा कि अक़्ल की रू से भी यह काम निहायत ही गंदा और ना पसंदीदा है। हर मिजाजे सलीम और तबअे मुस्तकीम इससे खुद ब खुद घिन आती है। और इसको एक करीह, बदमजा काम जानती है! उलमा-ए-किराम ने औरत से उस के दुबुर मे सोहबत करने के होनेवाले कई नुक़्सानात पर तफ्सीली तब्सीरा किया है जिनमें से चंद यहाँ बयान किये जाते हैं।_
✍🏻 *_अव्वल तो यह गिलाज़त, और गन्दगी के निकलने का मकाम है! वती (सोहबत) की लज्जत व लुत्फ अंदोजी को इस गंदगी और गिलाजत की जगह से क्या इलाका (काम)! बल्के ऐसे मौके पर तो इंसान लताफत व पाकीजगी को मुतलाशी (ढुढना) होता है!_*
✍🏻 *_दूसरा यह कि वती औरत का मर्द पर एक हक होता है! और वह हक इस शक्ल मे तबाह होता है_*
✍🏻 *_तीसर यह कि कुदरत ने इस मकाम को इस बुरे, बेहुदा काम के लिये नही बनाया है, गोया ऐसे काम का इर्तिकाब कुदरत के बनाए हुए उसुल (नियम) से बगावत करना है!_*
✍🏻 *_चौथा यह की मर्द के लिये जिमा की यह शक्ल निहायत ही मुजीर सेहत (सेहत के लिये नुक्सान देह) है! हालीया रिसर्च (AIDS) Acquired Amino Deficiency Syndrome होने की भी एक वजह है!_*
✍🏻 *_पॉंचवा यह है कि इस सूरत में ऊज़ू-ए-तनासुल (लिंग) की रगो और जिस्म के दूसरे हिस्सों पर ख़िलाफ़े फितरत जोर पड़ता है जो रगों के लिए नुकसानदेह है! इस तरह के दिगर कई और ऐब, नुक़्सानात व बुराईयॉ के पेशे नजर शरीयत ने इस काम को हराम करार दिया है और इस अमले बद से मना किया है!_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣5⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_इस्तेहाज़ा का बयान_* 🔵
*_____________________________________*
👉🏻 _वोह खून जो औरत के आगे के मक़ाम से निकले और हैज़ व निफ़ास का न हो वोह इस्तेहाज़ा है। इस्तेहाज़ा का खून बीमारी की वजह से आता है।_
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _हैज़ की मुद्दत ज़्यादा से ज़्यादा दस दिन और दस राते है! और कम से कम तीन दिन और तीन राते रात है। अगर खुन दस दिन, दस रात से कुछ ज्यादा आया,या तीन दिन, तीन रात से कुछ भी कम आया तो वोह खून हैज़ का नही इस्तेहाज़ा का है। अगर किसी औरत को पहली मर्तबा हैज़ आया है तो दस दिन, दस रात हैज़ है, और बाद का इस्तेहाज़ा है ! और अगर पहले उसे हैज़ आ चुके है और आ़दत दस दिन, दस रात से कम की थी तो आ़दत से जितने ज़्यादा दिन आया वोह इस्तेहाज़ा है। उसे यूं समझिए कि किसी औरत को पाँच दिन, पॉंच रात की आ़दत थी (यानी उसे हमेशा हैज़ पाँच दिन पॉंच रात आता फिर बंद हो जाता था) लेकिन अगर बाराह दिन आया तो पॉंच दिन व रात (जो आदत के थे) बाकी सात दिन व सात राते इस्तेहाज़ा के है । और अगर हालत मुक़र्रर न थी बल्कि हैज़ कभी चार दिन, कभी पाँच दिन, और कभी छह दिन वगैरह आता था, तो पिछली मर्तबा जितने दिन आया इतने ही दिन हैज़ के समझे जाएंगे और बाकी इस्तेहाज़ा के।_
📕 *_[बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2, सफा नं 42, कानूने शरीयत सफ नं 52]_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअ़ला :_* _इस्तेहाज़ा मे नमाज़ माफ नही (बल्कि नमाज़ छोड़ना गुनाह है) न ही रमजान शरीफ के रोजे माफ है, ऐसी हालत मे औरत से जिमाअ भी हराम नही।_
*____________________________________*
*_✍🏻 मसअ़ला :_* _अगर इस्तेहाज़ा का खून इस क़दर आ रहा हो कि इतनी मोहलत नही मिलती कि वुज़ू करके फ़र्ज़ नमाज़ अदा कर सके, तो एक वुज़ू से इस एक वक्त़ में जितनी नमाज़े चाहे पढ़े, खून आने से भी इस पूरे वक्त़ के अंदर वुज़ू न जाऐगा अगर कपड़ा वगै़रह रख कर नमाज़ पढ़ने तक खून रोक सकती है तो वुज़ू करके नमाज़ पढ़े।_
📕 *_[कानूने शरीयत, जिल्द नं , सफा नं 54,]_*
*____________________________________*
*_💎 तहारत का बयान 💎_*
*____________________________________*
*_💎 अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फरमाता है..._*
*_اِنَّ اللّٰہَ یُحِبُّ التَّوَّابِیۡنَ وَ یُحِبُّ الۡمُتَطَہِّرِیۡنَ ﴿۲۲۲﴾_*
*_💎 "बेशक अल्लाह! पसंद करता है, बहुत तौबा करने वालो को, और पसंद करता है सुथरो को!"_*
📕 *_[ सुरह ए बखराह आयत 222, तर्जुमा कंजुल इमान]_*
*____________________________________*
*_📚 हदिस :_* _अल्लाह के रसुल ﷺ इर्शाद फरमाते है..........._ *_"पाकीजगी आधा इमान है!"_*
_और फर्माते है........ हमारे प्यारे आका ﷺ_ *_" दीन की बुनियाद पाकीजगी पर है!"_*
📕 *_[ किमीया ए सआदत सफ नं 132]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣6⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵 गुस्ल कब फर्ज होता ह⁉🔵_*
*_____________________________________*
👉🏻 _गुस्ल पॉंच चीजों से फर्ज होता है! यानी इन पॉंच चीजो मे से कोई एक भी सुरत पायी जाए तो गुस्ल फर्ज है! हर एक के बारे मे तफ्सील यह है!_
1⃣ *_मनी निकलने से :_* _मर्द ने औरत को छुआ, या देखा, या सिर्फ औरत के खयाल से ही मजे के साथ मनी (विर्य) अपने मकाम से निकली तो गुस्ल फर्ज हो गया! चाहे सोते मे हो या जागते मे, इसी तरह औरत ने मर्द को छुआ, या देखा, या उसका खयाल लाई और लज्जत के साथ मनी निकली तो औरत पर भी गुस्ल फर्ज हो गया!_
💫 *_इन तमाम बातो का हासील यही है की अगर शहवत और मजे के साथ मनी अपने मकाम से निकले चाहे औरत से हो या मर्द से तो गुस्ल फर्ज हो जाता है_*
2⃣ *_एहतलाम से :_* _यानी सोते मे मनी का निकलना जिसे (Nightfall) भी कहते है, इससे भी गुस्ल फर्ज हो जाता है! यह मर्द और औरत दोनो को होता है! चुनांचे हदीस पाक मे है......_
*_📚 हदीस :_* _हजरत उम्मे सलमा रदी अल्लाहु तआला अन्हा ने रसुल ए करीम ﷺ से अर्ज किया... "या रसुलुल्लाह! अल्लाह तआला हक बात बयान करने मे हया नही फरमाता, जब औरत को एहतलाम हो जाए यानी वह मर्द को ख्वाब मे देखे तो उसके लिये गुस्ल जरुरी है"? हुजुर ﷺ ने इर्शाद फरमाया...... " हॉं अगर वह तरी (गिलापन) देखे तो गुस्ल करे"!_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 195, हदीस नं 275, सफ नं 193, तिर्मीजी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 89, हदीस नं 114, सफ नं 130]_*
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _रोजे की हालत मे था, और एहतलाम हो गया, तो रोजा न टुटा और न ही रोजे मे कोई खराबी आई, लेकीन गुस्ल फर्ज हो गया!_
📕 *_[बहार ए शरीयत, व कानुन ए शरीयत]_*
*_____________________________________*
*_3⃣ मुबाशरत (सोहबत) करने से :_* _मर्द ने औरत से जिमाअ किया और अपने आले (लिंग) को औरत के आगे के मकाम (योनी) मे हश्फा दाखील किया चाहे शहवत के साथ हो या बगैर शहवत, इंजाल (Discharge) हो या न हो (सिर्फ मर्द का अपने उज्व (लिंग) को औरत की फरज (योनी) मे हश्फा तक दाखील कर देने से ही) मर्द और औरत दोनो पर गुस्ल फर्ज हो गया!_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 201, हदीस नं 284, सफ नं 195]_*
*_____________________________________*
*_4⃣ हैज के बाद :_* _औरत को हैज का खुन आना जब बंद हो जाए, तो उसके बाद उसे गुस्ल करना फर्ज है!_
*_____________________________________*
*_5⃣ निफास के बाद :_* _औरत को बच्चा पैदा करने के बाद जो खुन फरज से आता है, उसे निफास कहते है! उस खुन के बंद हो जाने के बाद औरत पर गुस्ल करना फर्ज है!_ *_यह जो मशहुर है की औरत बच्चा पैदा करने के चालीस दिन बाद पाक होती है, यह गलत है! (उसकी तफ्सील और निफास का मुफस्सल बयीन आगे आएंगा)_*
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
*_____________________________________*
*_💫 इन पॉंच चिजो से गुस्ल फर्ज हो जाता है! इसके अलावा चंद जरुरी मसाइल है जिनका जानना और याद रखना हर मुसलमान को जरुरी है!_*
*____________________________________*
*_1⃣ मनी :_* _मनी वह है जो शहवत के साथ निकलती है!_
*_2⃣ मजी :_* _मजी वह है जो बगैर मजा के ऐसे ही उज्व ए तनासुल (लिंग) मे से चिप-चिपा सा माद्दा निकलता है! नरीयल के तेल की तरह का माद्दा कभी कब्ज से कभी हाज्मे की खराबी से भी निकलता है!_
*_3⃣ वदी :_* _गाढे पेशाब को कहते है, जो गालीबन देखने मे गाढे दुध की तरह होता है!_
*_💫मनी निकलने से गुस्ल फर्ज होता है, जब की मजी और वदी के नीकलने से गुस्ल फर्ज नही होता लेकीन वुजु टुट जाता है!_*
*____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _अगर मनी इतनी पतली पड गई के पेशाब के साथ या वैसे ही कुछ कतरे बगैर शहवत (बगैर मजे) के निकल जाए तो गुस्ल फर्ज न हुआ!_
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
*____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला (बिमारी से मनी निकलना) :_* _किसी ने बोझ उठाया, या ऊंचाई से निचे गिरा, या बिमारी की वजह से बगैर किसी मजे के मनी निकल गई तो गुस्ल फर्ज न हुआ, अल्बत्ता वुजु टुट गया!_
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1 सफ नं 38]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣7⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵 गुस्ल कब फर्ज होता ह⁉🔵_*
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला पेशाब के साथ मनी निकलना) :_* _अगर किसी ने पेशाब किया और मनी निकली, तो देखा जाए उस वक्त उज्व ए तनासुल (लिंग) मे तनाव था या नही! अगर तनाव था तो गुस्ल फर्ज हो गया, और अगर तनाव न था और बगैर किसी मजे के पेशाब के साथ मनी(विर्य) निकल गई तो गुस्ल फर्ज न हुआ_
📕 *_[फतावा आलमगिरी बहार ए शरीयत व कुतुब ए कसीरा]_*
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _मर्द और औरत एक ही बिस्तर पर सोए! बेदारी के बाद बिस्तर पर मनी के निशान पाया गया और दोनो मे से किसी को एहतलाम (Nightfall) याद नही तो एहतियात यह है के दोनो गुस्ल करे, यही ही सही है!_
📕 *_[बहार ए शरीयत जिल्द 1, हिस्सा नं 2,सफ नं 21]_*
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _किसी औरत ने अपने शौहर से सोहबत की, मुबाशरत के बाद गुस्ल कर लिया! फिर उसकी शर्मगाह (योनी) से उसके शौहर की मनी निकली तो उसपर गुस्ल वाजीब न होंगा लेकीन वुजु टुट जाएंगा!_
📕 *_[बहार ए शरीयत जिल्द 1, हिस्सा नं 2,सफ नं 22]_*
*_____________________________________*
*_💫नापाकी के हालत मे कौन सी बाते हराम है!_*
*_____________________________________*
👉🏻 _जिस को नहाने (गुस्ल) की जरुरत हो, उसको मस्जीद मे जाना, काबा का तवाफ करना, कुरआन ए करीम को छुना, बे देखे या जुबानी पढना, या किसी आयत का लिखना, या ऐसी अंगुठी पहनना या छुना जिसपर कुरआन की कोई आयत या अदद या हुरुफे मुकत्तआत लिखे हुए हो, दिनी किताबे जैसे हदीस, तफ्सीर, और फिक्ह वगैरह की कितीबे छुना यह सब हराम है!अगर कुरआन ए करीम जुज्दान मे हो या कपडे मे लिपटा हुआ हो तो उसपक हाथ लगाने मे हर्ज नही! अगर कुरआन की कोई आयत कुरआन पढने की नियत से न पढी सिर्फ तबर्रुक के लिये बिस्मिल्लाह!अलहम्दु लिल्लाह! या सुरह ए फातीहा या आयतल कुर्सी या ऐसी कोई आयत पढी तो कोई हर्ज नही! इसी तरह दरूद शरीफ और कलमा भी पढ सकते है!_
📕 *_[कानुन ए शरीयत जिल्द 1, सफा नं 28]_*
*_____________________________________*
*_📚 हदीस : (मस्अला : नापाक का झुठा)_* _नापाक मर्द व औरत का और हैज व निफास वाली औरत का झुठा पाक है! इसी तरह उसका पसीना या थुक किसी कपडे या जिस्म से लग जाए तो नापाक न होंगा_
📕 *_[बुखारी शरीफ जिल्द 1 सफ: 193, कानुन ए शरीयत जिल्द 1, सफा नं 46, ]_*
*____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला : नापाक का नमाज पढना)_* _रात मे सोहबत की हो तो नमाजे फज्र से पहले, और अगर दिन मे सोहबत की हो तो अगली नमाज से पहले गुस्ल करले ताकी नमाज कजा न हो जाए, और ज्यादा वक्त तक नापाकी की हालत मे रहना न पडे की नापाक शख्स से रहमत के फरीश्ते दुर रहते है! गुस्ल की जरुरत है, और वक्त तंग है की अगर गुस्ल करता है तो फज्र की नमाज का वक्त खत्म हो जाएंगा और नमाज कजा हो जाएंगी ऐसी हालत मे तयम्मुम करके घर पर ही नमाज पढले, फिर उसके बाद गुस्ल करके उसी नमाज को दुबारा पढे! (इस तरह से अदा नमाज पढने का ही सवाब मिलेंगा)!_
📕 *_[अहकाम ए शरीयत जिल्द 2, सफा नं 172, ]_*
*_____________________________________*
*_👉🏻 जिस घर मे नापाक हो :_* _अक्सर मर्द और औरते शर्म व हया से गुस्ल नही करते और नापाकी की हालत मे कई कई दिन गुजार देते है! यह बहुत ही बडी नहुसत और जाहीलाना तरीका है! हदीस ए पाक मे है जिस घर मे नापाक मर्द या औरत हो, उस घर मे रहेमत के फरीशते नही आते, उस घर मे नहुसत व बेबरकती आ जाती है, कारोबार रिज्क से बरकत दुर हो जाती है और मुफ्लीसी, गुरबत, तंगदस्ती का बसेरा हो जाता है!_
*_👉🏻 गुस्ल से पहले बाल काटना :_* _गुस्ल करने से पहले नापाकी की हालत मे जेरे नाफ, बगल, सर, नाक के बाल और नाखुन वगैरह न काटे_
*_[किमीया ए सआदत सफ नं 267, ]_*
*_____________________________________*
*_💫"नापाक हालत मे जेरे नाफ के बाल, नाखुन, और सर के बाल वगैरह कांटना मना है, क्यु की आखीरत मे तमाम अज्जा उसके पास वापस आऐंगे तो नापाक अज्जा का मिलना अच्छा नही! यह भी लिखा है के हर बाल इंसान से अपनी नापाकी का मुतालबा करेंगा!"_*
*_[ इहया उल उलुम जिल्द 2, सफा नं 96, ]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵नजासतो के पाक करने का तरीका 🔵_*
*_______________________________________*
*_✍🏻 गुस्ल से पहले कपडो को पाक करना जरुरी है!_*
*_👉🏻 कपडो को पाक करना :_* _वह कपडा जिस पर नजासत (गंदगी) लगी हो, उस पर पहले साफ पानी बहा कर खुब अच्छी तरह मले! फिर कपडे को अच्छी तरह निचोड ले, फिर दुसरा साफ पानी ले और कपडे पर बहाए, फिर साबुन या सर्फ से अच्छी तरह धोए, फिर उस कपडे को निचोड ले! अब तिसरी मर्तबा साफ पानी लेकर कपडे पर बहाए और निचोड ले! अब आपका कपडा शरई रु से पाक हो गया! *यानी तिन मर्तबा नया (साफ) पानी लेना और तिन मर्तबा अच्छी तरह कपडे पर बहाना और फिर अच्छी तरह निचोड लेना जरुरी है*_
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _नजासत अगर पतली है, तो कपडा तिन मर्तबा धोने और तिन मर्तबा निचोडने से पाक होंगा! कपडे को अच्छी तरह निचोडने का मतलब यह है के हर बार अपनी कुव्वत से इस तरह निचोडे के पानी के कतरे टपकना बंद हो जाए! अगर कपडे का खयाल करके अच्छी तरह न निचोडा तो कपडा शरीयत के मुताबीक पाक नही समझा जाएंगा_
*____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _कपडे को तिन मर्तबा धो कर हर बार खुब निचोड लिया है की, अब निचोडने से पानी के कतरे नही टपके, फिर उसको लटका दिया और उससे पानी टपका तो यह पानी पाक है!_
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _अगर एक शख्स ने नापाक कपडे धोकर अच्छी तरह निचोड लिया, मगर एक दुसरा शख्स ऐसा है जो उस पहले शख्स से ज्यादा ताकतवर है! अगर वह कपडा निचोडे तो कुछ बुंदे टपक सकती थी, तो वह कपडा पहले वाले शख्स के लिये पाक है, और इस दुसरे ताकतवर शख्स के लिये नापाक है, क्यु के अगर वह धोता और निचोडता तो वह कपडा उसके लिये और पहले शख्स के लिये भी पाक होता_
👉🏻 *_इस मस्अले से मालुम हुआ के मर्द को अपने नापाक कपडे खुद ही धोने चाहीये! बीवी से न धुलवाए, क्यो केआम तौर पर औरत की ताकत मर्द की ताकत से कम होती है! अगर मर्द उन कपडो को निचोडे तो पानी की कुछ बुंदे कपडे से निकल सकती है, इसलिये मर्द के हक मे कपडे नापाक ही होंगे! लेकीन किसी की बीवी उस से ज्याजा ताकतवर हो और उसने अच्छी तरह से निचोडा है, तो मर्द के लिये कपडा पाक है! ऐसे मर्द जिनकी बीवी उन से ज्यादा ताकतवर है, उसके हाथो धुले कपडे पहनने मे कोई हर्ज नही!_*
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _कपडे को पहली मर्तबा धोने, निचोडने के बाद हाथ दुसरे नये पानी से अच्छी तरह धोए, फिर दुसरी मर्तबा कपडा धोने और निचोडने के बाद हाथ दुसरे पानी से फिर अच्छी तरह धोए! तिसरी मर्तबा कपडा धोने और निचोडने से कपडा और हाथ दोनो पाक हो गये!_
*_____________________________________*
*_✍🏻 मस्अला :_* _ऐसी चिजे जिन्हे निचोडा नही जा सकता, जैसे रूई का गद्दा, चटाई, कार्पेट, शतरंजी वगैरह, उन्हे पाक करने का तरीका यह है के, उन पर पहले इतना पानी बहाए की वह पुरी तरह भिग जाए, और पानी बहने लगे, उसके बाद हाथ से अच्छी तरह मले, और उसे उस वक्त तक छोड दे जब तक की पानी गद्दे, चटाई वगैरह से टपकना बंद हो जाए! फिर दुसरी मर्तबा पानी बहाए फिर छोड दे! जब पानी की बुंदे टपकना बंद हो जाए, तो अब तिसरी मर्तबा उस पर पानी बहाए और सुखने के लिये छोड दे! अब वह गद्दा या चटाई पाक हो गयी! तिन मर्तबा नया पानी उस चिज पर बहाना और हर मर्तबा पानी टपकने तक इंतजार करना जरुरी है_
📕 *_[उपर के तमाम मसाईल अहकाम ए शरीयत जिल्द 3, सफा नं 252, कानुन ए शरीयत 1, सफा नं 56, 75]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-5⃣9⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵गुस्ल का बयान 🔵_*
*_____________________________________*
*_💎 अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फर्माता है!_*
*_وَإِن كُنتُمْ جُنُبًا فَاطَّهَّرُو ۚ_*
*_💎 तर्जुमा : और अगर तुम्हें नहाने की हाज़त हो तो खूब सुथरे हो लो।_*
📕 *_[कुरआन शरीफ, तर्जुमा कन्जुल ईमान, पारा 6, सूर ए मायेदा, आयत नं 6,]_*
*____________________________________*
📚 *_[हदीस :_* _उम्मुल मोमिनीन हज़रत आएशा सिद्दीक़ा (रदि अल्लाहु तआला अन्हा) से रिवायत है कि *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फ़रमाया..........!_
💫 _"जब मर्द मुबाशरत के बाद ग़ुस्ल करता है तो बदन के जिस बाल पर से पानी गुज़रता है! उस हर बाल के बदले उसकी एक नेकी लिखी जाती है एक गुनाह कम कर दिया जाता है और एक दर्जा ऊँचा कर दिया जाता है। और अल्लाह तआला उस बंदे पर फख़्र फर्माता है, और फ़रिश्तों से फर्माता है कि "मेरे इस बंदे की तरफ देखो के इस सर्द रात में ग़ुस्ल ए जनाबत के लिए उठा है, उसे मेरे परवरदिगार होने का यक़ीन है, तुम गवाह हो जाओ कि मैने इसे बख़्श दिया"।_
*_👉🏻 यहॉ गौर करने वाली बात यह है के रात मे गुस्ल के लिये उठने की दो ही वजुहात नजर आती है! एक नमाजो की फिक्र या दुसरी माहे रमजान के लिये सेहरी के लिये_*
📕 *_[गुनीयातुत्तालिबीन, बाब नं 5, सफा नं 113,]_*
*____________________________________*
✍ _ग़ुस्ल में तीन फ़र्ज़ है इन में से अगर कोई एक भी फर्ज छूट गया तो चाहे समंदर में भी नहा ले तो भी ग़ुस्ल न होगा, और इस्लामी शरीयत के मुताबिक़ नापाक ही रहेगा ग़ुस्ल में तीन फ़र्ज़ है।_
1⃣ *_गरारा करना :_* _मुँह भर कर गरारा करना, इस तरह की हलक़ का आख़िरी हिस्सा, दाँतों की खिड़कियाँ, मसूढ़े, वगै़रह सब से पानी बह जाए। दाँतों में अगर कोई चीज़ अटकी हुई हो तो उसे निकालना ज़रूर है! अगर वहां पानी न लगा तो ग़ुस्ल न होगा। अगर रोज़ा हो तो गरारा न करे सिर्फ़ कुल्ली करे, कि अगर गलती से भी पानी हलक़ के नीचे चला गया तो रोज़ा टूट जाएंगा।_
*_✍ मसअ़ला :_* _कोई शख़्स पान, कथ्था वगै़रह खाता है और चूना व कथ्था दाँतों की जड़ों में ऐसा जम गया कि उसका छुड़ाना बहुत ज़्यादा नुक़्सान का सबब है तो माफ है! और अगर बगै़र किसी नुक़्सान के छुड़ा सकता है तो छुड़ाना वाज़िब है बगै़र उस के छुड़ाए ग़ुस्ल न होगा।_
📕 *_[फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 2, किताबुत्तहारत, बाबुल ग़ुस्ल सफ नं 18,]_*
*_____________________________________*
2⃣ *_नाक में पानी डालना :_* _नाक के आख़िरी नर्म हिस्से तक पानी पहुँचाना फ़र्ज़ है! नाक की गन्दगी को उँगली से अच्छी तरह से निकाले। पानी नाक की हड्डी तक लगाना चाहिए और नाक में पानी महसुस होने लगे।_
*____________________________________*
*_3⃣ तमाम बदन पर पानी बहाना :_* _तमाम बदन पर पानी बहाना कि बाल बराबर भी बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे, बग़ल, नाफ, कान के सूराख वगैरह तक पानी बहाना ज़रूरी है_
📕 *_[बहारे शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 18, कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 37]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣0⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵गुस्ल करने का तरीका 🔵_*
*_____________________________________*
👉🏻 _ग़ुस्ल में नियत करना सुन्नत है! अगर न भी की तब भी ग़ुस्ल हो जाएगा। ग़ुस्ल की नियत यह है कि *"मैं पाक होने और नमाज़ के जाइज़ होने के वास्ते ग़ुस्ल कर रहा हूँ / या कर रही हूँ।*_
👉🏻 _नियत के बाद पहले दोनों हाथ गट्टो (कलाई) समेत तीन मरतबा अच्छी तरह धोए, फिर शर्मगाह और उसके आस पास के हिस्सों को धोए ! चाहे वहां गंदगी लगी हो या न लगी हो, फिर बदन पर जहाँ जहाँ गन्दगी हो उन जगह को धोए, उस के बाद गरारा करे कि पानी हलक़ के आख़िरी हिस्से, दाँतों की खिड़कीयो, मसूढ़ो वगै़रह में बह जाए, कोई चीज़ दाँतों में अटकी हो तो लकड़ी वगै़रह से उसे निकाल ले, फिर नाक में पानी डाले, इस तरह की नाक की आख़िरी हिस्सा (हड्डी) तक पहुँच जाए और वह नाक में हल्का तेज़ मालुम हो! फिर चेहरा को धोए इस तरह के पेशानी से लेकर ठोढी तक, और एक कान की लौ से दूसरे कान की लौ तक, फिर तीन मर्तबा कोहनियो समेत हाथों पर पानी बहाए फिर सर का मसह करे, जिस तरह वुज़ू में करते है!_
_उस के बाद बदन पर तेल की तरह पानी मले। फिर तीन मर्तबा सर पर पानी डाले फिर तीन मर्तबा सीधे मोन्ढ़े (कान्धे) पर और तीन मरतबा दाएँ मोन्ढ़े पर लोटे या मग वगै़रह से पानी डाले और जिस्म को मलते भी जाए इस तरह कि बदन का कोई हिस्सा सूखा न रहे! सर के बालों की जड़ों, बगल में शर्मगाह और उसके आस पास के हर हिस्सो पर सब जगह पानी पहुंच जाए! इसी तरह औरत अपने कान की बाली, नाक की नथुनी वगैरह को घुमा घुमा कर वहाँ पानी पहुँचाए! सर की जडो तक पानी जरुर पहुंचे! अब आप इस्लामी शरीअ़त के मुताबिक़ पाक हो गये और आपका ग़ुस्ल सही हो गया! इसके बाद साबुन वगै़रह जो भी जाइज़ चीज लगाना हो तो वह लगा सकते है, आखिर में पैर धो कर अलग हो जाए।_
📕 *_[फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 2, सफ नं 18, बहार ए शरीयत, जिल्द नं 1, हिस्सा 2 सफा नं 36,]_*
*_____________________________________*
✍ *मसअ़ला :* _नहाने के पानी में बे वुज़ू शख़्स का हाथ, उँगली, नाखून, या बदन का कोई और हिस्सा पानी में बे धोए चला गया तो वह पानी ग़ुस्ल और वुज़ू के लाएक नही रहा! इसी तरह जिस शख़्स पर (ग़ुस्ल) फ़र्ज़ है उसके जिस्म का भी कोई हिस्सा बे धोए पानी से छू गया तो वह पानी ग़ुस्ल के लाएक नही। इस लिए टाकी वगै़रह का पानी जिस मे घर के कई लोगों के हाथ बगै़र धुले हुए पड़ते है उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू नही हो सकता! ग़ुस्ल के लिए पहले से ही एहतियात से किसी बाल्टी या ड्रम मे अलग ही नल से पानी भर ले। अगर ऐसी टाकी है जिसमे किसी का हाथ नहीं जाता और उसमे नल वगैरह लगा है, जैसे अमुमन मस्जीद मे होते है या आजकल बिंल्डींग मे छत के उपर प्लास्टीक के बडे-बडे टाकी (Water Tanks) लगाए जाते है, तो ऐसे टाकी के पानी से गुस्ल करना सही है! अगर गुस्ल के पानी मे धुला हुआ हाथ या बदन का कोई हिस्सा पानी में चला गया या छू गया तो कोई हर्ज नही। *इसी तरह ग़ुस्ल करते वक्त़ यह भी एहतियात रखे कि नापाक बदन से पानी के छींटे बाल्टी में मौजूद पानी जिस से ग़ुस्ल कर रहे है उसमें न जाने पाए*_
📕 *_[कानूने शरीयत, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]_*
*____________________________________*
✍ *_मसअ़ला :_* _ऐसा हौज़ या तालाब जो कम से कम दस हाथ लम्बा, दस हाथ चौड़ा, (यानी कम अज कम 10X10 fits का) हो तो उसके पानी में अगर हाथ या नजासत (गन्दगी) चली गई तो वह पानी नापाक नही होगा, जब तक कि उस का रंग, या मज़ा, और बू (Smell) न बदल जाए। उससे ग़ुस्ल और वुज़ू जाइज़ है। हॉ अगर नजासत इतनी चली गई के पानी का रंग, या मज़ा या बू (Smell) बदल गई तो उस पानी से ग़ुस्ल व वुज़ू न होगा।_
📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 39,]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣1⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🔵गुस्ल करने का तरीका 🔵_*
*_____________________________________*
✍ *_मसअ़ला :_* _ग़ुस्ल करते वक्त़ किबले की तरफ रुख़ कर के नहाना मना है। ग़ुस्लखाने में छत हो और बंद दरवाजे हो, या ऐसी जगह जहॉ किसी के अचानक देखने का गुमान न हो तो वहॉ बरहाना (नंगे) नहाने में कोई हर्ज नही है! औरतों को ज़्यादा एहतियात की ज़रूरत है यहाँ तक कि बैठ कर नहाना बेहतर है। ऐसी जगह नहाए जहाँ किसी के देखने का अंदेशा न हो। नहाते वक्त़ बात चीत करना, कुछ पढ़ना, चाहे कोई दुआ ही क्यों न हो, कलमा शरीफ, दुरूद शरीफ़, वगै़रा पढ़ना सख्त मना है।_
*_🔥 कुछ लोग नहाते वक्त फिल्मी गित गाते है! और कुछ तो मआजअल्लाह! बे खयाली मे नात वगैरह गुनगुनाने लगते है! याद रखीये अव्वल तो गाना ही गाना जाइज नही! इसी तरह गुस्ल करते वक्त नात शरीफ वगैरह पढना भी सख्त ना जाइज व गुनाह है!_*
*_🔥कुछ लोग चड्डी पहने कर सड़कों के किनारेे नल में नहाते है यह जाइज़ नही! बल्कि सख़्त नाजाइज व गुनाह व हराम है! क्योंकि मर्द को मर्द से भी घुटने से नाफ़ तक का बदन का हिस्सा छुपाना फ़र्ज़ है_*
📕 *_[कानूने शरीअ़त, जिल्द नं 1, सफा नं 37,]_*
*_____________________________________*
*_✍ मसअ़ला : कुछ लोग नापाक चड्डी या कपड़ा पहने हुए ही ग़ुस्ल करते है! और यह समझते है कि नहाने में सब कुछ पाक हो जाएगा। यह बेवकूफ़ी है! इससे तो गंदगी फैल कर पूरे बदन को नापाक कर देती है। और वैसे भी इस तरीक़े से चड्डी पाक नही समझी जाएगी, क्योंकि नापाक कपड़े को तीन बार धोना, और हर बार अच्छी तरह निचोड़ना ज़रूरी है (जिस का बयान पहले ही आ चुका है) इसलिए नापाक चड्डी या कपड़े को उतार ले, पाक चड्डी या कपड़ा ही बाँध कर ग़ुस्ल करें।_*
*_____________________________________*
*_💫नाखून पॉलिश होने पर ग़ुस्ल न होगा 💫_*
*_____________________________________*
👉🏻 _कुछ मर्द और अक्सर औरतें अपने हात पांव के नाखूनो पर पॉलिश (Nail Polish) लगाते है! नाखून पॉलिश में स्प्रीट ( Alcohol) होता है जो कि शरीअ़त में हराम है! मर्दों के लिए तो बहुत ही ज़्यादा सख्त हराम व गुनाह है की यह औरतो से मुशाबहत (नकल) पैदा करना है! नाखूनो पर पॉलिश होने की वजह से वुज़ू और ग़ुस्ल करते वक्त़ पानी नाखूनो पर नही लगता बल्कि पॉलिश पर लग कर फिसल जाता है! और सिरे से ही ग़ुस्ल नही होता। जब ग़ुस्ल ही न हुआ तो नापाक ही रहा और नापाकी की हालत में नमाज़ पढ़ी तो नमाज़ न होगी, और जान बूझकर नापाक रहना सख़्त गुनाह है! अल्लाह न करे अगर इस हालत में मौत आ गई तो उस का वबाल अलग, और नापाकी मे अक्सर शैतान जिन्न का असर हो जाता है! इस लिए औरतों को चाहिए कि नाखून पॉलिश न लगाए।_
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣2⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_🌹🌹🌹मिया बीवी के हुकुक 🌹🌹🌹_*
*_______________________________________* 💎 *_आयत :_* _अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फरमाता है......_
*_هُنَّ لِبَاسٌ لَكُمْ وَأَنْتُمْ لِبَاسٌ لَهُنَّ_*
💎 *_तर्जुमा :_* _वह तुम्हारी लिबास है और तुम उनके लिबास!_
📕 *_[तर्जुमा :- कन्जुल ईमान शरीफ, पारा 2, सूरए बक़र, आयत नं 187,]_*
*____________________________________*
👉🏻 _इस आयते करीमा मे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क्या ही बेहतरीन मिसाल के जरीए मियाँ बीवी के एक दूसरे पर हुकूक़ के मुत्अ़ल्लिक़ अपने बंदो को समझाया है।_
💫 _लिबास जिस्म के ऐबो छुपाता है! इसी तरह बीवी अपने शौहर के ऐबो को और शौहर अपनी बीवी के ऐबो को छुपाने वाले बने! एक मुहज्जब इंसान बगैर लिबास के नहीं रह सकता, इसी तरह तमद्दुन याफ्ता मर्द या औरत बगैर निकाह के नहीं रह सकते! लिबास को मैला होने पर धोया जाता है, इसी तरह शौहर और बीवी गम व परेशानी के मौके पर एक दुसरे का मुकम्मल सहारा बने! और गमो को धो डाले! लिबास मे अगर कोई मामुली सा दाग लग भी जाए तो लिबास फैंका नही जाता बल्की उसे धोकर साफ कर लिया जाता है, *इसी तरह मियॉ बीवी एक दुसरे की छोटी मोटी गल्तीयो को माफ करे और गल्तीयो के दाग को माफी के पानी से धो कर साफ कर ले!*_
*___________________________________*
🌹🌹🌹 *[शौहर के हुकुक़]* 🌹🌹🌹 *___________________________________*
👉🏻 _बीवी का फ़र्ज़ है कि अपने शौहर की इज़्ज़त का ख्याल रखे, और उसके अ़दब व एहतराम मे किसी किस्म की कोताही न बरते! और जुबान से ऐसी कोई बात न निकाले जो शौहर की शान के ख़िलाफ़ हो।_
📚 *_हदीस :_* _हज़रत आएशा सिद्दीक़ा व हज़रत अबू ह़ुरैरा रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा से रिवायत है कि *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फरमाया........_
💫 *_"अगर मै किसी को किसी के लिए सज्दे का हुक़्म देता तो औरतों को हुक़्म देता कि अपने शौहर को सज्दा करे"।_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 788, हदीस नं 1158, सफा नं 594,]_*
👉🏻 _इस हदीस शरीफ से दो बाते मालूम हुई कि खुदा के सिवा किसी के लिये सज्दा करना जाइज नही, और दूसरी बात यह के शौहर का दर्जा इतना बुलंद है कि अगर मख़्लूक में अगर किसी के लिए सज्दा करना जाइज़ होता तो औरतों को हुक़्म दिया जाता कि वह अपने शौहर को सज्दा करे।_
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _एक शख्स ने *हुज़ूर ए अक्रम ﷺ* से दर्याफ्त किया "बेहतरीन औरत की पहचान क्या है"? *हुज़ूर ﷺ* ने इर्शाद फरमाया........_
_"जो औरत अपने शौहर की इताअ़त व फ़रमाबरदारी करे"।_
📕 *_[नसाई शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 364,]_*
👉🏻 _औरत का फ़र्ज़ है कि अपने शौहर की ख़िदमत से किसी किस्म की कोताही न करे! बल्कि जिन्दगी के हर मोड पर निहायत ही खन्दा पेशानी से शौहर की ख़िदमत करके अपनी वफ़ादारी का अ़मली सुबूत दे। यहाँ तक की अगर शौहर अपनी औरत को किसी ऐसे काम का हुक़्म दे जो उसे बेकार व फ़ुजूल महसुस हो तब भी औरत का फ़र्ज़ है कि शौहर के हुक़्म की तामील करे।_
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _उम्मुल मोमीनीन हज़रत मैमूना रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि *हुजुर ﷺ* ने इर्शाद फरमाया....._
💫 _"मेरी उम्मत में सब से बेहतर वह औरत है जो अपने शौहर के साथ अच्छा सुलूक करती है! ऐैसी औरत को ऐैसे एक हज़ार शहीदों का सवाब मिलता है जो खुदा की राह में सब्र के साथ शहीद हुए, उन औरतों में से हर औरत जन्नत की हूरों पर ऐैसी फ़जीलत रखती है जैसे मुझे (यानी *मुहम्मद ﷺ*) को तुम पर फजीलत हासील है!"_
📕 *_[गुनीयातुत्तालिबीन, बाब नं 5, सफा नं 113,]_*
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत सय्यदना इमाम हसन रदी अल्लाहु तआला अन्हु रिवायत करते है...... *हुजुर ﷺ* ने इर्शाद फर्माया....._
💫 _"कोई औरत अपने खावींद के घर से भाग निकले तो उसकी नमाज कुबुल नही होती! और औरत जब नमाज पढे मगर अपने खावींद के लिये दुआ न करे तो उसकी दुआ मर्दुद होती है!"_
📕 *_[तंबीहुल- गाफेलीन सफा नं 541]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣3⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🌹🌹 *[शौहर के हुकुक़]* 🌹🌹
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदी अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है की हुजुर ﷺ ने इर्शाद फरमाय.........._
💫| _"मुझे दोजख दिखाई गई मैने वहॉ औरतो को ज्यादा पाया वजह यह है के वह कुफ्र करती है!" सहाबा किराम ने अर्ज किया "क्या वह अल्लाह के साथ कुफ्र करती है?" इर्शाद फरमाया "नही वह शौहर की नाशुक्री करती है! (जो एक तरह का कुफ्र है) और एहसान नहीं मानती, अगर तुम किसी औरत से उम्र भर एहसान और नेकी का सुलुक करो लेकीन एक बात भी खिलाफे तबीयत हो जाए तो झट कह देंगी मैने तुझ से कभी आराम और सुकुन नही पाया!"_
📕 *_[बुखारी शरीफ जिल्द १ बाब नं २१, हदीस नं २८ सफ नं १०९]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत उमर फारुख रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है की हुजुर ﷺ ने इर्शाद फर्माया........._
💫| _"क्या तुमको नही मालुम की औरत के लिये शिर्क के बाद सब से बडा गुनाह शौहर की नाफर्मानी है!"_
📕 *_[गुनीयातुत्तालेबीन बाब नं ५, सफ नं ११४]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत अबु हुरैरा रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है के हुजुर ﷺ ने इर्शाद फर्माया........._
💫 *_"शौहर अपनी बीवी को जिस वक्त बिस्तर पर बुलाए, और वह आने से इंकार कर दे, तो उस औरत पर खुदा के फरिश्ते सुबह तक लानत करते है!"_*
📕 *_[बुखारी शरीफ जिल्द ३ बाब नं ११५, हदीस नं १७८ सफ नं ९६, मुस्लीम शरीफ जिल्द १, सफ नं ४६४]_*
*____________________________________*
*_👉🏻 अफसोस! आज कल ज्यादा तर औरते अपने शौहर को बुरा भला कहती है, गालीयॉ देती है! और कुछ बेबाक औरते अपने शौहर को मारने से भी नही चुकती! कुछ मजे की खातीर बिमार शौहर को घर पर छोड कर दुनीयॉ की थोडी सी मस्ती की खातीर हमेशा हमेशा रहने वाली आखीरत की जिंदगी को बर्बाद कर बैठती है!_*
*____________________________________*
🌹🌹 *[बीवी के हुकुक़]*🌹🌹 *____________________________________*
👉🏻 _जिस तरह बीवी पर लाज़िम है कि शौहर के हुकूक़ अदा करे उसी तरह शौहर पर भी फ़र्ज़ है कि बीवी के हुकूक़ अदा करने में किसी किस्म की कोताही न करे।_
💎 _अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है......_
*_وَعَاشِرُوهُنَّ بِالْمَعْرُوفِ ۚ_*
💎 *_तर्जुमा :_* _और उनसे (औरतों से) अच्छा बर्ताव करो_
📕 *_[तर्जुमा :- कुरआन कन्जुल ईमान, पारा 4, सूरए निसा, आयत नं 19,]_*
*____________________________________*
💫 _शौहर पर बीवी की जो जिम्मेदारीयॉ आइद है इन सब मे एक बड़ी जिम्मेदारी यह भी है कि वह बीवी का महर अदा करे।_
📚 *_हदीस :_* _*हुज़ूर ﷺ* ने इर्शाद फर्माया......._
💫 _"निकाह की शर्त यानी महर अदा करने का सब से ज़्यादा ख्याल रखो।_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, सफा नं 80,]_*
👉🏻 _बीवी का महर शौहर के ज़िम्मे अदा करना वाज़िब और जरुरी है! अगर उसके अदा करने मे कोताही होंगी तो क़ियामत के दिन सख़्त गिरिफ़्त सजा होंगी! *शौहर का अपनी बीवी को सताना, गालीयॉ देना, और उस पर जुल्म व ज्यादती करना बदतरीन गुनाह है!*_
*___________________________________* 📚 *_हदीस :_* _रसूले ख़ुदा ﷺ ने इर्शाद फर्माया_
💫 *_"सब से बुरा आदमी वह है जो अपनी बीवी को सताए।"_*
📕 *_[तबरानी शरीफ,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत अनस बिन मालीक रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है की हुजुर ए अकरम ﷺ ने इर्शाद फर्माया..........._
💫 *_"वह शख्स कामील ईमान वाला है जो अपनी बीवी के साथ हुस्ने सुलुक मे अच्छा है! और मै तुम सब मे अपनी बीवीयों के साथ बेहतर सुलुक करने वाला हु!"_*
📕 *_[ तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 789, हदीस नं 1161 सफा नं 595,]_*
*____________________________________*
💫 _हजरत इमाम तिर्मीजी व हजरत इमाम इब्ने माजा रदी अल्लाहु तआला अन्हुम ने इन लफ्जो के साथ रसुले करीम ﷺ का इर्शाद नक्ल किया है, की........._
*_خیر کم خیر کم لا ھبله وانا خير كم لاهلى_*
💫 *_"तुम मे वह बेहतर है जो अपनी बीवी के साथ बेहतर है और में अपनी बीवीयों के साथ तुम सब से बेहतर हूँ"।_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣4⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🌹 *[बीवी के हुकुक़]* 🌹 *________________________________*
📚 *_हदीस : "तुम मे से वह बेहतर है जो अपनी बीवीयों के साथ बेहतर है और में अपनी बीवीयों के साथ तुम सब से ज़्यादा बेहतर हूँ"।_*
📕 *_[इब्ने माज़ा, जिल्द नं 1, हदीस नं 2047, सफा नं 551, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 595,]_*
*____________________________________*
👉🏻 _शौहर को चाहिए कि अपनी बीवी के साथ (बर्ताव मे) खुश मिज़ाज़ी, नर्मी, और मेहरबानी से पेश आएे और अपने प्यारे नबी ﷺ के फरमान पर अ़मल करे ।_
🔥 _लेकिन आज कल आम तौर पर मौजुदा दौर मे यह देखा जा रहा है कि मर्द हज़रात बाहर तो चूहा बने फिरते है! लेकिन घर आते ही शेर की तरह दहाडना शुरू कर देते है! और बे वजह बीवी पर रौब झाड़ते रहते है! बीवी से हमेशा मुहब्बत का सुलुक रखे। हाँ अगर वह नाफ़र्मानी करे, या जाइज़ हुक़्म न माने तो उस पर नाराजगी का इजहार कर सकते हैं।_
💫| _हुज़ूर सैय्यदना ग़ौसे आ़ज़म *"गुन्यतुत्तालिबीन"* मे और इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हुम] *"कीमीया-ए-सआ़दत"* में फरमाते है.........._
💫 *_"अगर बीवी शौहर की इताअ़त न करे तो शौहर नर्मी व मुहब्बत और समझा बुझा कर अपनी इताअ़त करवाए। अगर इस के बाद भी न माने तो शौहर गुस्सा करे और उसे ड़ाँट ड़पट कर समझाए! अगर फिर भी न माने तो सोने के वक्त़ उस की तरफ पीठ करके सोए। अगर उस पर भी न माने तो फिर तीन रातें उससे अलग सोए। अगर इन तमाम बातो से भी न माने और अपनी हटधर्मी पर अड़ी रहे तो उसे मारे! मगर मुँह पर न मारे, और न ही इतने जोर से मारे की जख्मी हो जाए। अगर इन सब से भी फ़ायदा न हो तो फिर एक महीने तक नाराज रहे फिर भी कुछ बात न बने तो अब एक तलाक़ दे_*
📕 *_[गुन्यतुत्तालिबीन, सफा नं 118, कीम्या-ए-सआ़दत, सफा नं 265,]_*
*____________________________________*
👉🏻 *_अगर किसी शख्स की दो बीवीयां या उससे ज़्यादा हो तो, सब के साथ बराबरी का सुलूक रखे! खाने, पीने, औढने, कपडे वगै़रह सब में इन्साफ़ से काम ले, हर बीवी के घर बराबर बराबर वक्त़ गुज़ारे और उसके लिए उनकी बारी मुक़र्रर कर ले।_*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबू ह़ुरैरा [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] से रिवायत है कि *रसूले अकरम ﷺ* ने इर्शाद फरमाया........._
💫 *_"जब किसी के निकाह में दो बीवीयां हो और वह एक ही की तरफ माइल (चाहना) हो तो वह क़ियामत के दिन जब आऐगा तो उस का आधा धड़ गिरा हुआ होंगा"।_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, हदीस नं 1137, सफा नं 584, इब्ने माज़ा, जिल्द नं 1, सफा नं 549,]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣5⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🌹🌹 *_[बीवी के गुलाम]_* 🌹🌹 *____________________________________*
👉🏻 _आजकल अक्सर देखा जा रहा है की मर्द अपनी बीवी की इताअत (कहने पर चलना) करता है! और कुछ मर्द तो इसे अपनी शान समझते है! इसका तज्कीरा बडे पुरजोश अंदाज मे अपने यार दोस्तो को करते है! और कुछ तो अपनी बीवी से इस तरह खौफजदा रहते है के भरे मज्मे मे डॉंट चुप चाप सुनने मे ही अपनी खैरीयत समझते है!_
💎 _रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है.........._
*_اَلرِّجَالُ قَوّٰمُوۡنَ عَلَی النِّسَآءِ بِمَا فَضَّلَ اللّٰہُ بَعۡضَہُمۡ عَلٰی بَعۡضٍ وَّ بِمَاۤ اَنۡفَقُوۡا مِنۡ اَمۡوَالِہِمۡ ؕ_*
*_💎तर्जुमा : मर्द अफ़सर है औरतों पर, इसलिये के अल्लाह ने इन मे एक को दुसरे पर फजीलत दी, और इसलिये के मर्दो ने इन पर अपने माल खर्च किये!_*
📕 *_[तर्जुमा कुरआन, कन्जुल ईमान सूर ए निसी, आयत नं 34,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _*रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........._
*_تعس عبدالزوجة_*
💫 *_"बीवी का ग़ुलाम बद बख़्त है_*
📕 *_[कीमीया ए सआ़दत, सफा नं 263,]_*
*____________________________________*
💫 _इमाम ग़ज़ाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है..........._
💫 _"बुजुर्गों ने फर्माया है औरतों से मशवरा करो लेकिन अ़मल उस के ख़िलाफ़ करो" *(यानी ज़रूरी नही की औरत के हर मशवरे पर अ़मल किया जाए)*_
📕 *_[कीमीया ए सआ़दत, सफा नं 263,]_*
💫 _और इमाम गजाली "इहया उल उलुम" मे हजरत हसन बसरी रदी अल्लाहु तआला अन्हु का कौल नक्ल फर्माते है......_
💫 _"जो शख्स अपनी बीवी का फर्माबरदार बना रहे, की वह जो चाहे करे तो अल्हाह तआला उसे दोजख मे औंधा गिरा देंगा"!_
*____________________________________*
👉🏻 _सद अफ़सोस! आज कल लोग औरत के बहकावे मे आकर ख़िलाफ़े शरीअ़त काम तक कर लेते है! कुछ तो औरत के इस क़द्र ग़ुलाम बन जाते है कि बीवी के कहने पर अपने माँ बाप को छोड़ देते है! अगर घर में किसी मुआमले मे झगड़ा हो जाए तो बीवी को समझाने के बजाए उल्टा अपने ही माँ बाप को झिड़कते है। और अपनी आख़िरत की बर्बादी का सामान अपने हाथों से जुटाते है! याद रखिए बीवी भले ही नाराज़ हो जाए लेकिन माँ बाप नाराज़ न होने पाए।_
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबू उमामा रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि *हुजुर ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........._
💫 *_"माँ बाप तेरी जन्नत भी है और दोज़ख भी"_*
📕 *_[इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 621, हदीस नं 1456, सफा नं 395,]_*
👉🏻 _इस हदीस का महफुम यह है कि तू अपने माँ बाप की फ़र्मांबरदारी करेगा तो जन्नत मे जाएगा और अगर नाफ़र्मानी करेगा तो दोज़ख मे जाकर सज़ा पाएगा।_
*___________________________________*
📚 *_हदीस :_* _और मजीद फर्माते है *आक़ा ﷺ*....._
💫 _"खुदा शिर्क और कुफ़्र के अलावा जिस गुनाह को चाहेगा बख़्श देगा मगर माँ बाप की नाफ़र्मानी को नही बख़्शेगा! बल्कि मौत से पहले दुनिया में भी सज़ा देगा।_
📕 *[बैहक़ी शरीफ,]*
*___________________________________*
👉🏻 _लिहाजा माँ बाप की फ़र्मांबरदारी को ही हमेशा अहमियत दे । औरत का भी फ़र्ज़ है कि वह अपने सास ससुर को अपने माँ बाप की ही तरह समझे! और उन से नेक सुलूक करे! साथ ही मर्द पर भी जिम्मेदारी है कि वह अपनी बीवी से अपने माँ बाप की इताअ़त करवाए।_
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदी अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि *हुजुर ﷺ* ने इर्शाद फरमाया......_
💫 *_जब कोई फर्माबरदार लड़का अपने माँ बाप की तरफ मुहब्बत की नज़र से देखता है,तो अल्लाह तआला उस के लिए हर नज़र के बदले एक हजे मक़बूल का सवाब लिखता है"। सहाब-ए-किराम, ने अर्ज किया----"या रसूलुल्लाह ! अगर कोई रोजाना सौ (100) देखे तो क्या उसे रोज़ाना सौ हज़ का सवाब मिलेगा"? नबी करीम ﷺ ने फर्माया.... हाँ! बेशक अल्लाह तआला बुजुर्ग व बरतर है उस को यह बात कुछ मुश्किल नही"।_*
📕 *_[बैहक़ी शरीफ,]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣6⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[बी.एफ. (Blue Film) नंगी फिल्में]_* 🔵 *_____________________________________*
👉🏻 *_हमारा और आपका मुशाहेदा है कि आज कल लोग सेक्स (Sex) की मालूमात के लिए ब्ल्यू फ़िल्में (B.F) देखते है। मख्सुस नौजवान लडके, और कुछ बेवकूफ़ शबे जुफाफ (सुहाग रात) के रोज अपनी बीवी को ख़ास तौर पर ब्ल्यू फ़िल्म दिखाते है! ताकि औरत को जिस तरह फ़िल्म मे दिखाया गया है उसी तरह वह उन से पेश आए! और यह खुद भी हर वह काम और तरीक़ाअपनाने की कोशिश करते है जो फ़िल्म में होता है! चाहे उसमें कितनी ही तकलीफ़ और परेशानी क्यों न हो। आप को मालूम होना चाहिये किसी भी मुश्किल से मुश्किल काम को फ़िल्माया जाना अलग बात है और उसको हक़ीक़त मे कर लेना अलग बात है । ब्ल्यू फ़िल्में तो सरासर आँखों की अय्याशी और धोखे के सिवा कुछ नही। आज तकरीबन हर मुसलमान यह जानता है कि यह इस्लाम में सब हराम व गुनाह है, लेकिन परवाह किसे है!_*
👉🏻 *_फ़िल्मों मे देख कर उसकी बातों को सीख कर अमल करना ऐसा ही है जैसे किसी फ़िल्म में हीरो को मोटर साइकील इस तरह चलाते हुए दिखाया जाए कि हीरो सड़कों से होते हुए मोटर सायकिल को उछाल उछाल कर लोगों की बिल्डींग और मकानों की छत पर चला रहा है, कभी इस बिल्डींग पर तो कभी उस बिल्डींग पर। इसी मंजर को किसी बेवकूफ़ ने देखा और इसी तरह करने के लिए उसने अपनी मोटर सायकील अपने घर की छत पर खड़ी करके शुरू की और क्लच दबा कर गियर बदला एक्सिलेटर क्लच के साथ छोड़ दिया, ऐसे बेवकूफ़ शख़्स का जो हाल होगा वही हाल उस शख़्स का होता है जो ब्ल्यू फ़िल्में (Blue Film) देखता है और उस पर अमल करता है! ऐसा शख़्स ग़ैरत और मर्दानगी की ऊँची छत से, बेहयाई और नामर्दी के ऐसे गढ़े में गिरता है के जिससे निकलना जिंदगी भर मुश्किल होता है।_*
*____________________________________*
🔵 *_[बद निगाही और बेपर्दगी]_* 🔵
*____________________________________*
👉🏻 _आजकल के नौजवानों मे तरह-तरह की बुराइयॉ जन्म ले चुकी है! जिसकी सबसे बड़ी वजह दीन की तालीम से दूरी है! इसके अलावा फिल्में देखने का फैशन, गंदे नावेल, गंदी तस्वीरो से पुर मेगजीन पढने का आम चलन मख्सुस औरतों और कुंवारी लड़कियों का बेपर्दा फैशन (सज धज) कर सड़कों पर खुले आम घूमना जैसी बुराइयां है_
👉🏻 *_आज के मार्डन नौज़वान ग़ैर औरतों को देखने, छुने और छेड़ छाड़ करने जैसे गुनाह को गुनाह ही नही समझते बल्की उसे फैशन और मॉर्डन कल्चर (Modern Culture) का नाम देकर मामुली बात समझते है!_* _कुछ बेवकुफ तो लडकीयो को ऐसा घुरते है, गोया वह ऑंखो के जरीये अपना माद्दा ए मन्वीया लडकी के पेट मे ही डाल देंगे! मौजुदा दौर की कुछ फैशन परस्त लडकियॉ भी किसी तरह लडको से कम नहीं! वह लडको को ऐसा घुरती है गोया वह ऑंखो ही ऑंखो ही से हामीला होना चाहती है! कुछ नौज़वान तो पेशावर औरतों (Call Girl) के पास जाने मे भी शर्म व हया तक महसूस नही करते, बल्कि उसे मर्दानगी का सुबूत व सनद (Certificate) समझते है, और जो शख़्स यह सब नही करता वह इन अय्याशों की नज़रों मे बेवकूफ़, बुजदिल, नामर्द और न जाने क्या क्या समझा जाता है।_
*__________________________________*
💎 *_देखो हमारा रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है_*
*_قُلۡ لِّلۡمُؤۡمِنِیۡنَ یَغُضُّوۡا مِنۡ اَبۡصَارِہِمۡ وَ یَحۡفَظُوۡا فُرُوۡجَہُمۡ ؕ ذٰلِکَ اَزۡکٰی لَہُمۡ ؕ اِنَّ اللّٰہَ خَبِیۡرٌۢ بِمَا یَصۡنَعُوۡنَ ﴿۳۰﴾_*
*_💎 तर्जुमा: मुसलमान मर्दो को हुक्म दो, अपनी निगाहे कुछ निची रखे! और अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करे! यह इनके लिये बहुत सुथरा है! बेशक अल्लाह को इन के कामो की खबर है!_*
📕 *_[तर्जुमा कुरआन कन्जुल ईमान सूर ए नूर (24), आयत नं 30]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣7⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[बद निगाही और बेपर्दगी]_* 🔵
*____________________________________*
💎 *_देखो हमारा रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है_*
*_قُلۡ لِّلۡمُؤۡمِنِیۡنَ یَغُضُّوۡا مِنۡ اَبۡصَارِہِمۡ وَ یَحۡفَظُوۡا فُرُوۡجَہُمۡ ؕ ذٰلِکَ اَزۡکٰی لَہُمۡ ؕ اِنَّ اللّٰہَ خَبِیۡرٌۢ بِمَا یَصۡنَعُوۡنَ ﴿۳۰﴾_*
*_💎 तर्जुमा: मुसलमान मर्दो को हुक्म दो, अपनी निगाहे कुछ निची रखे! और अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करे! यह इनके लिये बहुत सुथरा है! बेशक अल्लाह को इन के कामो की खबर है!_*
*_وَ قُلۡ لِّلۡمُؤۡمِنٰتِ یَغۡضُضۡنَ مِنۡ اَبۡصَارِہِنَّ وَ یَحۡفَظۡنَ فُرُوۡجَہُنَّ وَ لَا یُبۡدِیۡنَ زِیۡنَتَہُنَّ اِلَّا مَا ظَہَرَ مِنۡہَا وَ لۡیَضۡرِبۡنَ بِخُمُرِہِنَّ عَلٰی جُیُوۡبِہِنَّ ۪ وَ لَا یُبۡدِیۡنَ زِیۡنَتَہُنَّ اِلَّا لِبُعُوۡلَتِہِنَّ اَوۡ اٰبَآئِہِنَّ اَوۡ اٰبَآءِ بُعُوۡلَتِہِنَّ اَوۡ اَبۡنَآئِہِنَّ اَوۡ اَبۡنَآءِ بُعُوۡلَتِہِنَّ اَوۡ اِخۡوَانِہِنَّ اَوۡ بَنِیۡۤ اِخۡوَانِہِنَّ اَوۡ بَنِیۡۤ اَخَوٰتِہِنَّ اَوۡ نِسَآئِہِنَّ اَوۡ مَا مَلَکَتۡ اَیۡمَانُہُنَّ اَوِ التّٰبِعِیۡنَ غَیۡرِ اُولِی الۡاِرۡبَۃِ مِنَ الرِّجَالِ اَوِ الطِّفۡلِ الَّذِیۡنَ لَمۡ یَظۡہَرُوۡا عَلٰی عَوۡرٰتِ النِّسَآءِ ۪ وَ لَا یَضۡرِبۡنَ بِاَرۡجُلِہِنَّ لِیُعۡلَمَ مَا یُخۡفِیۡنَ مِنۡ زِیۡنَتِہِنَّ ؕ وَ تُوۡبُوۡۤا اِلَی اللّٰہِ جَمِیۡعًا اَیُّہَ الۡمُؤۡمِنُوۡنَ لَعَلَّکُمۡ تُفۡلِحُوۡنَ ﴿۳۱﴾_*
💎 *_तर्जुमा : और मुसलमान औरतों को हुक़्म दो अपनी निगाहें कुछ नीची रखे! और अपनी पारसाई की हिफ़ाज़त करे, और अपना बनाओ न दिखाए, मगर जितना खुद ही ज़ाहिर है!और वह दुपट्टे अपने गिरेबानों पर डाले रहें, और अपना सिंगार जाहिर न करे मगर अपने शौहरों पर, या अपने बाप, या शौहरो के बाप, या अपने बेटो, या अपने शौहरो के बेटे, या अपने भाई, या अपने भतीजे, या अपने भांजे, या अपने दीन की औरते, या अपनी कनीजे जो अपने हातो की मिल्क हो, या नौकर बशर्ते के शहवत वाले मर्द न हो, या वह बच्चे जिन्हे औरतो के शर्म की चिजो की खबर नही!और जमीन पर पॉंव जोर से न रखे की जाना जाए इनका छिपा हुआ सिंगार! और अल्लाह की तरफ तौबा करो ऐ मुसलमानो सब के सब इस उम्मीद पर के तुम फलह पाओ!_*
📕 *_[तर्जुमा : कुरआन कन्जुल ईमान, पारा नं 18, सूर ए नूर (24), आयत नं 30 और 31]_*
*____________________________________*
👉🏻 _उपर की इन दोनो आयते करीमा मे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने साफ़ साफ़ हुक़्म दिया है कि मर्द अपनी निगाहें नीची रखे, *यानी बद निगाही से बचे, और अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करे यानी जिना की तरफ न जाए!*_
👉🏻 _इसी तरह अल्लाह तआला औरतो को भी हुक्म फर्माता है की वह अपनी निगाहे नीची रखे, इसी तरह अपने बनाव सिंगार की भी इजाजत फर्माई है के अपना बनाव सिंगार कहॉ और किसके सामने करे! और *खुसुसी तौर पर देखा जाए तो अल्लाह ने शौहर को दर्जा अता किया है, तो यकीनन औरत का बनाव व सिंगार अपने शौहर के लिये ही होना चाहीये न की गैर मर्दो के लिये! और सिने व सर पर दुपट्टे डाले रहे!*_ *____________________________________*
🔥 *_लेकिन आज कल मुआमला उल्टा ही नज़र आ रहा है! अक्सर औरतें घर में तो सादी (Simple) रहती है, लेकिन जब बाहर निकलना होता है तो खुब बन संवर कर निकलती है! गोया के सिंगार व सफाई बाहर वालो को दिखाने के लिये है, लेकीन अपने शौहर के लिए नही!_*
*____________________________________*
💎 *_हदीसे पाक में मुहम्मद मुस्तफा ﷺ ने औरतों को घर में पाक व साफ़ और सिंगार करके रहने का हुक़्म दिया ताकि उनके शौहर इन्ही मे दिलचस्पी रखे! और गैर औरतो की तरफ न जाए!_*
*____________________________________*
💫 _इमाम अहमद रजा खॉ, आला हजरत रहेमतुल्लाही अलैही अपनी तस्नीफ "इरफाने शरीयत" मे नक्ल फर्माते है...._
💫 _"औरत का अपने शौहर के लिये गहने पहनना, बनाव सिंगार करना बाईस ए अज्रे अजीम है! और उनके हक मे नमाजे नफ्ल से अफ्जल है! कुछ नेक औरते जिनके शौहर औलिया ए किराम से थे और वह खुद वलीयॉ थी हर शब नमाजे इशा पुरा सिंगार करके अपने शौहर के पास आती अगर उन्हे अपनी तरफ हाजत पाती वही हाजीर रहती वर्ना नमाज मे मश्गुल हो जाती_
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[बद निगाही और बेपर्दगी]_* 🔵
*_____________________________________*
💫 _औरत का जेवर होने के बावजुद बगैर जेवर रहना मकरुह है की मर्दो से मुशाबहत है! हदीस मे है *रसुलुल्लाह ﷺ* ने मौला अली कर्रमल्लाहु वज्हु से फर्माया "एे अली अपनी घर की औरतो को हुक्म दो की बगैर गहने नमाज न पढें!"_
💫 _उम्मुल मोमीनीन हजरत आइशा सिद्दीका रदि अल्लाहु तआला अन्हा औरत का बेजेवर नमाज पढना मकरूह जानती और फर्माती है की... " कुछ न पाए तो एक डोरा ही गले मे बांध ले!"_
📕 *_[इर्फाने शरीयत जिल्द 1, मस्अला नं 75, सफ 19-20]_*
*____________________________________*
👉🏻 *_इस्लाम ने औरतो को सजने संवरने से कभी मना नहीं किया है, बल्की सजने, संवरने, सिंगार करने का हुक्म दिया है! यहॉ तक की कुवांरी लडकियो को जेवर व लिबास से सजाए रखना की उनके रिश्ते आए यह सुन्नत है_*
👉🏻 _गर्ज की इस्लाम औरतो के फैशन या सिंगार के खिलाफ नही, *बल्की वह बेपर्दगी व बेहुदगी के खिलाफ है!* ऐ मेरी प्यारी इस्लामी बहनो! याद रखो इस्लाम तुम्हे फैशन करने , सजने संवरने से नही रोकता बल्की वह सिर्फ और सिर्फ यह चाहता है की अगर तुम शादी-शुदा हो तो अपने शौहर के लिये सिंगार करो की उन्ही का तुम पर हक है! *इस्लाम तुम्हारी इज्जत व आब्रु की हिफाजत और फलाह के लिये तुम से यह मुतालबा करता है की सडको, बाजारो, बागो, मेले, और सिनेमा घरो मे इठलाती बल खाती फिर कर अपने हुस्न को नुमाईश का जरीया न बनाओ!*_
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _सुनो *रसूले करीम ﷺ* क्या इर्शाद फर्माते है_
💫 *_"और, औरत है यानी छुपाने की चीज़ है, जब वह बाहर निकलती है, तो उसे शैतान झाँक कर देखता है_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द 1, बाब नं 796, हदीस नं 1173, सफा नं 600,]_*
👉🏻 *_बद निगाही मे मर्द और औरत दोनो कुसूरवार है और गुनाह मे बराबर के हकदार है! मर्द इस तरह कि वह उनसे बद निगाही करते है, उन्हें छेड़ते है! और औरतें इस तरह कि वह बेपर्दा सड़को पर खुले आम निकलती है ताकि मर्द उसे देखे ।_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हुजुर ﷺ फर्माते है.........._
💫 *_"जिस गै़र औरत को जान बूझ कर देखा जाए, और जो औरतें अपने को जान बूझ कर गै़र मर्दों को दिखाए, उस मर्द और औरत पर अल्लाह की लानत"।_*
📕 *_[मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2991, सफा नं 77,]_*
*________________________________*
📚 *हदीस :* _हज़रत मैमूना बिन्ते साअ़द [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] रिवायत करती है कि *हुज़ूरे अकरम ﷺ* ने इर्शाद फर्माया....._
✨| _"अपने शौहर के सिवा दूसरों के लिए ज़ीनत के साथ दामन घसिटते हुए (इतराकर) चलने वाली औरत क़ियामत के अँधेरो की तरह है जिसमें कोई रौशनी नहीं"।_
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 791, हदीस नं 116, सफा नं 597,]_*
*___________________________________*
📚 *_हदीस :_* _*रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फर्माया....._
💫 _(जब मर्द गै़र औरत को देखता है और औरत गै़र मर्द को देखती है) दोनों की आँखें जिना करती है।_
📕 *_[कशफ़ुल महजूब, सफा नं 568,]_*
*________________________________*
📚 *_हदीस :_* _फर्माया हमारे *आक़ा मदनी ﷺ* ने........_
💫 *_"मर्द का गै़र औरतों को, और औरतो का गै़र मर्दों को देखना आँखों का ज़िना है, पैरों से उस की तरफ चलना पैरों का ज़िना है, कानो से उस की बात सुनना कानो कानो का ज़िना है, ज़बान से उस के साथ बात करना ज़बान का ज़िना है, दिल में ना जाइज़ मिलाप की तमन्ना करना दिल का ज़िना है, हाथों से उसे छूना हाथों का ज़िना है"।_*
📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 2 बाब नं 121, हदीस नं 385, सफा नं 147,]_*
*________________________________*
📚 *_हदीस :_* _फर्माते है हमारे *मदनी आक़ा ﷺ*_
💫 *_"जब गै़र मर्द और गै़र औरत तन्हाई में किसी जगह एक साथ होते है तो उनमे तीसरा शैतान होता है।_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 794, हदीस नं 1171, सफा नं 599,]_*
*___________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-6⃣9⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[बद निगाही और बेपर्दगी]_* 🔵
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत उक्बा बिन आमीर रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है.. *सैय्यदे आलम ﷺ* ने इर्शाद फर्माया......_
💫 _"तन्हा गै़र औरत के पास जाने से परहेज़ करो!" एक सहाबी ने अर्ज किया..... "या रसूलुल्लाह! देवर के बारे में क्या इर्शाद है"? फर्माया.... "देवर तो मौत है"!_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 141, हदीस नं 216, सफा नं 108, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 794, हदीस नं 1171, सफा नं 599, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2968, सफा नं 73,]_*
👉🏻 _अब आप खुद ही अंदाज़ा लगाईये जब देवर के सामने भी भाभी को आने से मना किया गया यहाँ तक कि उसे मौत की मिस्ल बताया गया तो फिर बताईये दोस्तो की बिवीयों को मुंह बोली भाभी बनाकर उनसे हंसी मजाक करना, शादि ब्याह में, और दीगर मुक़ामात पर गै़र मर्दों का औरतों के सामने आना और औरतों का गै़र महरम मर्दों के सामने बे हिजाब आना, बातचीत करना और यही नहीं बल्की उन्हे छुना, उन से हंसी मजाक करना किस क़द्र ख़तरनाक है!_
👉🏻 _लिहाजा मर्दो पर जरूरी है कि वह अपनी औरतो को और इसी तरह से मॉ-बाप अपनी जवान कुंवारी लड़कियों को पर्दा करवाए! और अपने दोस्तो के सामने भी बेहिजाब आने से मना करे! और बिला जरूरत बाजारों, तफ्रीगाहो (Picnic Spot) और सिनेमा हॉलो मे जाने से रोके।_
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रते उम्मे सलमा [रदि अल्लाहु तआला अन्हा] फर्माती है...._
✨ _"एक दिन एक नाबीना सहाबी *हुजुर ﷺ* से मिलने आए मै और *हुजुर ﷺ* की दूसरी बीवीयां वही बैठी थी! *हुजुर ﷺ* फर्माया...."पर्दा करो"....फर्माती है हम ने अर्ज किया........."या रसूलुल्लाह! यह तो देख नही सकते?" फर्माया....... "तुम तो नाबीना नही हो तुम तो देख सकती हो"।_
📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 258, हदीस नं 711, सफा नं 246, तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 279,]_*
👉🏻 *_अब जरा अंदाजा लगाइए जब नाबीना से भी हुजुर ﷺ ने अपनी अज्वाजे मुतह्हरात जिनके बारे मे कुरआने करीम का ऐलान है की नबी की बीवीयॉं तमाम मुसलमानो की मॉंए है, उन से भी पर्दा करवाया तो क्या आज की औरतो को पर्दा करना जरुरी न होंगा⁉ यकीनन जरूरी होंगा! और अगर औरते उसके लिये तैयार नहीं तो जहन्नम के शदीद नाकाबील ए बर्दाश्त अजाब के लिये तैयार रहे!_*
*____________________________________*
✍🏻 _इमाम ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] ने क्या खूब फर्माया है......._
👉🏻 _"मर्द अपनी औरतों को घर की छत और दरवाज़े पर जाने न दे ताकि वह गै़र मर्दों को और गै़र मर्द उसे न देखे, क्यो की बुराइयो की इब्तीदा घर की खिड़की व दरवाजे़ से शुरु होती है, औरतो को खिडकी, दरवाजे से मर्दों का तमाशा देखने की इज़ाज़त न दे कि तमाम आफ़ते आँख से पैदा होती है घर में बैठे बैठे नही पैदा होती!"_
📕 *_[कीमीया-ए-सआ़दत, सफा नं 263,]_*
*___________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत जरीर बिन अब्दुल्लाह रदि अल्लाहु तआला अन्हु का बयान है............_
💫 _"मैंने *रसूलुल्लाह ﷺ* से अचानक नज़र पड़ जाने के मुतअल्लिक़ पूछा तो फ़र्माया कि......"अपनी नजर फेर लिया करो"।_
📕 *_[मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, हदीस नं 2970, सफा नं 73,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _*हमारे प्यारे आका हुजुर ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........_
💎 *_"जब मर्द के सामने कोई अजनबी औरत आती है तो शैतान की सूरत में आती है! जब तुम मे से कोई किसी अजनबी औरत को देखे और वह उसे अच्छी मालूम हो तो चाहिये कि अपनी बीवी से सोहबत कर ले (ताकि गुनाह से बच जाए) तुम्हारी बीवी के पास भी वही चीज़ मौजूद है जो उस अजनबी औरत के पास मौजूद है! (अगर कोई कुंवारा हो तो तो वह रोज़ा रख ले की रोज़ा गुनाह को रोकने वाला और शहवत को मिटाने वाला है!)_*
📕 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, सफा नं 594, मिश्क़ात शरीफ, जिल्द नं 2, सफा नं 73,]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣0⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_[बद निगाही और बेपर्दगी]_* 🔵
*____________________________________*
✍🏻 *_मस्अला :_* _कुछ औरतें अपने मर्दों के सामने मनीहार (चूड़ी बेचने वालों) के हाथ से चूड़ीयां पहनती है, यह हराम है। हाथ दिखाना गै़र मर्द को हराम है। उस के हाथ में हाथ देना हराम है। जो मर्द अपनी औरतों के साथ इसे जाइज़ रखते है दैयूस (यानी बेग़ैरत, बेशर्म) है।_
📕 *_[फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 9, सफा नं 208]_*
*___________________________________*
✍🏻 *_मस्अला :_* _औरत अगर किसी ना महरम के सामने इस तरह आए की उसके बाल, गला, गर्दन या पीठ, पेट या कलाई का कोई हिस्सा जाहीर हो, या लिबास ऐसा बारीक हो के इन चीजों मे से कोई उसमे से चमके (बाहर दिखाई दे) तो यह बिल-इज्मा हराम है!और ऐसी वजह व लिबास की आदी औरते फासीकात है!और उनके शौहर अगर उस पर राजी हो, और ताकत होने के बावजुद औरत को उससे मना न करे तो दय्युस (बेगैरत बेशर्म) है! और ऐसो को इमाम बनाना गुनाह है! अगर तमाम बदन सर से पॉंव तक मोटे कपडे मे खुब छिपा हुआ हो, सिर्फ मुंह की टिकली खुली हुई है, जिसमे कुछ हिस्सा कान का या ठोढी के निचे का या पेशानी का जाहीर नहीं तो अब फत्वा उससे भी मुमानेअत पर है! और औरत का ऐसा रहना शौहर की रजा से हो तो उसके पिछे भी नमाज पढने से परहेज जरूरी है की फित्ना को खत्म करना शरीअत के वाजीबात मे से अहम वाजीब है!_
📕 *_[इरफाने शरीअत, जिल्द नं 2, सफा नं 4]_*
*___________________________________*
*_👉🏻 आजकल मर्द हजरात खुद अपनी बीवी को बाजारो, बागो, सिनेमा हॉल और दिगर मकामात पर ले जाते है! और पर्दे का एहतमाम नही करते और औरतो को गैर मर्दो के सामने नुमाइश का जरीया बनाते है! इस बात पर भी तवज्जो और गौर फिक्र करने की जरूरत है!_*
*____________________________________*
🔵 *_ज़िना का बयान_* 🔵
*____________________________________*
💎 *_अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इर्शाद फर्माता है_*
*_وَ لَا تَقۡرَبُوا الزِّنٰۤی اِنَّہٗ کَانَ فَاحِشَۃً ؕ وَ سَآءَ سَبِیۡلًا ﴿۳۲﴾_*
💎 *_तर्जुमा: "और बदकारी के पास न जाओ, बेशक वह बेहयाई है, और बहुत ही बुरी राह!"_*
📕 *_[तर्जुमा कुरआन कन्जुल ईमान सूर ए बनी इसराईल आयत नं 32]_*
*___________________________________*
💎 *_अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इर्शाद फर्माता है_*
*_وَ الَّذِیۡنَ ہُمۡ لِفُرُوۡجِہِمۡ حٰفِظُوۡنَ ﴿ۙ۲۹﴾ اِلَّا عَلٰۤی اَزۡوَاجِہِمۡ اَوۡ مَا مَلَکَتۡ اَیۡمَانُہُمۡ فَاِنَّہُمۡ غَیۡرُ مَلُوۡمِیۡنَ ﴿ۚ۳۰﴾ فَمَنِ ابۡتَغٰی وَرَآءَ ذٰلِکَ فَاُولٰٓئِکَ ہُمُ الۡعٰدُوۡنَ ﴿ۚ۳۱﴾_*
💎 *_तर्जुमा : "और वह जो अपनी शर्मगाहो की हिफ़ाज़त करते है!" (29) "मगर अपनी बीवीयों या अपने हाथ के माल कनीजो से के इन पर कुछ मलामत नही!" (30) "तो जो इन दो के सिवा और चाहे वही हद से बढने वाले है!"(31)_*
📕 *_[तर्जुमा कुरआन कन्जुल ईमान सूर ए मआरीज आयत नं 29, 30 और 31]_*
*___________________________________*
🔥 *_जिना किसे कहते है⁉🔥_*
👉🏻 *_कोई भी मर्द (Male)किसी भी ऐसी औरत से सोहबत (संभोग) करे जिसका वह मालिक नही, (यानी उस से निकाह नही हुआ हो) या कोई भी औरत (Female)किसी ऐसे मर्द से मुबाशरत करे जीस की वह जौजीयत मे ना हो (यानी उस से निकाह नही हुआ हो) उसे ज़िना कहते है। जिना करने वाले मर्द को जिनाकार कहते है! और जिना करने वाली औरत को जानीयॉ कहते है! चाहे मर्द और औरत दोनो राज़ी हो! चाहे इस मे (नाजाइज जिस्मानी रिश्ता बनाने मे) पहल कोई मर्द करे या औरत! इसी तरह पेशा करने वाली बाज़ारी औरतों (Call Girl) और तवाएफ़ो के साथ भी मुबाशरत (सोहबत) करने को भी ज़िना ही कहा जाएगा।_*
*____________________________________*
👉🏻 *_उपर दी हुई सुर ए बनी इसराईल की आयत मे अल्लाह रब्बुल इज्जत ने वाजेह तौर पर इर्शाद फर्मा दिया है के...... "बदकारी के पास न जाओ बेशक वह बेहयाई है! और बहुत ही बुरी राह!"_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣1⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_ज़िना का बयान_* 🔵
*____________________________________*
👉🏻 *_यक़ीनन ज़िना गुनाहे अजीम (बडा) और बहुत बड़ी बला है! यह इन्सान की दुनिया और आखिरत को तबाह व बर्बाद कर देता है!_*
*____________________________________*
👉🏻 *_वह नौजवान जो काफीरों (नास्तीको) की लड़कियों से नाज़ाइज़ ताल्लुक़ात रखते है! (और यह समझते है के यह कोई गुनाह नही इसलिये के वह काफीरा (नास्तीक) है!) यह सख़्त जेहालत है! काफीरा (नास्तीक) लड़की से मुबाशरत (सोहबत) भी ज़िना ही कहलाएगी!_*
👉🏻 *_इसी तरह काफीर, (नास्तीक)मजुसी, बुत परस्त, सितारा परस्त, उन से निकाह किया तो निकाह ही नही होंगा बल्की वह भी महज जिना मे ही शुमार होंगा!_*
👉🏻 *_इसी तरह जितने भी दीन से फिरे हुए बदमजहब बातील फिर्के है! उन से निकाह किया तो निकाह ही नही होंगा बल्की वह भी महज जिना ही कहलाएंगा जब तक की वह अकाइद ए बातीला से सच्ची तौबा न करे!_*
*____________________________________*
📚 _*हदीस :* अल्लाह के *रसूल ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........_
💫 *_"शिर्क के बाद अल्लाह के नज़्दीक इस गुनाह से बड़ा कोई गुनाह नही की, एक शख्स किसी ऐसी औरत से सोहबत करे जो उस की बीवी नही!_*
_और फर्माते है हमारे प्यारे आका *हुजुर ﷺ*......._
💫 *_"जब कोई मर्द और औरत ज़िना करते है तो ईमान उन के सीने से निकल कर सर पर साए की तरह ठहर जाता है"।_*
📕 *_[मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत इकरमा ने हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा]से पूछा...._
💫 _"ईमान किस तरह निकल जाता है"⁉ हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास ने अपने एक हाथ की उंगलियॉ दुसरे हाथ की उंगलियो मे डाली और फिर निकाल ली और फर्माया "इस तरह !"_
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 968, हदीस नं 1713, सफा नं 614, अशअ़तुल लम्आत, जिल्द नं 1, सफा नं 287,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अबूह़ुरैरा व इब्ने अब्बास [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] से रिवायत है कि *ताजदार ए मदिना ﷺ* ने इर्शाद फर्माया........_
💎 *_"मोमिन होते हुए तो कोई ज़िना कर ही नही सकता"!_*
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 968, हदीस नं 1714, सफा नं 614,]_*
*____________________________________*
👉🏻 _हज़रत इमाम ग़ज़ाली [रदि अल्लाहु तआला अन्हु] रिवायत करते है..........._
💫 *_" जिसने किसी गैर शादी-शुदा औरत का बोसा लिया, उसने गोया सत्तर कुवांरी लडकियों से जिना किया! और जिसने कुवांरी लडकी से जिना किया, तो गोया उसने सत्तर हजार शादी-शुदा औरतों से जिना किया!"_*
*_[मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 169,]_*
*____________________________________*
👉🏻 _हज़रत इमाम ग़ज़ाली और हजरत इमाम अबुल्लैस समरकंदी [रदि अल्लाहु तआला अन्हुमा] नकल करते है की........_
💫 _"बाज सहाब-ए-किराम, से मरवी है कि ज़िना से बचो इस में *"छह" (6)* मुसीबतें है जिन मे से तीन का तअ़ल्लुक़ दुनिया से और तीन का आख़िरत से है। दुनिया की मुसीबतें यह है......_
1⃣ *_ज़िन्दगी मुख़्तसर (कम) हो जाती है।_*
2⃣ *_दुनिया में रिज़्क़ कम हो जाता है।_*
3⃣ *_चेहरे से रौनक (नुरानियत) ख़त्म हो जाती है।_*
👉🏻 *_और आख़िरत की मुसीबतें येह है कि......_*
4⃣ *_आख़िरत में खुदा की नाराज़गी_*
5⃣ *_आख़िरत में सख़्त पूछ ताछ होगी।_*
6⃣ *_ज़हन्नम में जाएगा और सख़्त अज़ाब़ पाएंगा!_*
📕 *_[तंबीहुल गाफेलीन सफ 381, मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*
*____________________________________*
👉🏻 *_रिवायत_* _हजरत मुसा अलैहिस्सलाम ने अल्लाह अज्जा व जल्ल से जिना करने वाले की सजा के बारे मे पुछा, तो रब तबारक व तआला ने इर्शाद फर्माया._
💎| *_"ऐ मुसा! जिना करने वाले को मै आग की जिरह (आग का लिबास) पहनाऊंगा! जो ऐसा वजनी है की अगर बहुत बडे पहाड पर रख दिया जाएंगा तो वह (पहाड) भी रेजा-रेजा हो जाए"_*
📕 *_[मुका़शीफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*
*___________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣2⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_ज़िना का बयान_* 🔵
*___________________________________*
💎 *_अल्लाह तबारक तआला इर्शाद फ़र्माता है!.._*
*_وَ الَّذِیۡنَ لَا یَدۡعُوۡنَ مَعَ اللّٰہِ اِلٰـہًا اٰخَرَ وَ لَا یَقۡتُلُوۡنَ النَّفۡسَ الَّتِیۡ حَرَّمَ اللّٰہُ اِلَّا بِالۡحَقِّ وَ لَا یَزۡنُوۡنَ ۚ وَ مَنۡ یَّفۡعَلۡ ذٰلِکَ یَلۡقَ اَثَامًا ﴿ۙ۶۸﴾_*
💎 *_तर्जुमा : और वह लोग अल्लाह के साथ किसी दुसरे माबूद को नही पुजते, और इस जान को जिसकी अल्लाह ने हुरमत रखी नाहक नही मारते, और बदकारी नही करते, और जो यह काम करे वह सजा पाएंगा! (यानी ज़िना करने वाले असाम में डाले जाएंगे!)_*
📕 *_[तर्जुमा : क़ुरआन कंजुल इमान सूर ए फ़ुरक़ान, आयत नं 68,]_*
👉🏻 *_असाम के बारे में उलमा-ए-किराम ने कहा कि वह ज़हन्नम का एक ग़ार है, जब उस का मुँह खोला जाएगा तो उस की बदबू से तमाम ज़हन्नमी चीख उठेंगे ।_*
📕 *_[मुका़शफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 167,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _अल्लाह के रसुल ﷺ इर्शाद फरमाते है...._
💫 *_"सातों आसमान और सातों जमीन और पहाड़ (उम्र दराज) ज़िनाकार पर लानत भेजते है और क़ियामत के दिन ज़िनाकार मर्द व औरत की शर्मगाह से इस कद्र बदबू आती होगी के ज़हन्नम मे जलने वालों को भी उस (बदबु) से तकलीफ़ पहुँचेगी।_*
📕 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1, हिस्सा 9, सफा 43,]_*
👉🏻 _यह तमाम सज़ाए तो आख़िरत मे मिलेगी लेकिन ज़िना करने वाले पर शरीअ़त ने दुनिया में भी सज़ा मुक़र्रर की है। इस्लामी हुकूमत हो तो बादशाहे वक्त़ या फिर क़ाज़ी शरअ पर ज़रूरी है कि जानी (ज़िना करने वाले ) पर जुर्म साबित हो जाने पर शरीअ़त के हुक़्म के तहत सजा दे! हदीसे पाक में है कि अगर किसी को दुनिया में सज़ा न मिल सकी (सजा से बच गया) तो आख़िरत मे उस को सख़्त अज़ाब़ दिया जाएगा, और अगर दुनिया में सज़ा मिल गई तो फिर अल्लाह चाहे तो उसे मुआ़फ फरमा दे।_
*____________________________________*
✍🏻 *_[दुनिया में सज़ा :]_* _अल्लाह और उसके *रसूल ﷺ* ने ज़िनाकार मर्द और औरत को सज़ा का हुक़्म दिया और उस पर *रसुलुल्लाह ﷺ* ने अमल भी करवाया। चुनांचे कुरआन ए पाक मे_
💎 *_अल्लाह तबारक तआला इर्शाद फ़र्माता है!.._*
*_اَلزَّانِیَۃُ وَ الزَّانِیۡ فَاجۡلِدُوۡا کُلَّ وَاحِدٍ مِّنۡہُمَا مِائَۃَ جَلۡدَۃٍ ۪ وَّ لَا تَاۡخُذۡکُمۡ بِہِمَا رَاۡفَۃٌ فِیۡ دِیۡنِ اللّٰہِ اِنۡ کُنۡتُمۡ تُؤۡمِنُوۡنَ بِاللّٰہِ وَ الۡیَوۡمِ الۡاٰخِرِ ۚ وَ لۡیَشۡہَدۡ عَذَابَہُمَا طَآئِفَۃٌ مِّنَ الۡمُؤۡمِنِیۡنَ ﴿۲﴾_*
💎 *_तर्जुमा : जो औरत बदकार हो, और जो मर्द तो, इन मे हर एक को सौ (100) कोडे लगाओ, और तुम्हे उन पर तरस न आए! अल्लाह के दीन मे अगर तुम ईमान लाते हो, अल्लाह और पिछले दीन पर! और चाहीए की उनकी सजा के वक्त मुसलमानो का एक गिरोह हाजीर हो!_*
📕 *_[तर्जुमा : क़ुरआन कंजुल इमान , सूर ए नुर आयत नं 2]_*
👉🏻 *_(यह सजा गैर शादी-शुदा (जिसकी शादी न हुई हो!) मर्द और औरत के लिये मुकर्रर है!)_*
*____________________________________*
💫 *_हुजुर ﷺ इर्शाद फरमाते है......._*
📚 *_हदीस : ज़िना करने वाले शादी शुदा है तो खुले मैदान में संगसार किया जाए! (यानी पत्थरों से मार-मार कर जान से खत्म कर दिया जाए!) और गै़र शादी शुदा हो तो सौ (100) दुर्रे (कोडे, चाबुक)मारे जाए_*
📚 _हदीस : हजरत शोअबी रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने हजरत अली रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत की है की......_
💫| *_हजरत अली ने जुमा के रोज एक जानी औरत को संगसार किया तो फर्माया की मैने उसे रसुलुल्लाह ﷺ की सुन्नत के मुताबीक संगसार किया है!_*
📕 *_[बुखारी शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 968, 980, हदीस नं 1715, सफा नं 615, 625,]_*
*____________________________________*
👉🏻 *_शादी शुदा जानी मर्द व औरत को संगसार करने और गैर शादी-शुदा जानी (जिनाकार) मर्द व औरत को सौ कोडे लगाने का हुक्म स्याहे सित्ता के अलावा अहादीस की तकरीबन सभी किताबो मे मौजुद है! जिससे इंकार की कोई गुंजाइश नही! यहा पर (Topic) के लंबाई के खौफ से बुखारी शरीफ की उपर की दो हदिसों पर ही इत्तेफाक किया जाता है!_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣3⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_ज़िना का बयान_* 🔵
*___________________________________*
👉🏻 *_जिना कैसे साबीत होंगा?_*
💎 *_अल्लाह तबारक तआला इर्शाद फ़र्माता है!.._*
*_وَ الَّذِیۡنَ یَرۡمُوۡنَ اَزۡوَاجَہُمۡ وَ لَمۡ یَکُنۡ لَّہُمۡ شُہَدَآءُ اِلَّاۤ اَنۡفُسُہُمۡ فَشَہَادَۃُ اَحَدِہِمۡ اَرۡبَعُ شَہٰدٰتٍۭ بِاللّٰہِ ۙ اِنَّہٗ لَمِنَ الصّٰدِقِیۡنَ ﴿۶﴾_*
*_وَ الۡخَامِسَۃُ اَنَّ لَعۡنَتَ اللّٰہِ عَلَیۡہِ اِنۡ کَانَ مِنَ الۡکٰذِبِیۡنَ ﴿۷﴾_*
*_وَ یَدۡرَؤُا عَنۡہَا الۡعَذَابَ اَنۡ تَشۡہَدَ اَرۡبَعَ شَہٰدٰتٍۭ بِاللّٰہِ ۙ اِنَّہٗ لَمِنَ الۡکٰذِبِیۡنَ ۙ﴿۸﴾_*
*_وَ الۡخَامِسَۃَ اَنَّ غَضَبَ اللّٰہِ عَلَیۡہَاۤ اِنۡ کَانَ مِنَ الصّٰدِقِیۡنَ ﴿۹﴾_*
💎 *_तर्जुमा आयत नं 6 : और वह जो अपनी औरतो को ऐब लगाए, और इनके पास अपने बयान के सिवा गवाह न हो तो, ऐसे किसी की गवाही यह है के,चार बार गवाही दे अल्लाह के नाम से के वह सच्चा है!_*
💎 *_तर्जुमा आयत नं 7 : और पॉंचवी यह के अल्लाह की लानत हो इस पर अगर झुठा हो!_*
💎 *_तर्जुमा आयत नं 8 : और औरत से युं सजा टल जाएंगी के वह अल्लाह का नाम लेकर चार बार गवाही दे के मर्द झुठा है!_*
💎 *_तर्जुमा आयत नं 9 : और पॉंचवी युं के औरत पर गजब अल्लाह का अगर मर्द सच्चा हो!_*
📕 *_[तर्जुमा : क़ुरआन कंजुल इमान सूर ए नुर आयत नं, 6, 7, 8 और 9]_*
*___________________________________*
👉🏻 *_किन लोगो की गवाही मोतब्बर मानी जाएंगी?_*
💫 _जिना का सुबुत बाशरअ, नमाजी, परहेजगार, मुत्तकी, जो न कोई गुनाहे कबीरा करते हो, न किसी गुनाहे सगीरह पर इसरार रखते हो, न कोई बात खिलाफे मुरव्वत छिछोरे पन की करते हो, और न ही बाजारो मे खाते पिते हो, और न ही सडको पर पेशाब करते हो, ऐसे चार मर्दो की गवाही से जिना साबीत होता है! या जिना करने वाले के चार मर्तबा इकरार कर लेने से, फिर भी इमाम बार बार सवाल करेंगा और दर्याफ्त करेंगा की........ *तेरी जिना से मुराद क्या है? कहॉं किया? किससे किया? कब किया?* अगर इन सबको बयान कर दिया तो *जिना* साबीत होंगा वर्ना नही!_
👉🏻 *_झुठी गवाही देने वालो की सजा_* _और गवाहो को खुल कर साफ साफ अपना चश्मदीद मुआइना बयान करना होंगा की हमने मर्द का बदन औरत के बदन के अंदर खास इस तरह देखा *जैसे सुरमे दानी मे सलाई* अगर इन बातो मे से कोई भी बात कम होंगी मसलन चार गवाहो से कम हो या उन मे एक आला दर्जा का न हो, या मर्द तीन हो और औरते दस-बिस ही क्यो न हो, इन सब सुरतो मे यह गवाहिंयॉ नही मानी जाएंगी! अगर्चे इस किस्म की सौ दो सौ गवाहियॉ गुजरी हरगिज जिना का सुबुत न होंगा और ऐसी तोहमत लगाने वाले खुद ही सजा पाएंगे! और उन्हे बतौर सजा अस्सी कोडे लगाए जाएंगे!_
📕 *_[फतावा रज्वीया, जिल्द 5 सफा नं. 974]_*
*_وَ الَّذِیۡنَ یَرۡمُوۡنَ الۡمُحۡصَنٰتِ ثُمَّ لَمۡ یَاۡتُوۡا بِاَرۡبَعَۃِ شُہَدَآءَ فَاجۡلِدُوۡہُمۡ ثَمٰنِیۡنَ جَلۡدَۃً وَّ لَا تَقۡبَلُوۡا لَہُمۡ شَہَادَۃً اَبَدًا ۚ وَ اُولٰٓئِکَ ہُمُ الۡفٰسِقُوۡنَ ۙ﴿۴﴾_*
💎 *_तर्जुमा: जो लोग पाक दामन औरतो पर जिना की तोहमत (इल्जाम) लगाए, फिर चार गवाह न पेश कर सके, तो इन्हे 80 कोडे लगाओ, और कभी भी इनकी गवाही कबुल न करो यह फासीक (झुठे) लोग है!_*
📕 *_[तर्जुमा : क़ुरआन कंजुल इमान सूर ए नुर आयत न. 4]_*
*____________________________________*
_आला हजरत इमाम अहमद रजा कादरी और हजरत सदरूल-अफाजील अल्लामा नईमुद्दीन मुरादाबादी रहमतुल्लाह अलैही *"फतावा रज्वीया"* और तफ्सीर कुरआने करीम *"खजाएनुल-इर्फान"* मे *गैर शादी-शुदा जानी मर्द और जानी औरत के सजा के बारे मे* नक्ल करते है............_
*_"जानी मर्द को कोडे लगाते वक्त खडा किया जाए! और उसके तमाम बदन के कपडे उतार दिये जाए, सिवाए लुंगी के और उसके तमाम बदन पर कोडे लगाए जाए सिवाए चेहरा और शर्मगाह के! और औरत को कोडे लगाते वक्त खडा न किया जाए न उसके कपडे उतारे जाए अगर पोस्तीन या रूईदार कपडे पहने हुए हो तो उतार लिया जाए!"_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣4⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_पेशावर औरते (वेश्याए_* 🔵
*_____________________________________*
👉🏻 _अक्सर नौजवान अपनी जवानी पर काबु नही रखते है! गलत संगत और सोहबत मे पडकर अपनी हवस को मिटाने के लिये पेशावर (वेश्याओ) का सहारा लेते है! और कुछ शादी-शुदा भी अपनी बिवी के होते हुए पेशावर औरतो के पास जाना नही छोडते!_
_अगर एक ही *प्लेट* मे तरह -तरह के खाने खट्टा, मिठ्ठा, तेज और कडवा सब मिलाकर रख दिया जाए तो यकीनन उसमे बदबु और किडे पड ही जाएंगे! बस इन पेशावर औरतो की मिसाल इसी *प्लेट* की मानींद है! एक वक्त की जरा सी लज्जत के लिये उस *प्लेट* से एक बार भी कुछ चखा नही के वह *एक ऐसी दलदल मे फंस जाता है, के जितना बाहर निकलने की कोशीश करता है, उतना ही और दलदल मे फंसता चला जाता है!* नतीजा उसकी उम्र भर की सेहत, तंदरुस्ती, इज्जत, शौहरत, दौलत, आराम, सुकुन व चैन सब कुछ बर्बाद होकर रह जाता!_
*____________________________________*
💎 *_हमारा रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है..._*
*_قُلۡ لِّلۡمُؤۡمِنِیۡنَ یَغُضُّوۡا مِنۡ اَبۡصَارِہِمۡ وَ یَحۡفَظُوۡا فُرُوۡجَہُمۡ ؕ ذٰلِکَ اَزۡکٰی لَہُمۡ ؕ اِنَّ اللّٰہَ خَبِیۡرٌۢ بِمَا یَصۡنَعُوۡنَ ﴿۳۰﴾_*
*_मुसलमान मर्दो को हुक्म दो, अपनी निगाहे कुछ निची रखे! और अपनी शर्मगाहो की हिफाजत करे! यह इनके लिये बहुत सुथरा है! बेशक अल्लाह को इनके कामो की खबर है!_*
💎 *_और अल्लाह तआला इर्शाद फरमाता है......_*
*_اَلۡخَبِیۡثٰتُ لِلۡخَبِیۡثِیۡنَ وَ الۡخَبِیۡثُوۡنَ لِلۡخَبِیۡثٰتِ ۚ وَ الطَّیِّبٰتُ لِلطَّیِّبِیۡنَ وَ الطَّیِّبُوۡنَ لِلطَّیِّبٰتِ ۚ_*
💎 *_गंदियॉं गंदो के लिये, और गंदे गंदीयों के लिये और सुथरीयॉ सुथरो के लिये, और सुथरे सुथरीयो के लिये!_*
📕. *_[तर्जुमा : कुरआन कंजुल इमान सुर ए नुर आयत नं. 30 और 20]_*
💫 _इन आयतो की तफ्सीर मे उलमा ए किराम इर्शाद फर्माते है की......_
*_"बदकार और गंदी औरते, गंदे और बदकार मर्दो के लायक है! इसी तरह बदकार और गंदे मर्द इसी काबील है के उनका ताल्लुक उन जैसे ही गंदी और बदकार औरतो से हो! जबकी सुथरे (पाक), नेक मर्द सुथरी (पाक), और नेक औरतो के लायक है! इसी तरह सुथरी, नेक औरत सुथरे और नेक मर्द के लायक है! और सुथरे, नेक का रिश्ता सुथरी, नेक औरतो से और सुथरी और नेक औरत का रिश्ता सुथरे और नेक मर्द से ही किया जा सकता है!_*
*___________________________________*
📚 *_हदीस_* _हमारे प्यारे मदनी आका ﷺ इर्शाद फर्माते है........._
💫 *_"जिसने जिना किया या शराब पी अल्लाह तआला उसमे से ईमान को ऐसे निकालता है, जैसे इंसान सर से अपना कुर्ता निकालता है!_*
👉🏻 _इस हदीस पाक से वह लोग दिल से सोचे जो पेशेवर औरतो के पास जाते है, और जिना जैसे खबीस गुनाह का इर्तीकाब करते है! *ताज्जुब है कोई मुसलमान होकर जिना करे! खुदारा ऐसे लोग अब भी होश मे आ जाए मौत के आने से पहले! बाद मे होश भी आया तो किस काम का!*_
👉🏻 *_इससे पहले भी यह बयान हो चुका है के पेशावर (वेश्याओ) से मुबाशरत जिना ही कहलाएगी, हॉलांकी वह इस काम के रुपए लेती है, और इस काम के पर राजी भी होती है! लेकीन फरीखैन की आपसी रजा भी इस काम को जिना से अलग न कर पाएंगी! जिना के बारे मे बहुत सारी हदीसे "जिना" के बाब (Chapter) मे पहले ही बयान हो चुकी है!_*
*____________________________________*
💫💫 *_बदकार को नेक बनाने के लिये अमल :अगर किसी औरत का मर्द बदचलन हो और दुसरी औरतो के साथ हरामकारी करता हो! ऐसी औरत अपने बदकार मर्द से सोहबत से पहले बावुजु ग्यारह (11) "अल-वलीयो" पढे! अव्वल आखीर एक-एक मर्तबा दरुद शरीफ पढे! फिर शैहर से मुबाशरत करे! (यह अमल हर बार जब भी उसका शौहर उससे सोहबत करना चाहे कर लिया करे) इंशा अल्लाह तआला वह मर्द परहेजगार हो जाएंगा! इसी तरह किसी शख्स की औरत बदचलन हो या बदकारी करती हो तो वह भी अपनी औरत से सोहबत करने से पहले यह अमल हर बार कर लिया करे! इंशा अल्लाह तआला वह औरत नेक व परहेजगार बन जाएंगी!_*
📚 *_[वजाइफे रज्वीया सफा नं. 219]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣5⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔴 *_लिवातत या इ़ग्लाम बाजी (हिजडो से मुबाशरत)_* 🔴
*_______________________________________*
👉🏻 _कुछ दुनियॉ मे ऐसे भी लोग है, जो जिन्सी (जिस्मानी) ताल्लुकात मे हलाल व हराम की तमीज नहीं रखते यह ऐसे दरींदा सिफत इंसान है! जो *कम उम्र लडके, मर्द या फिर हिजडे (Third Genders) से मुंह काला करते है!*_
📚 *_रिवायत :_* _हजरत इमाम कलबी रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है....._
_"सबसे पहले यह काम (यानी मर्द का मर्द से मुबाशरत करना) शैतान मर्दुद ने किया! वह कौम ए लुत अलैहिस्सलाम मे एक खुबसुरत लडके की शक्ल मे आया और लोगो को अपनी तरफ माईल (आकर्शीत) किया, और उन्हे गुमराह करके सोहबत करवाई! यहॉ तक की कौम ए लुत अलैहिस्सलाम की यह आदत बन गयी, अब वह औरतो से मुबाशरत करने की बजाए खुबसुरत मर्दो से ही फैल ए हराम करने लगे! जो भी मुसाफीर उनकी बस्ती मे आता वह उसे न छोडते, और अपनी हवस का शिकार बना लेते! हजरत लुत अलैहिस्सलाम ने अपनी कौम को बहुत समझाया और इस बुरे काम से मना किया और उन्हे अजाबे इलाही से डराया, लेकीन कौम न मानी हत्ता के हजरत लुत अलैहिस्सलाम ने अल्लाह रब्बुल इज्जत से अजाब की दुआ मांगी और कौम ए लुत अलैहिस्सलाम पर पत्थरो का अजाब नाजील हुआ, और पत्थरो की बारीश होने लगी! हर पत्थर पर कौम के एक शख्स का नाम लिखा था और वह उसी को आकर लगता जिससे वह वंही हलाक हो जाता! इस तरह यह कौम जिनकी आबादी चार लाख थी तबाह व बर्बाद हो गई!"_
📚 *_[मुकाशफतुल-कुलुब, बाब नं. 22, सफ नं. 169, इस वाकीये की मुकम्मल तफ्सील कुरआन करीम के पारा नं 14, सुरह हुजर मे मौजुद है!]_*
*____________________________________*
📚 *_रिवायत :_* _हजरत इमाम अबुल फजल काजी अयाज उन्दुलुसी रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._
_"मैने कुछ मशाइखे किराम से सुना है की, औरत के साथ एक शैतान और खुबसुरत लडके के साथ अठ्ठारह शैतान होते है!_
📚 *_[मुकाशफतुल-कुलुब, बाब नं. 22, सफ नं. 169]_*
*____________________________________*
📚 *_रिवायत :_* _हजरत इमाम अहमद खॉं रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._
_"मन्कुल है की औरत के साथ दो शैतान और हिजडे के साथ सत्तर शैतान होते है!"_
📚 *_[फतावा रज्वीया जिल्द 9, निस्फ अव्वल, सफ नं. 64]_*
*____________________________________*
📚 *_रिवायत :_* _हजरत शैख फरीदोद्दीन अत्तार रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._
_"हजरत सिमाक रदि अल्हाहु तआला अन्हु के विसाल के बाद किसी ने आपको ख्वाब मे देखा की आपका चेहरा आधा काला पड गया है! आपसे जब इसका सबब पुछा गया तो आप ने फर्माया "एक मर्तबा दौर ए तालीबे इल्म मे मैने एक खुबसुरत लडके को गौर से देखा था चुनांचे जब मरने के बाद मुझे जन्नत की तरफ ले जाया जा रहा था, तो जहन्नम की तरफ से गुजारा गया तभी एक सांप ने मेरे चेहरे पर कांटा और कहा की बस यह एक नजर देखने की ही सजा है! और अगर कभी तु उस लडके को ज्यादा तवज्जोह से देखता तो मै तुझे और तक्लीफ पहुंचाता!"_
📚 *_[तज्किरातुल औलीया बाब नं. 8, सफ नं. 41]_*
*____________________________________*
📚 *_रिवायत :_* _हुज्जतुल इस्लाम सैयदना इमाम मुहम्मद गजाली रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है....._
*_"रिवायत है.... जिसने शहवत के साथ किसी लडके को चुमा, तो वह पॉंच सौ बरस दोजख की आग मे जलेंगा!"_*
📚 *_[मुकाशफतुल-कुलुब, बाब नं. 22, सफ नं. 169]_*
*___________________________________*
👉🏻 _" अल्हा ने अपनी कुदरत से इंसान के बदन के हर हिस्से मे एक खास काम की कुदरत रखी है! चुनांचे इंसान के पाखाने के मकाम मे अंदर से बाहर फेंकने की कुव्वत रखी है!अज्लात (Limps) इस मकाम पर निगहबानी के लिये हर वक्त तैय्यार रहते है की कोई बाहर की चिज अंदर न जाने पाए! लेकीन जब खिलाफे फितरत इस मकाम से सोहबत की जाती है तो वह सिमटने और कभी फैल जाने से जख्मी हो जाते है! रगे चमकने लगती है, और बार बार की रगड से जख्म पैदा कर देती है! और इंसान मुख्तलीफ किस्म के मर्जो मे मुब्तला हो जाता है!_
_इसी तरह वह शख्स अपने उज्वे तनासुल (लिंग) को मर्द के पिछे के मकाम मे दाखील करता है, इससे उसके उज्वे मख्सुस (लिंग) की नसे कमजोर हो जाती है! नसे ढिली पड जाती है! पठ्ठे ढिले हो जाते है!_
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣6⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔴 *_लिवातत या इ़ग्लाम बाजी (हिजडो से मुबाशरत)_* 🔴
*________________________________________*
👉🏻 _इसी तरह वह शख्स अपने लिंग को मर्द के पिछे के मकाम मे दाखील करता है, इससे उसके उज्वे मख्सुस (लिंग) की नसे कमजोर हो जाती है! नसे ढिली पड जाती है! पठ्ठे ढिले हो जाते है!और पेशाब की नाली मे जख्म पढकर पेशाब मे जलन, झिल्ली मे खराश पैदा हो जाती है! कसरत के साथ इस ख्वाहिश को पुरा करने की वजह से लगातार मनी (विर्य) के बहने की बिमारी हो जाती है, ऑंखो मे गढ्ढे, चेहरे पर बेरौनकी, दिल व दिमाग कमजोर हो जाता है! और ऐसा इंसान फिर औरत को मुंह दिखाने के काबील ही नही रहता!_
💫💫 *_"हकीमो का इस बात पर इत्तेफाक है के..... जो मर्द लिलावत (लमलैंगीक संभोग) करता है, उसको जल्द इंजाल (शिघ्रपतन, Premature Discharge) हो जाने की बिमारी हो ही जाती है!_*
*____________________________________*
🔥 *_ऐसे शख्स की सजा :_* _ऐसे शख्स के मुत्ताल्लीक *शरीयत ए इस्लामी* का फैसला यह है के उसे दुनीयॉ मे जिंदा रहने का कोई हक नही! उसका मर जाना ही समाज के लिये बेहतर है!_
📚 *_हदीस :_* _*हुजुर ﷺ* फ़र्माते है.........._
💫 _"जो मर्द किसी मर्द से सोहबत करे, उन्हें इतने पथ्थर मारो कि वोह मर जाए, ऊपर वाले और नीचे वाले दोनो को मार डालो"।_
📚 *_[तिर्मिज़ी शरीफ, जिल्द नं 1, बाब नं 983, हदीस नं 1487, सफा नं 718, इब्ने माज़ा शरीफ, जिल्द नं 2, बाब नं 143, हदीस नं 334, सफा नं 109,]_*
*_____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत इकरमा ने हज़रत रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने हजरत अब्बास रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत किया है कि *रसूलुल्लाह ﷺ* ने इर्शाद फर्माया..........._
💫 _"जिन को तुम पाओ के उसने दूसरे मर्द से सोहबत की है तो उन्हे क़त्ल कर दो करने वाले और करवाने वाले दोनो को "।_
📚 *_[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3 बाब नं 348, हदीस नं 1050, सफा नं 376,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रते इब्ने शिहाब रदि अल्लाहु तआला अन्हु से ऐसे मर्द के मर्द के बारे में पूछा गया जो मर्द से ही सोहबत करे! फर्माया....._
💫 _"उसे संगसार किया जाए (पथ्थरों से मार मार कर क़त्ल कर दिया जाए) चाहे शादी शुदा हो या गै़र शादी शुदा"।_
📚 *_[मोता शरीफ, जिल्द नं 2, किताबुल हुदूद, हदीस नं 11, सफा नं 718,]_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अली कर्रमल्लाहु वज्हु ने तो इस ख़बीस काम करने वालों को क़त्ल कर देने पर ही बस न कीया बल्कि उन्हें आग मे जलाया_
📚 *_हदीस :_* _हज़रते सिद्दीक़े अकबर रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने उन पर दीवार गिराई जिस के नीचे वोह दब कर मर गये।_
📚 *_[बहारे शरीअ़त, जिल्द नं 1 हिस्सा 9, सफा नं 44,]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣7⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_लिवातत या इ़ग्लाम बाजी_* 🔵 *_____________________________________*
👉🏻 *_इस दौर में मगरीबी तहजीब (Western Culture) जो साइंस (Science) की तरक्क़ी पर अपने आप को सब से ज़्यादा मोअज्जज और तहज़ीब, व तमद्दुन मे आला समझते है! उनके यहाँ आज इस काम के करने वाले ज़्यादा पाए जा रहे है! और वह इसे कोई ऐब या गुनाह नही समझते जिस के नतीजे अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने "एड्स" (AIDS) नाम की खतरनाक ला इलाज बिमारी नाजील कर दी है! और गौर और फिक्र करने वाली बात यह है के जो कोई इस मगरीबी तहजीब (वेस्टर्न कल्चर) को देखकर अपना रहा है वह भी इस ला इलाज बिमारी का शिकार हो रहा है!_*
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने ऊमर रदि अल्लाहु तआला अन्हु ने रिवायत किया है कि *रसूले अकरम ﷺ* ने इर्शाद फ़र्माया......._
🔥 _"ऐसे लोग जो मर्द से सोहबत करे या सोहबत करवाए उन की तरफ देखना, उन से बात करना, और उन के पास बैठना हराम है"।_
📕 *_[मुका़शफतुल क़ुलूब, बाब नं 22, सफा नं 168,]_*
👉🏻 *_इस हदीस से वह लोग इब्रत हासिल करे जो ऐसे लोगो से बाजारो मे दुकानो मे ऐसे लोगो से हंसी मजाक करते है!_*
*___________________________________*
👉🏻 _सद अफसोस! कुछ लोग शादी ब्याह, बच्चे की पैदाइश या किसी और खुशी के मौक़े पर ऐसे लोगो को अपने घर बुलाना और उन से बेहूदा गाने व गंदी बातें सुनना अपनी शान समझते है! इससे उन के सीने फख़्र और गुरूर से फूल जाते है।_
*___________________________________*
🔵 *_[जानवरों से सोहबत]_* 🔵
*___________________________________*
👉🏻 _क्या आप ने जानवरों से भी बढ़ कर हैवान देखे है? यह वोह लोग है जिन्होंने शर्म व हया कानून की हर जंजीर को तोड़ा है! इन्हें कुछ नहीं मिलता तो जानवरों को ही अपनी हवस का शिकार बनाते है!और यह सुबूत फरहाम करते है के हम देखने मे तो वैसे इन्सान ही नज़र आते है लेकिन हवस और दरिन्दागी के मामले मे जानवरों से भी बढ़ कर है।_
*____________________________________*
👉🏻 _ऐसे लोग जो इस काम मे मुब्तिला है! इस हदीस शरीफ को पढ कर यकीनन खौफ़े ए खुदा से डर कर सहम जाएंगे!._
📚 *_हदीस :_* _हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि *नबी ए करीम ﷺ* ने इर्शाद फ़र्माया......._
💫 *_"जो शख़्स जानवर से सोहबत करे, उसे और उस जानवर दोनों को क़त्ल कर दो"_*
📕 *_[अबूूदाऊद शरीफ, जिल्द नं 3, बाब नं 349, हदीस नं 1052, सफा नं 376, इब्नेमाज़ा, जिल्द नं 2, बाब नं 143, हदीस नं 334, सफा नं 108,]_*
👉🏻 *_लोगों ने हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदि अल्लाहु तआला अन्हु से पूछा कि...... "जानवर ने क्या बिगाड़ा है" ? तो उन्होंने ... "इसका सबब तो मैने रसूलुल्लाह ﷺ से नही सुना मगर हुज़ूर ने ऐसा ही किया बल्कि उस जानवर का गोश्त तक खाना पसन्द न फ़र्माया"।_*
*____________________________________*
👉🏻 _गालीबन हुज़ूर ﷺ ने जानवर को क़त्ल करने का हुक़्म इस लिए दिया हो कि जब भी उसे कोई देखेगा तो गुनाह का मंजर याद आएगा! दूसरी हिक़्मत इस में यह भी हो कि उम्मत को यह तालीम देना मक़्सूद है कि यह काम किस कद्र बुरा है की उसको करने वाले को क़त्ल किया जाए और जिस से यह काम किया गया इसमे किस कद्र बुराई आ गई की इसे भी क़त्ल कर दिया जाए। (वल्लाहु तआला आलम )_
*____________________________________*
👉🏻 *_अभी हाल ही में जदीद तहकीक से साबित हुआ है कि जो मर्द या औरत जानवर से अपनी ख्वाहिश पूरी करते है! उन्हे एड्स (AIDS) की ना काबीले इलाज बीमारी हो जाती है! याद रहे एड्स (AIDS) का दूसरा नाम मौत है_*
*____________________________________*
✍🏻 *_मसअला_* _किसी नाबालिग़ ने बकरी, गाय, भैंस, (या और किसी जानवर) के साथ सोहबत की तो उसे डाँट डपट कर सख़्ती से समझाया जाए । और अगर बालिग़ ने ऐसा काम किया तो उसे इस्लामी हुकुमत हो तो उसे इस्लामी सज़ा दी जाएगी! जिसका इख़्तियार इस्लामी बादशाह को है, वह जानवर जिब्ह करके दफ़्न कर दिया जाए!_
📕 *_[दुर्रे मुख्तार बहवाला फ़तावा-ए-रज़्वीया, जिल्द नं 5, सफा नं 983,]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_औरत का औरत से मिलाप_* 🔵 *______________________________________*
📚 *_हदीस : रसूलुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फर्माया_*
💫 *_"कोई मर्द किसी ना महरम औरत की तरफ़, और कोई औरत किसी ना महरम मर्द की तरफ़ न देखे और, एक मर्द दूसरे मर्द के साथ और, एक औरत दूसरी औरत के साथ एक कपड़ा ओढ़ कर न लेटे"_*
*_📕 [मिश्क़ात शरीफ जिल्द नं 2, हदीस नं 2966, सफा नं 73]_*
*___________________________________*
👉🏻 *_क़ुर्बान जाईये इस तबीबे उम्मत नबी-ए-रहमत ﷺ_* _के जिन्होंने औरत को औरत के साथ एक बिस्तर पर एक चादर ओढे आराम करने से मना फ़र्माया! मर्दों में जिस तरह इस हरकत से क़ौमे लूत अलैह हिस्सलीम के नापाक अमल का ख़तरा है, औरतों में भी इस फ़ित्ने का डर है! और जो नुक़्सान दुनियावी व दीनी मर्दों की इस नापाक हरकत से पैदा होते हैं वही औरतों की औरत से शरारत व ख़बासत से होगें।_
👉 _औरत का औरत से मिलाप यह एक ऐसी खबासत है के जो अपने हाथो की हर गैर मामुली हरकत जिस्म को हर हाल मे तबाह करने वाली है! और उम्र भर के लिए जिन्दगी बेकार बनाने वाली, और मर्ज मे मुब्तला करने वाली है !जैसे घबराहट, बेचैनी व पागल पन के आसार पैदा होना दिल का कमज़ोर होना, बेहोशी के दौरे पड़ना आखिरकार मेदा, जिगर, गुरदा, सब के काम ख़राब करेगा, आँखों में गड्डे, चेहरे पर बेरौनकी, हर वक्त़ कमर में दर्द, बदन का कमज़ोर होना, जरा सा काम से सर चकराना, दिल घबराना, बात बात में चिड़चिड़ा पन और फिर इन सब के बाद तपेदिक (Chronic fever) की बीमारी में गिरफ्तार हो कर मौत का शिकार होना है। और फिर मौत के बाद भी सुकून नही ज़हन्नम का अज़ाब़ बाकी।_
👉 *_शायद औरतों ने यह ख़्याल कर रखा है कि यह कोई गुनाह नही या है भी तो मामूली सा, सुनो अल्लाह के रूसूल ﷺ क्या इर्शाद फ़र्माते है........_*
📚 *_हदीस : "न औरत, औरत के साथ नज़्दीकी करे, न औरत अपने हाथों अपने आप को खराब करे, जो औरत अपने हाथों अपने आपको खराब करती है वह भी यक़ीनन ज़ानिया (ज़िना करने वाली) है।_*
👉🏻 _इस गुनाह के लिए दुनिया का कोई बदतरीन अज़ाब़ भी काफी नही हो सकता इसके लिए ज़हन्नम के वह दहकते हुए अंगारे और दोज़ख के वह ड़रावने जहरीले साँप और बिच्छू ही सज़ा हो सकते हैं जिनकी तकलीफ़ ना काबीले बर्दाश्त और इतिहाई तकलिफ पहुचाने वाली है!_
📕 *_[बहवाला :- जवानी की हिफ़ाज़त, सफा नं 76, 77, 78]_*
*____________________________________*
🔵 *_अपने हाथों अपनी बर्बादी_* 🔵
*____________________________________*
👉🏻 _यह इंसानी आदत व फितरत का तकाजा है की वह अपने कमाल का इज्हार करना चाहता है! यही जज्बा इस खास दौलत व मख्सुस कुव्वत के पैदा होने और कमाल की सुरत अख्तियार करने के बाद उसके इज्हार की तरफ माइल करता है! और ख्वाह म ख्वाह दिल मे वसवसा समाता है की इस दौलत को इस्तेमाल करने की लज्जत उठाए! कभी-कभी यह लज्जत उठाने का जज्बा इंसान को इस कद्र मजबुर कर देता है बल्की ऐसा अज खुद रफ्ता बना देता है की, अगर इस हालत को जुनुन से ताबीर किया जाए तो बेजा न होंगा! *अश्शबाबु सअ्बतुन मिनल जुनुन!* जवानी दिवानी के इस अरबी मकुले (कहावत) के मुताबीक आजका *हमारा नौजवान* अपनी जवानी को दिवानगी की इस बुलंद चोटी पर ले जा चुका है की जहॉं पहुंचने के बाद शहवत और हवस के सिवा उसे कुछ दिखाई नही देता! और फिर जब वह इस चोटी से फिसल कर गिरता है तो उसकी *मस्खशुदा मर्दानगी* की लाश की शिनाख्त कर पाना भी मुश्कील हो जाता है!_
👉🏻 _बताईये इस दौर मे जिस कद्र बुराईयॉं फैल रही है इसकी सबसे बडी वजह क्या है? *फिल्मे* जी हॉं! आज समाज का और मुसलमानो का तक्रीबन हर मकान एक *सिनेमा घर* बन चुका है! जब एक बच्चा होश की मंजील को छुता है तो वह अपने घर मे TV के जरीये वह सब कुछ देखता और जान लेता है जो उसे इस उम्र मे नहीं जानना चाहीये! *TV ही क्या कम था जो कुछ कसर बाकी थी तो उस बची कुची कसर को इस जमाने के समार्ट फोन (Mobile) ने पुरी कर दी! TV पर तो कम अज कम घर के बडो और बुजुर्गो का काफी हद तक Control होता था! मगर इस मोबाईल मे उसे कोई रोक-टोक नही! खुली आजादी!*_
*___________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-7⃣9⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_अपने हाथों अपनी बर्बादी_* 🔵 *______________________________________*
👉🏻 _जब एक बच्चा होश की मंजील को छुता है, तो वह अपने घर *TV और मोबाईल* के जरीए वह सब कुछ देखता और जान लेता है जो इस उम्र मे नही जानना चाहीये! जब होश संभीलते ही एक मर्द और औरत के बीच के खास तअल्लुकात को देखता है तो उसमे भी फितरी तौर पर वही सब कुछ करने की ख्हाहिश पैदा होने लगती है! फिर यह ख्वाहिश तरक्की करके उम्र के साथ साथ ज्यादा बढती जाती है! और वह खुद को उम्र से पहले ही जवान समझने लगता है! मुसीबत बालाए मुसीबत की स्कुल, कॉलेज, बाजार और सडको पर फैशन की नुमाईश उसको जज्ब ए शहवत को जुनुन की हद तक पहुंताने मे आग पर पेट्रोल का काम करती है! और जब वह इस नफ्सानी ख्वहिश को पुरा करने के असबाब नही पाता है तो, *वह गलत तरीको का इस्तेमाल करने लगता है!* जब भी वह तन्हा होता है, तो यह जिंसी ख्वाहिश उसे परेशान करने लगती है! फिर वह तस्कीन के लिये अपने ही हाथो अपनी कुव्वत को बर्बाद करके मजा हासील करने की बुरी आदत मे मुब्तीला हो जाता है!_
🔥 _हाथो की यह हरकत (उज्वे तनासुल) को कमजोर बना देती है! और ऐसा शख्स इस करतुत के सबब औरत के काबील नहीं रहता!_
👉🏻 *_याद रखीये यह वह किमती खजाना है जो खुन से बनता है, और खुन भी वह जो तमाम बदन को गिजा पहुंचाने के बाद बचा, बस अगर इस मनी के खजाने को इस तेजी के साथ बर्बाद किया गया तो दिल कमजोर होंगा! और दिल पर तमाम इंसानी जिस्म का दारोमदार है! जिस्म को खुन नही पहुंचा यानी यह आदत इस हद तक पहुंच चुकी के खुन बनने भी न पाया था की निकालने की नौबत आ गयी तो जिगर का काम खराब हुआ!_*
🔥 *_एक तजरूबेकार डॉक्टर ने अपनी तहकीक मे लिखा है....._*
👉🏻 _"एक हजार तपेदीक (TB) के मरीजो को देखने के बाद साबीत हुआ की एक सौ छियास्सी (186) मरीज औरतो से ज्यादा सोहबत करने की वजह से इस मर्ज मे मुब्तला है! और चार सौ चौदह (414) सिर्फ अपने हाथो अपनी कुव्वत को बर्बाद करने की वजह से और बाकी दुसरे मरीजो की बिमारी की वजह दुसरी थी! हमने एक सौ चौबीस (124) पागलो का मुआयना किया, उनके मुआयना करने से मालुम हुआ की उनमे चौबीस (24) सिर्फ अपने हाथो अपनी कुव्वत को बर्बाद करने की वजह से पागल हुए है, और बाकी एक (100) सौ पागल दुसरी वुजुहात से!"_
*_(बहवाला जवानी की हिफाजत अज मौलाना शाह मुहम्मद अब्दुल हलीम अलैहिर्रहमा सफा नं. 67)_*
*____________________________________*
👉🏻 *_इंसानी दौलत का अनमोल खजाना अगर इंसानी जिस्म की संदुक मे चंद दिनो तक अमानत रहे, तो दुबारा खुन मे जज्ब होकर खुन को कुव्वत देने वाला, सेहत को दुरुस्त और बदन को मजबुत बनाने वाला, रुआब और हुस्न व जमाल को बढाने वाला और कव्वत ए बाह मे चार चॉंद लगाने वाला साबीत होंगा! दिमाग की तेजी तरक्की पाएंगी, याद दाश्त तेज होंगी, ऑंखो मे सुर्खी दौडेंगी, हिम्मत और बुलंद हौसला की सर बुलंदी इस दौलत मे इजाफा की अलामत होंगी! कुछ हकीमो ने कहा है......_*
*_"जिसे हद से ज्यादा दुबला, और कमजोर, वहशीयाना (डरावनी) शक्ल व सुरत का पाओ, जिसकी ऑंखो मे गढे पड गये हो, ऑंखो की पुतलियॉं फैल गई हो, हद से ज्यादा शर्मीला हो, तन्हाई पसंद करता हो, उसके बारे मे यकीन करलो की उसने अपने हाथो खुन (अपने हाथो खुद को बर्बाद किया है) बहाया है!"_*
*____________________________________*
💫 *_आज लोगो से छिपकर यह बुराई कर रहे हो, माना की तुम्हारी इस बुरी हरकतो को किसी ने नहीं देखा! लेकीन यह तो सोचो की जाहीर व बातीन का जानने वाला अल्लाह तआला तुम्हारे इस करतुत को देख रहा है! अल्लाह तआला ने जिना की सजा बताई अगर यह सजा जिनाकार दुनियॉ मे पा जाए तो आखीरत के अजाब से बच जाए! लेकीन अपने हाथो इस अनमोल खजाने को बर्बाद करना सख्त गुनाह है!_*
*____________________________________*
🔥 *_अगर खुदा न ख्वास्ता कोई नसीब का दुश्मन इस बुरी आदत का शिकार हो तो उसे दर्दमंदाना मशवरा है की, खुदारा इश्तेहारी दवाओ की तरफ न जाए! पहले सच्चे दिल से तौबा करे! और किसी अच्छे तजरुबेकार, तालीम याफ्ता हकीम या डॉक्टर के पास जाए, और बगैर किसी शर्म व झिजक के उसे पुरी बात बताए! जब तक वह कहे बाकायदा पुरे परहेज के साथ उसके इलाज पर अमल करे!_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣0⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_ताकत बख्श गिजाए!_* 🔵
*____________________________________*
💫 _अहादीस ए मुबारका मे ऐसी बहुत सी चीजों के बारे मे बताया गया है, जिनके खाने से जिस्मानी कुव्वत मे इजाफा होता है! जिस्म हमेशा सेहतमंद और चुस्त रहता है! और खास कर मर्दो की कुव्वते बाह मे तरक्की होती है!_
📚 *_हदीस_* _उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रदि अल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है......._
*_"रसुल ए अकरम ﷺ ने इर्शाद फर्माया....."_*
💫 *_"शहद से बढकर कोई दवा नही!" (यानी हर बिमारी के लिये शहद बेहतरीन इलाज है!)_*
👉🏻 _शहद के बेशुमार फायदे है! शहद मे हजारो फुलो का रस होता है! अगर पुरी दुनियॉ के तमाम हकीम व डॉक्टर मिल कर भी ऐसा रस तैय्यार करना चाहे तो लाख कोशीश करले वह ऐसी चीज तैय्यार नही कर सकते! यह अल्लाह रब्बुल इज्जत का अपने हबीब ﷺ के सदके मे खास करम है की वह छोटी-छोटी मक्खीयॉ से अपने बंदो के लिये ऐसी बेहतरीन और नफा बख्श चीज तैय्यार करवाता है!_
*____________________________________*
📚 *_हदीस_* _हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रदि अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है......._
💫 _"हुजुरे अक्दस ﷺ को पीने की चीजों मे सब से ज्यादा *दुध* पसंद था!"_
*_____________________________________*
📚 *_हदीस_* _उम्मुल मोमीनिन हजरत आइशा सिद्दीका रदि अल्लाहु तआला अन्हा ने इर्शाद फर्माया......_
💫 _"हुजूर ﷺ खजुर, मक्खन, और दही मिला कर खाते थे! और यह आपको बहुत पसंद था!"_
_(तिनो चिजे बराबर मात्रा मे मिलाकर हलवा सा बना ले)_
*_____________________________________*
📚 *_हदीस_* _"रसुलुल्लाह ﷺ (अक्सर) खजुर को मक्खन के साथ खाया करते!"_
*____________________________________*
📚 *_हदीस_* _हजरत अब्दुल्लाह बिन जाफर रदि अल्लाहु तआला अन्हु "शमाइले तिर्मीजी" से रिवायत है......._
💫 _"हुजुर ﷺ तर खजुर (पेंड खजुर) के साथ खरबुजा मिलाकर तनावुल फर्माते!"_
*____________________________________*
📚 *_हदीस_* _हजरत अनस रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है_
💫 _"रसुलुल्लाह ﷺ कद्दु शरीफ पसंद फर्माते थे! जब आपके लिये खाना लाया जाता या आप खाने के लिये बुलाए जाते तो मै तलाश करके *कद्दु शरीफ* आपके सामने रखता था क्योकी मुझे इल्म था की आप उसे पसंद करते है! को मक्खन के साथ खाया करते!"_
*_(शमाइले तिर्मीजी)_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस_* _हजरत उमर फारूख रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है........_
💫 _"रसुल्लाह ﷺ ने इर्शाद फर्माया"........_
*_"जैतुन (Olive Oil) का तेल खाया करो और बदन पर भी लगाया करो! क्योकी वह मुबारक दरख्त से निकलता है!"_*
*____________________________________*
📚 *_हदीस_* _हुजूर ﷺ इर्शाद फर्माते है........_
💫 *_"मसुर और जैतुन सालेहिन की गिजा है! मसुर से दिल नर्म और बदन हल्का रहता है! और शहवत ऐतेदाल पर रहती है!"_*
*_📕 [करीना ए जिंदगी सफा नं 151]_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣1⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_ताकत बख्श गिजाए!_* 🔵
*________________________________*
🔵 *_गोश्त_* 🔵
💫 _कुछ लोग गोश्त को बहुत बुरा समझते है! जबकी अल्लाह तआला ने उसे हलाल फर्माया और उसमे बर्कत अता फर्माई! उसे जहालत के सिवा क्या कहा जा सकता है, की जिस चिज को अल्लाह तआला हलाल फर्माए उसे बंदा नाजाईज और बुरा समझे! अगर किसी शख्स को कोई चीज पसंद न हो तो वह उसे न खाए लेकीन इस्लाम किसी को यह इजाजत नही देता की वह सिर्फ अपने नापसंद होने की वजह से उसे बुरा जाने और जो लोग खाते है उन्हे हिकारत की नजर से देखे!_
💎 *_आयत: अल्लाह रब्बुल इज्जत इर्शाद फर्माता है...._*
*_یٰۤاَیُّہَا الَّذِیۡنَ اٰمَنُوۡا لَا تُحَرِّمُوۡا طَیِّبٰتِ مَاۤ اَحَلَّ اللّٰہُ لَکُمۡ وَ لَا تَعۡتَدُوۡا ؕ اِنَّ اللّٰہَ لَا یُحِبُّ الۡمُعۡتَدِیۡنَ ﴿۸۷﴾_*
💫 *_तर्जुमा : ऐ ईमान वालो हराम न ठहराओ वह सुथरी चींजे की अल्लाह ने तुम्हारे लिए हलाल की, और हद से न बढो, बेशक हद से बढने वाले अल्लाह को नापसंद है!_*
*_📕 [तर्जुमा कुरआन कंजुल इमान सुरह माइदा, आयत नं 87]_*
*____________________________________*
👉🏻 *_गोश्त हलाल जरूर है, और उसके फायदे भी बहुत है! लेकीन उसके इस्तेमाल मे ऐतदाल बरते क्योकी किसी भी चीज का ज्यादा से ज्याद इस्तेमाल बजाए फायदे के नुक्सान का सबब बन जाता है!_*
📚 *_हदिस :_* _अमीरुल मोमिनीन हजरत अली रदि अल्लाहु तआला से मरवी है!.._
💫 *_"रसुलुल्लाह ﷺ ने चालीस रोज लगातार गोश्त खाने से मना फर्माया!"_*
*____________________________________*
👉🏻 _इन चीजो का भी इस्तेमाल हमेशा अपनी गिजाओ मे रखे की इन के खाने से बहुत फायदे है! यह चिजे कुव्वते बाह मे इजाफा करती है! यहॉ हर एक के फायदे बयान करना मुम्किन नहीं लिहाजा उनके नाम ही लिखने पर इक्तिफा किया जाता है!_
1⃣ *_अनाज :_* _गेहुं, तिल, मुंगफल्ली, मुंग, चना, और खशखश_
2⃣ *_सब्जी :_* _प्याज, लहसुन, आलु, अरवी, भिंडी, शल्जम, कद्दु शरीफ, लौकी, गाजर और शकरकंद_
3⃣ *_पकी चींजे :_* _मुर्गी का गोश्त मुर्गी के अंडे, बत्तख के अंडे, ताजा मछली, बकरे का गोश्त, गोश्त, पाये, कलेजी, दुध, दही, मक्खन_
4⃣ *_फल :_* _आम, अंगुर, अनार, केला, सेब, अमरुद, खरबुज और तरबुज_
5⃣ *_मेवे :_* _खजुर, पिस्ता, बादाम, मखाना, किशमिश, अखरोट, खोपरा, चिलगुजा और जैतुन_
*____________________________________*
🔵 *_ताकत कम करने वाली गिजाए!_* 🔵
👉🏻 _कई ऐसी चीजे है जिनका इस्तेमाल कुव्वते बाह मे कमी का सबब होती है! लिहाजा कुव्वते बाह को हमेशा कायम रखने के लिये इन चिजो का इस्तेमाल न करे और अगर कभी करना ही पड जाए तो बहुत कम इस्तेमाल करे की इन चीजो के इस्तेमाल से मर्द मे कमजोरी पैदा होती है! और इंजाल जल्द हो जाता है! *इमली, खट्टा आम, निंबु, आम का अचार, चटनी, आम की खटाई और दिगर खट्टे फल, ज्यादा चाय, कॉफी, बीडी, सिग्रेट, गुटका वगैरह!* इन तमाम चींजो का ज्यादा इस्तेमाल करना मर्द की कुव्वते बाह के लिये नुक्सानदेह है! *खास कर शराब, अफीम, और हर वह चींज जो नशा पैदा करे उसका इस्त्माल तो कुव्वते बाह के हक मे जहर ए कातिल है*_
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣2⃣_*
_*[जरा इसे भी पढ़िए!]*_
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
_*मर्दाना बिमारीयॉ और उनका इलाज*_ _________________________________
_👉🏻 मौजुदा दौर मे बदकारी और अय्याशी बहुत ज्यादा बढ चुकी है! जिसकी अहम वजह *फिल्मे, TV सिरीयल, समार्ट फोन (Mobile) देखकर उस से सिखकर अपने आपको मॉर्डन कहलाने की एक अंधी होड (खुसुसी तौर पर फैशन के नाम पर उल्टे सिधे कपडे पहनकर अपने जिस्म की नुमाईश करके, बालो को अजीबो गरीब रंग मे रंगकर, अजीब हुलीयॉ बनाकर अपने आप को मॉर्डन कहलवाने का जुनुन सवार है जिसमे लडके लडकियॉ दोनो बराबर के जिम्मेदार है!) , नौजवान लडके लडकियो का गंदे मेगजिन और नावील पढना, स्कुल और कॉलेज मे लडके, लडकियो का एक साथ रहना* वगैरह जैसी चींजे!_
_💫 नतीजा बदकारीयों और अय्याशियो मे इजाफा! रिझल्ट अक्सर मर्द और औरते का कई खतरऩाक जिन्सी बिमारीयों का शिकार होकर बिमारीयो मे फंस जाते है! अव्वल तो ऐसी हरकते ही नही करनी चाहीये के जिससे इन बिमारीयो मे फंस जाने का खतरा हो! *और अगर कोई ऐसी गल्ती कर ही चुका है, तो पहले सच्चे दिल से तौबा किजीए, और किसी इश्तेहारी और सडक छाप निम हकीम खतरे जान के पास जा कर अपनी बची कुची सेहत को बर्बाद करने की बजाए, किसी अच्छे पढे लिखे काबील और माहीर डॉक्टर या हकीम से ही इलाज करवाइए!*_ *____________________________________*
_💫 यहॉ कुछ मर्दाना और जनाना बिमारीयों के बारे मे और उनके इलाज के मुतअल्लीक तहरीर की जा रही ह! इन बिमारीयो के इलाज के लिये वैसे तो बुजुर्गाने दीन और हकीमो ने कई तरह के नुस्खे और दवाईयॉ बयीन की है! लेकीन यहॉ कुछ ऐसे ही नुस्खे बयान कर रहे है, जिनमे इस्तेमाल होने वाली चीजें आपको आसानी से मिल जाए! और आप उसे अपने घर पर ही खुद तैय्यार कर सकते है! हकीमी इलाज के साथ साथ रूहानी इलाज भी जरूरी है! इसके लिये किसी सुन्नी सहीउल अकीदा माहीर आलीम से राबता कर_
*________________________________*
🔵 *_नामर्दी_* 🔵
_👉🏻 कुछ लोग अपने लडकपन मे गल्तियॉ और बुरी संगत की वजह से अपनी ताकत गंवा देते है! और शर्म व झिजक की वजह से अपना हाल किसी से बता भी नही पाते! शादी होने या शादी की बात चलने के वक्त ऐसे लोगों की परेशानी और बढ जाती है! अगर ऐसी हालत मे उसकी शादी हो जाए तो ऐसी हालत मे औरत मुत्मइन नही हो पाती जो औरत को नागवार मालुम होता है, और वह आसबी बिमारी जिसे हिस्ट्रेरिया (Hysteria) कहते है! जिससे जिस्म के पठ्ठे कमजोर हो जाते है इस मर्ज मे मुब्तला हो जाती है और जिमा से बेरगबती और शौहर से नफरत करने लगती है!_
👉🏻 _ज्यादा मुबाशरत से भी नामर्दी की सुरत पैदा हो जाती है! ऐसी हालत मे मर्द को इलाज की तरफ ध्यान देना चाहिये! *लेकीन फिर भी कीसी इश्तेहारी सडक छाप दवा बेचने वाले हकीमो और डॉक्टर से भुल कर भी इलाज न करवाए!* यह लोग जिस किस्म की दवा बनाते है उनमे अक्सर अफीम, धतुरा, भांग वगैरह जैसी चिजो की मिलावट होती है! जिन से फौरन तो फायदा हो जाता है लेकीन बाद मे इसके शदीद नुक्सान हेते है! और उनका बार-बार इस्तेमाल जल्द ही कब्र के गड्ढे तक पहुंचा देता है! *इसलिये हुजुर ﷺ और बुजुर्गाने दीन ने की गई हिदायतो से फायदा हासील करना चाहीये और दवाओ की बजाए गिजाओ का इस्तेमाल करके कुदरती तौर पर कमजोरी को दुर करना चाहीये!*_
*___________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हुजुर ﷺ ने इर्शाद फर्माया......_
*_"बदन से जेरे नाफ के बालो को जल्द दुर करना कुव्वते बाह मे इजाफा करता है!"_*
💫 *_मसअला :_* _नाफ के निचे के बाल को दुर करना सुन्नत है! और बेहतर यह है के हफ्ते मे जुमा के दिन दुर करे! पंद्रहवे रोज करना भी जाइज है! और चालीस दिनो से ज्यादा गुजारना मकरुह व सख्त गुनाह है!_
*_📕 [कानुन ए शरीयत जिल्द 2 सफ 211]_*
*____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣3⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_मर्दाना बिमारीयॉ और उनका इलाज_* 🔵 ______________________________________
🔴 *_नामर्दी_* 🔴
📚 *_हदीस :_* _हुजुर ﷺ ने इर्शाद फर्माया......_
*_"बदन से जेरे नाफ के बालो को जल्द दुर करना कुव्वते बाह मे इजाफा करता है!"_*
💫 *_मसअला :_* _नाफ के निचे के बाल को दुर करना सुन्नत है! और बेहतर यह है के हफ्ते मे जुमा के दिन दुर करे! पंद्रहवे रोज करना भी जाइज है! और चालीस दिनो से ज्यादा गुजारना मकरुह व सख्त गुनाह है!_
*_📕 [कानुन ए शरीयत जिल्द 2 सफ 211]_*
*____________________________________*
💫 *_नुस्खा नं. 1⃣ :_* _माश की दाल (उडद की दाल) एक पाव किसी कॉंच या चिनी के बर्तन मे डालकर उसमे सफेद प्याज का रस इतना डाले की दाल रस मे अच्छी तरह भीग जाए! एक दिन, रात उसे भीगा रहने दे! फिर जब वह सुख जाए तो सफेद प्याज का रस फिर पहले की तरह दाल मे पुरी भीगने तक डाले, फिर एक दिन, रात उसे सुखने के लिये रख दे! इसी तरह यह अमल कुल सात बार करे, यानी सात मर्तबा सफेद प्याज का रस डाले और दाल भीगने और सुखने दे! अब दाल को बारीक पीस ले फिर और उसके चालीस हिस्से बनाए! फिर रोजाना एक हिस्से मे 25 ग्रॉम असली घी (देसी घी) और 25 ग्रॉम चिनी (शक्कर) मिला कर सुबह फांक ले! और उस पर एक पाव दुध पी ले! *यह दवा चालीस दिन तक खाए, और उस अरसे मे औरत से जिमाअ न करे!*_
*____________________________________*
💫 *_नुस्खा नं. 2⃣ :_* _प्याज का रस एक पाव, असली शहद एक पाव दोनो को मिलाकर हल्की आग पर पकाए और जब प्याज का रस सुख कर सिर्फ शहद बाकी रह जाए तो बोतल मे भर ले, 20-30 ML पानी मे मिलाकर पी लिया करे!_
*_____________________________________*
💫 *_नुस्खा नं. 3⃣ :_* _खजुर और भुने ह्ए चने दोनो को हम वजन (बराबर मात्रा) मे लेकर पिस ले! फिर छानकर उसमे थोडा सा प्याज का रस मिलाकर लड्डु बना ले! (चाहे तो इसमे बादाम भी मिला सकते है!) और सुबह शाम एक-एक लड्डु खा लिया करे!_
*____________________________________*
💫 *_नुस्खा नं. 4⃣ :_* _हल्के गरम दुध मे शहद मिलाकर निहार मुह (खाली पेट) पिने से कुव्वते बाह मे इजाफा होता है!_
*_____________________________________*
💫 *_नुस्खा नं. 5⃣ :_* _चने की दाल एक पाव लेकर आधा पाव गाय के दुध मे मीला कर अच्छी तरह पकाए! जब सारा दुध सुख कर दाल मे समा जाए तो उसे सिलपर बारीक पीस ले! फिर पाव भर असली घी मे थोडा सा भुनकर पाव भर शक्कर मिला कर हलवे की तरह बना ले! फिर इस हलवे को रोजाना एक छटाक (50 ग्रॉम) सुबह नाश्ते मे लिजीए!_
*____________________________________*
💫 *_नुस्खा नं. 6⃣ :_* _हकीमो ने प्याज के इस्तेमाल को कुव्वते बाह के इजाफा के लिये मुफीद बताया है, लेकीन उसका इस्तेमाल इतना ही करना चाहीये जितना हजम हो सके! हद से ज्यादा इस्तेमाल भी नुक्सानदेह है!_
📕 *[शमा शबिस्तान ए रजा जिल्द 1, सफ 104]_*
*_____________________________________*
💫 *_रहेमानी इलाज :_* _अगर कोई शख्स किसी वजह से नामर्दी का शिकार हो चुका हो, तो उसे चाहीये की हर रोज बाद नमाज ए फज्र सुराह ए इब्राहिम (पारा तेराह मे है) की तिलावत करे! और सुराह ए इब्राहीम के नक्श को किसी सही उल अकीदा सुन्नी आलीम से हासील करके अपने पास रखे!_
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣4⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_मर्दाना बिमारीयॉ और उनका इलाज_* 🔵 *___________________________________*
🔴🔵 *_सुरअते इंजाल_* 🔵🔴 *_____________________________________*
_सुरअते इंजाल (शिघ्रपतन) इस हालत को कहते है जब मर्द जिमाअ का इरादा करे, या मुबाशरत शुरु करे उसे जल्द ही इंजाल (Discharge) हो जाए! अगर मर्द को सुरअते इंजाल की शिकायत हो जाए तो ऐसी सुरत मे औरत की तसल्ली नही हो पाती है! क्योकी अमुमन इतनी जल्दी औरत को इंजाल नही होता! यह हालत औरत के लिये तक्लीफदेह होती है!_
👉🏻 _जब यह मर्ज बढ जाता है तो किसी खुबसुरत औरत को देखने से या किसी का सिर्फ खयाल आ जाने से, या उज्वे तनासुल के किसी नर्म व नाजुक कपडे से छु जाने से भी इंजाल हो जाता है! इस मर्ज के होने की कई वुजुहात है! जैसे *जलक* (अपने हाथो अपनी मनी निकालने की बुरी आदत) *हर वक्त हमेशा गंदे व बेहुदा खयालात जहन मे रखना, गंदी फिल्मे देखना, या किसी वजह से मनी का पतला होना!* वगैरह जैसी वुजुहात है! इस बिमारी के होने की एक सबसे बडी वजह *ज्यादा सोहबत करना भी है!* इस मर्ज को दुर करने के लिये तेज, गरम चिजो का खाने मे परहेज करना चाहीये, इसी तरह गंदी बाते, गंदी फिल्मे, और गंदे नावील पढने से बचना चाहीये!_
1⃣ _अंडे और गोश्त का इस्तेमाल भी ऐसे मरीजो के लिये फाइदेमंद होता है!_
2⃣ _ऐसे मरीज घी, मक्खन, मलाई का खाने मे ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करते रहे! और सुबह हल्की वर्जीश (कसरत) Exercise जरुर करे!_
3⃣ _वह नुस्खा जो इससे पहले नामर्दी के बाब मे नुस्खा नंबर *5* मे लिखा है! उसका इस्तेमाल भी सुरअते इंजाल के मरीज के लिये काफी फाइदामंद साबीत होंगा!_
4⃣ _ज्यादा देर रात तक जागना सुरअते इंजाल के मरीज के लिये काफी नुक्सानदेह है! इसलिये रात को जल्दी सोना और सुबह को जल्दी उठना सुरअते इंजाल के मरीजो के लिये बहुत फाइदामंद है!_
*____________________________________*
💫 *_रहमानी इलाज_* _सुरअते इंजाल के मर्ज से छुटकारा पाने के लिये एक नक्श तहरीर किया जा रहा है! उसे किसी सही उल अकीदा सुन्नी आलीम से जाफरान से लिख कर कमर मे बांध ले! अल्लाह ने चाहा तो भरपुर ताकत पैदा होंगी! इंजाल देर से होंगा साथ ही साथ कुव्वते बांह मे इजाफा होंगा!_
*________________________________*
👆👆👆 इस पोस्ट के लिये नख्श
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣5⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_मर्दाना बिमारीयॉ और उनका इलाज_* 🔵 *___________________________________*
🔴🔵 *_जिरयान_* 🔵🔴 *_____________________________________*
_हमारी मौजुदा नस्ल मे यह बिमारी बहुत ज्यादा पाई जा रही है!इस बिमारी मे पाखाना या पेशाब से पहले, या उसके बाद पेशाब की नली से मनी, मजी या फिर वदी निकलती है! या पेशाब के बाद कभी कभी सफेद रंग का धागा सा भी निकलता है! इस बिमारी मे मरीज को कमर मे दर्द, घुटनो मे तक्लीफ और ऑंखो के सामने अंधेरा छा जाता है! या फिर चक्कर आते है! और कमजोरी दिन ब जिन बढती रहती है! भुख नही लगती, और जो खाया वह हजम नही होता, और कितनी ही बेहतरीन गिजा खाई जाए तो वह बदन को नही लगती! इस बिमारी के होने की बहुत सी वुजुहात हो सकती है जिन मे से कुछ इस तरह है!_
🔷 *_मनी मे तेजी आ जाना!_*
🔷 *_शहवत का ज्याद होना!_*
🔷 *_मुबाशरत ज्यादा करना!_*
🔷 *_हमेशा बुखार ज्यादा रहना!_*
🔷 *_हर वक्त दिल व दिमाग मे सोहबत की बाते बैठाए रखना, या उसके बारे मे सोचते रहेना!_*
🔷 *_कब्ज होना!_*
🔷 *_अपने हाथो अपनी मनी निकालना!_*
🔷 *_हिजडो से बुरा काम करना वगैरह वगैरह!_*
*________________________________*
🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵
1⃣ _गवरान (देसी) मुर्गी का एक अंडा फोडकर किसी बर्तन मे ले, फिर अंडे की जर्दी और सफेदी के बराबर गाजर का रस ले! फिर उसमे इतनी ही (मात्रा) मिक्दार मे शहद और देसी घी डाले, अब सबको मिलाकर हल्की ऑंच पर पका कर हलुवा बना ले! इस तरह 21 इक्कीस दिनो तक हलुवा बना कर खाते रहे! *खट्टी चिजे, दही, अचार, इम्ली और मछली के इस्तेमाल से पुरी तरह परहेज करे! और शादी शुदा हो तो इस दौराम बीवी से मुजामेअत न करे!*_
2⃣ *_बरगद (बड) का दुध (बड की टहनी या पत्ता तोडने पर जो रस निकलता है) चार माशा बताशे या चिनी (शक्कर) मे डाल कर रोजाना सुबह को खा लिया करे!_*
*_____________________________________*
🔵 *_सुजक_* 🔵
💫 _यह बिमारी ज्यादा तर नौजवानो मे बुरी संगत व बुरी आदतो की वजह से होती है! इसकी वजह से नौजवानो की सेहत धिरे धिरे घटती जाती है! उनमे कमजोरी आ जाती है! बिमारी की पहचान यह है के पेशाब की नली मे सुजन सा वर्म आ जाता है, और अंदर घाव (जख्म) हो जाते है! उससे पिप निकलता रहता है! और जब भी पेशाब को जाए तो उस वक्त पेशाब मे सख्त जलन होती है!_
*__________________________________*
🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵
1⃣ *_सफेद राल बारह ग्राम शक्कर बारह ग्राम ले दोनो को पिस कर चुर्न बना ले! दो ग्राम चुर्न पानी के साथ दिन मे दो बार ले!_*
2⃣ *_कपडे धोने की मिट्टी (जिसे रय कहते है) साठ ग्राम ले, निम की ताजा पत्तीयॉ का रस बारह ग्राम ले! इन दोनो को 120 ML मे भिगोकर रात भर रखे! सुबह छान ले और थोडा सा और नीम का रस मिला कर सुबह पी ले!_*
3⃣ *_हल्दी और सुखा आमला (आंवला) दोनो बीस ग्राम ले! दोनो को बारीक पीसकर पाउडर बना ले! फिर दो ग्राम पाउडर पानी के साथ दिन मे दो बार इस्तेमाल करे!_*
*______________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣6⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
🔵 *_मर्दाना बिमारीयॉ और उनका इलाज_* 🔵 ____________________________________
🔴🔵 *_पेशाब की जलन_* 🔵🔴 *_____________________________________*
_पैशाब के बाद तहारत न करने या मुजामेअत के बाद शर्मगाह के न धोने की वजह से पेशाब मे जलन होती है! ज्यादा गर्म खाने के इस्तेमाल से भी पेशाब मे जलन की शिकायत होती है!इस बिमारी के मरीज को पेशाब जल्दी नही होता है!बल्की थोडा-थोडा जलन के साथ आता है, और बडी तक्लीफ के साथ आता है!_
~*_______________________________________*~
🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵
1⃣ *_सफेद संदल का बुरादा (पाउडर) छह (6) ग्राम ले, धनिया छह (6) ग्राम, सुखा आमला (आंवला) छह (6) ग्राम इन तिनो चिजो को 120 ML पानी मे रात भर भिगो कर रखे! सुबह को छान कर उस पानी मे चिनी (शक्कर) मिला कर शर्बत बना ले और सुबह, दोपहर को पी लिया करे!_*
2⃣ *_खिरे के बीज छह (6) ग्राम, ककडी के बीज छह (6) ग्राम दोनो को 120 ML पानी मे अच्छी तरह उबाल कर छान ले और उस पानी को ठंडा करके सुबह को पी लिया करे!_*
3⃣ *_एक देसी अंडे की सफेदी ले, जर्दी (पिलक) अलग कर ले! इस सफेदी को अच्छी तरह फेंट ले और एक प्याली हल्के गर्म दुध मे मिला कर सुबह को पी लिया करे!_*
~*_________________________________________*~
🔴 *_जनाना (औरतो के) मर्ज और उनका इलाज_*
👉🏻 _औरतो मे भी बहुत तरह की जिन्सी बिमारियॉं होती है! यहॉ चंद बिमारियॉं और उनके इलाज के मुत्तल्लीक लिख रहे है!_
*_______________________________________*
🔵 *_सैलानुर्रहम (लिकोरिया_* 🔵
_औरतो की यह बिमारी उसके बदन को कांटे की तरह कर देती है! इस बिमारी मे औरत की शर्मगाह से चिपचिपा अंडे की सफेदी या नाक की रतुबत जैसा पानी निकलता रहता है! इस पानी के साथ बदन की ताकत कम होने लगती है! कभी-कभी यह बदबुदार पानी इतनी तेजी से और ज्यादा मिक्दार मे आता है की कपडे तक भिग जाते है!पानी टखनो तक बहता रहता है! इस वजह से बिमारी मे मुब्तला औरत ज्यादा परेशान रहने लगती है! कमर मे दर्द, जिस्म के हिस्से खिंचे-खिंचे से लगते है! मिजाज मे चिडचिडा पन और गुस्सा बढ जाता है! घबराहट ज्यादा होती है!खाना हज्म नही होंता, पेशाब बार- बार आता है, दिल की धडकन बढ जाती है! *इस मर्ज मे मुब्तला औरते खाने मे चावल, बैगन, गोभी, माश (उडद की दाल) वगैरह से परहेज करे!*_
*~______________________________________~*
🔴 🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵🔴
1⃣ *_कुछ मिक्दार मे देसी बबूल की फल्ली सुखा कर बारीक पाउडर बना ले! 2 ग्राम सुबह मे और 2 ग्राम दोपहर मे पानी के साथ ले!_*
2⃣ *_30 ग्राम इमली के बीज का गुदा ले और उसे भून लें, फिर पीस कर चूरन बना लें और 1 ग्राम पानी के साथ दिन में 3 बार लें!_*
*_____________________________________*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣7⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_जनाना (औरतो के) मर्ज और उनका इलाज_*
~*_______________________________________*~
🔴🔵 *_हैज की ज्यादती_* 🔵🔴
~*_______________________________________*~
_इस बीमारी में औरत का हैज बड़े बेढंगेपन से आता हैं, और बहुत ज्यादा आता रहता है, इस से बदन कमजोर हो जाता है, नाड़ी तेज चलती है, प्यास बड़ जाती है, चेहरा पीला हो जाता है कब्ज रहने लगता है भूख नही लगती *(पैर पर सूजन आ जाती है)* और कभी कभी चक्कर भी आते है, यहाँ तक कि कभी औरत निढाल होकर बे जान सी हो जाती है। येह बीमारी सोहबत ज्यादा करने से पैदा होती हैं। और बारबार हमल के गिरते रहने से भी येह बीमारी हो जाती है।_
~*_______________________________________*~
🔴🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵🔴
~*_______________________________________*~
1⃣ _*अनार की छल (छिल्के) 22 ग्राम लें। इसे 250 ML पानी मे इतना उबाले कि पानी सूख कर आधा रह जाए, इस पानी को रोजाना सुबह पी लें।*_
2⃣ *_पच्चीस ग्राम मुल्तानी मिट्टी आधा लिटर पानी मे दो घंटे तक भिगोए रखे फिर उसे छान ले! रोजाना यह पानी 125 ML पानी चार बार पिए!_*
~*_______________________________________*~
💫 *_रहोमानी इलाज :_* _जिस औरत को हैज़ का खून ज्यादा आता हो तो येह नक्श लिख कर उस औरत की कमर में बांधे । नक्श येह है।_
~*_______________________________________*~
*_नख्श यह है!_*👆🏻👆🏻👆🏻
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣8⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦💦
*_जनाना (औरतो के) मर्ज और उनका इलाज_*
~*_______________________________________*~
🔵 *_हैज का बंद हो जाना_* 🔵
*______________________________________*
_औरत को हर महिने पाबंदी से जो गंदा खुन आता है, वह मकर्रर वक्त पर आता है! अगर औरत हामेला हो तो यह खुन आना बंद हो जाता है! जो कुदरती तौर पर होता है!बच्चे को दुध पिलाने के दिनो मे और ज्यादा उम्र हो जाने के बाद भी हैज का खुन बंद हो जाता है!इस मे कोई फिक्र की बात नही! ना ही उस वक्त किसी इलाज की जरुरत है! लेकीन बगैर हमल के ही खुन आना बंद हो जाए तो यह बिमारी है! जिसका फौरन इलाज करना चाहिये! इस मर्ज की पहेचान यह है की सर, कमर, और पैरो मे दर्द रहता है, और मिजाज मे चिड चिडापन वगैरह!_
🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵
👉🏻 _सोए (सोया) के बिज तिन ग्राम, गाजर के बिज तिन ग्राम, मेथी के बिज तिन ग्राम इन सबको 250 ML पानी मे इतना उबाले की आधा रह जाए, फिर छान ले और दिन मे दो बार उस पानी को पिए!_
💫 *_रहोमानी इलाज :_* _यहॉ एक नख्श दिया जा रहा है! जिसे मोम जामा करके मर्ज मे मुब्तला औरत के बाएं रान पर बांध दे! इंशा अल्लाह तआला हैज हस्बे मामुल जारी हो जाएंगा! नख्श इस पोस्ट के बाद भेजा जाएंगा!_
~*_________________________________________*~
🔵 *_हैज दर्द से आना_* 🔵
👉🏻 _कुछ औरतो को हैज आने से पहले कुल्हो और रानो मे सख्त दर्द होता है! कभी- कभी मतली और उल्टी भी होती है! हैज का खुन बहुत कम मिक्दार मे आता है, दर्द के साथ आता है!_
🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵
💫 *_हिंग पॉंच ग्राम, गुड छह ग्राम ले! दोनो को मिला कर हैज के दिनो मे (5 या 6 दिन) तक रोजाना सुबह खाए!_*
*_______________________________________*
🔵 *_पेशाब मे जलन_* 🔵
👉🏻 _इस बिमारी मे औरतो को काफी तक्लीफ होती है! और मकामे मख्सुस मे खुजली और जलन होती है! और खास कर पेशाब करते वक्त जलन और एक तरह की बेचैनी होती है! पेशाब के बाद तहारत न करने या ज्यादा गर्म चिजे खाने मे इस्तेमाल करने से भी पेशाब मे जलन की शिकायत पैदा होती है! *शादी-शुदा औरतो मे पेशाब मे जलन की शिकायत ज्यादा तर मुजामेअत के बाद शर्मगाह को न धोने के वजह से होती है!*_
🔵 *_नुस्खा जात_* 🔵
1⃣ *_नीम के ताजा पत्ते 125 ग्राम ले, पत्तो को एक लिटर पानी मे उबाल कर छान ले! फिर उस पानी मे 3 ग्राम भुना हुआ सुहागा मिलाकर शर्मगाह और खुजली के मकाम को सुबह व शाम धोए!_*
2⃣ *_काफुर (कपुर) 3 ग्राम, गुलाब जल (पानी) 25 ML ले! काफुर को पिसकर गुलाब जल मे घोल दे! एक साफ कपडा लेकर उसमे भिगोए, और जलन कू जगह रखे, जितनी बार और जबतक जरुरत हो इस अमल को दोहराते रहे!_*
*______________________________________*
*_नख्श यह है!_*👆🏻👆🏻👆🏻
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-8⃣9⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
*_अज़ल (निरोध, Condom) का इस्तेमाल_* *__________________________________________*
_ज्यादा बच्चे पैदा न हो, उसके लिये मौजुदा दौर मे निरोध, कॉपर टी, माला-डी (खाने की गोलीयॉं) वगैरह इस्तेमाल मे लाई जा रही है! अहदे रिसालत मे सिलसिला पैदाईश को रोकने को या कम करने के लिए कुछ हजरात अपनी बांदियों से अज़ल किया करते थे!_
💫 *_अज़ल क्या है? :-_*
_अज़ल उसे कहते है की मुबाशरत के वक्त जब मर्द को इंजाल होना करीब हो, तो मर्द अपने आले को औरत की फर्ज से निकाल कर मनी रहम के बाहर खारीज कर दे! इस तरह जब मर्द की मनी औरत के रहम मे नहीं पहुंचती है तो हमल करार नही पाता!_
_हदीसों के मुताअला से मालुम होता है के नबी ए करीम ﷺ के जाहीरी जमाने मे भी कुछ सहाबा ए किराम औलाद की पैदाईश को रोकने के लिये अज़ल किया करते थे! चुनांचे इसका सुबुत अहादीस की सैकडों किताबो मे मिलता है!_
📚 *_हदीस :_* _हजरत जाबीर रदि अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है.........._
_"हम नबी ए करीम ﷺ के मुबारक जमाने मे अज़ल किया करते थे, हालांकी कुरआन ए करीम नाजील हो रहा था!"_ _हजरत मुहद्दीस इमाम तिर्मीजी रदि अल्लाहु तआला अन्हु इस हदीस के मुतअल्लीक इर्शाद फर्माते है के यह हदीस हसन सही है!_
📚 *_[तिर्मीजी शरीफ,जिल्द 1 सफ: नं-583]_*
📚 *_हदीस :_* _मिश्कात व मुस्लीम शरीफ मे सहाबी ए रसुल हजरत जाबीर रदि अल्लाहु तआला अन्हु से यह रिवायत मरवी है के.............. "अज़ल के मुतअल्लीक हुजुर ﷺ को खबर पहुंची लेकीन आपने हमे मना न फर्माया!"_
📚 *_[मुस्लीम शरीफ,जिल्द 1 सफ: नं-465, मिश्कात शरीफ जिल्द 2 सफ: नं-87]_* *________________________________________*
💫 *_खुलासा_* _अज़ल करने का मक्सद यह होता है की हमल न ठहरे (यानी औलाद की पैदाईश को रोका जा सके) इस मक्सद के तहत मर्द अपनी मनी को औरत के रहम मे जाने से रोकता है! यही मक्सद *निरोध* से हासील होता है! चुनांचे अज़ल पर क्यास करके यह कहा जा सकता है की जिस तरह अज़ल नाजाइज नही इसी तरह *निरोध* का इस्तेमाल भी नाजाइज नही होंगा! क्यो के अज़ल और *निरोध* दोनो से एक ही मक्सद हासील होता है!_
👉🏻 _अहादिस व फिक्ह की मुस्तनद किताबो मे यह नक्ल है की अज़ल अपनी बीवी की इजाजत के बगैर नही कर सकता!_
📚 *_हदीस :_* _इमाम अबदुर्रज्जाक और इमाम बैहकी हजरत इब्ने अब्बास और इमाम तिर्मीजी, इमाम मालीक बिन अनस रदी अल्लाहु तआला अन्हुम रिवायत करते है की........._
_"आजाद औरत (यानी बीवी) से बगैर उसकी इजाजत के अज़ल मना है!"_
📚 *_[बैहकी, तर्मीजी शरीफ,जिल्द 1 बाब नं- 773 हदीस नं-1134 सफ: नं-583]_*
📚 *_हदीस :_* _अमीरुल मोमिनीन हजरत उमर फारुख रदी अल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है........._
_" रसुलुल्लाह ﷺ ने आजाद औरत (बीवी) से बगैर उसकी इजाजत के अज़ल करने से मना फर्माया"!_
📚 *_[इब्ने माजा जिल्द 1, बाब नं-618, सफ नं-539]_*
📚 *_हदीस :_* _हजरत इमाम मालीक रदी अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है........._
*_"कोई अपनी बीवी से अज़ल न करे मगर उसकी इजाजत से"_*
📚 *_[मुअत्ता इमाम मालीक जिल्द 2, बाब नं-34, सफ नं-476]_*
~*_________________________________________*~
👉🏻 _मुसन्नीफ ने अपने तौर पर जो तहकीक की उसमे यह पाया की मसअला अज़ल मे हन्फीया,मालकीया और शाफई के दर्म्यान इख्तिलाफ है! हनफी और मालीकी आजाद औरत से (यानी बीवी) से अज़ल बगैर उसकी इजाजत के मकरुह जानते है! जबकी शाफई बगैर किसी कराहत के बिला इम्तियाज जाइज ख्याल करते है! मगर यह की औलाद से बचने की गर्ज से हो तो उस वक्त यह उनके नज्दीक भी मकरूह है!_
💫 _इन तमाम अहादीस से मालुम हुआ की औरत से जिमआ से पहले अज़ल करने या निरोध के इस्तेमाल की इजाजत जरुरी है! हनफी मजहब की बिना इस वज्हे अक्ली पर है की *जिमाअ दरअसल बीवी का शौहर पर हक है! और बजाहीर जिमआ वही माना जाता है जिसमे अज़ल न हो* लिहाजा अगर उसके खिलाफ यानी अज़ल की सुरत मत्लुब हो तो साहीबे हक (यानी अपनी बीवी) से अज़ल की इजाजत तलब करनी जरुरी है, और अगर बीवी अज़ल से या मौजुदा दौर मे *निरोध* (कंडोम) के इस्तेमाल से मना करे तो फिर उसे इस्तेमाल मे नही ला सकता!_
💫 *_अभी आप पढ चुके की अज़ल नाजाइज नही लेकीन तस्वीर का एक दुसरा रुख और भी है! वह इंशा अल्लाह तआला अगले पार्ट मे पढे......._*
~*_______________________________________*~
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-9⃣0⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
🔴 🔴 *_औलाद के कातील_* 🔴🔴
_______________________________________
_बच्चे की पैदाईश का सिलसिला हमेशा के लिये खत्म करने के लिये मर्द का नसबंदी कराना और औरत का ऑप्रेशन (Operation) करा लेना, या ऐसी दवा का इस्तेमाल करना जिससे बच्तो की पैदाइश हमेशा के लिए बंद हो जाए *इस्लाम मे सख्त नाजाइज व हराम है*_
💦 _आजकल लोगो मे यह खयाल आम तौर पर पाया जा रहा है, की ज्यादा बच्चे होंगे तो खाने पीने की किल्लत होंगी, खर्च बढेंगे, रहने के लिये जगह की कमी होंगी वगैरह वगैरह! अफसोस! यह खयालात सिर्फ गैर मुस्लीम कौमो के नही बल्की उनमे जदीदुल खयाल मुसलमानो की अक्सरीयत भी शामील है! यकीनन ऐसे खयालात शरीअत ए इस्लाम के खिलाफ है! मुसलमानो को ऐसा अकीदा रखना किसी तरह जाइज नही! भला इंसान की हैसियत ही क्या है की वह किसी को खिलाए और किसी की परवरीश करे, बेशक हकीकी रज्जाक और पालने वाला खालीक बारी तआला ही है! क्या आपने नही देखा की इंसान अपनी सारी तदबीरे मुकम्मल कर लेता है! लेकीन चंद दिनो का कहत (सुखा, आकाल) इंसान को भुकमरी पर मजबुर कर देता है! इसी तरह कभी-कभी ज्यादा बारीश भी इंसान के किए कराए पर पानी फेर देती है और हाथ कुछ नही आता! मालुम हुआ की हकीकत मे खिलाने और परवरीश करने वाला सिर्फ अल्लाह अज्जा व जल्ला है!_
💎 *_आयत :_* _रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है......_
*_وَ مَا مِنۡ دَآبَّۃٍ فِی الۡاَرۡضِ اِلَّا عَلَی اللّٰہِ رِزۡقُہَا....._*
*_"और जमीन पर चलने वाला कोई ऐसा नहीं जिसका रिज्क अल्लाह के जिम्मे करम पर न हो!"_*
📕 *_[सुराह हुद, आयत नं. 6]_*
~*_________________________________________*~
💎 *_आयत :_* _और एक दुसरे मकाम पर रब तबारक तआला इर्शाद फर्माता है......_
*_وَ لَا تَقۡتُلُوۡۤا اَوۡلَادَکُمۡ خَشۡیَۃَ اِمۡلَاقٍ ؕ نَحۡنُ نَرۡزُقُہُمۡ وَ اِیَّاکُمۡ ؕ اِنَّ قَتۡلَہُمۡ کَانَ خِطۡاً کَبِیۡرًا ﴿۳۱﴾_*
*_"और अपनी औलाद को कत्ल न करो मुफ्लीसी (गरीबी) के डर से हम उन्हे भी रोजी देंगे और तुम्हे भी, बेशक कत्ल बडी खता (गुनाह) है!"_*
📕 *_[सुराह बनी इस्राईल, आयत नं. 31]_*
👉🏻 *_अपनी बात : उपर की इन दो आयतो पर गौर करे तो निशानीयॉं हमारे सामने मौजुद है! हमे जिंदा रहने के लिये सांस लेना जरुरी है! अब जरा गौर करे जब बच्चा मॉ के शिकम मे होता है! जिसके लिये अल्लाह तआला ने उस बच्चे के लिये सांस लेने का भी इंतेजाम किया है! बेशक वही पालने वाला है! और उस बच्चे की गिजा (खाने) का भी इंतेजाम किया है! वही रिज्क देने वाला है!_*
*_अब उससे बडी बात अल्लाह तआला कितना निगेहबान है के उसने मॉ के पिस्तान (स्तन) मे उस बच्चे के दुनीयॉं मे कदम रखने से पहले उसके लिये दुध (रिज्क) का इंतेजाम भी कर दिया! और यह दुध कोई ऐसा वैसा नही आज की Medical Science तो आज Doctor के जरीये मॉ का पहला दुध बच्चे को जरुर पिलाने के लिये कह रही है! इस दुध से बच्चे मे कुव्वते मुदाफीयत (रोग प्रतिकारक शक्ती Immunity Power) बढती है! उस बच्चे को पालने का इंतजाम भी अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से कर रखा है! सुभ्हान अल्लाह!_*
*________________________________________*
📚 *_हदीस :_* _हजरत अब्दुल्लाह बिन मसऊद रदी अल्लाहु तआला अन्हु ने फर्माया की मैने हुजुर ए अक्रम ﷺ से अर्ज किया........_
*_"या रसुलुल्लाह! कौन सा गुनाह सबसे बडा है? फर्माया "तु अल्लाह का किसी को शरीक ठहराए, हांलाकी उसने तुझे तुझे पैदा किया है!" फिर अर्ज किया की फिर कौन सा? फर्माया.......... "तु अपनी औलाद को इस डर से कत्ल करे की वह तेरे साथ खाएंगी!"_*
📚 *_[बुखारी शरीफ जिल्द 3, बाब नं. 576, सफ: नं. 345]_*
💫 _देखा आपने औलाद को कत्ल करना कितना बडा गुनाह है! काश मुसलमान इस हदीसे पाक से इबरत हासीव करे और नसबंदी व ऑप्रेशन के जरीये इस कत्ल गिरी से बचे!_
📚 *_हदीस :_* _हजरत सैय्यदना इमाम गजाली रदी अल्लाहु तआला अन्हु फर्माते है के हुजुर ए अक्रम ﷺ ने इर्शाद फर्माया........_
*_"औलाद की खुशबू जन्नत की खुशबु है!"_*
📚 *_[मुकाशफतुल कुलुब सफ: नं. 515]_*
👉🏻 *_इस बारे मे बहुत सी हदीस वारीद है!हक पसंद के लिये इसी कद्र काफी और शाफी! अल्लाह तबारक तआला तौफीक अता फर्माए! आमीन!_*
*_______________________________________*
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
📕 *_करीना -ए-जिन्दगी_*📕
✍🏻 *_....भाग-9⃣1⃣_*
*_[जरा इसे भी पढ़िए!]_*
⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜
🔵 *_सोनो ग्राफी या (X-Ray)_* 🔵
*_______________________________________*
_इस दौर मे हर शख्स अपने आपको तरक्की याफ्ता और मॉर्डन कहलवाना ज्यादा पसंद करता हैै! लेकीन कुछ लोग हरकतो के ऐतेबार से आज से 1450 पहले अरब के जाहीलो से बढकर बल्की उन से कुछ ज्यादा ही जाहिल नजर आते है! अरब मे हुजुर ﷺ के ऐलान ए नबुवत से पहले वहॉ के काफीर और मुशरीकीन के यहॉ जब लडकी की पैदाईश होती तो वह उसे जमीन मे जिंदा गाड देते थे! और अगर लडका पैदा होता तो उसकी परवरीश बडे लाड प्यार से किया करते! बस वही काम इस दौर मे कुछ पढे लिखे और मॉर्डन कहलाने वाले जाहिल कर रहे है! तरीका थेडा मुख्तलीफ इख्तीयार किया है! एक्सरे सोनोग्राफी के जरीये यह मालुम कर लेते है के औरत के पेट मे लडका है या लडकी! अगर लडकी हो तो उसे खत्म कर दिया जाता है, यानी हमल गिरा दिया जाता है!_
🔥 _किस कद्र जालीम है वह औरत और मर्द जो एक नन्ही सी जान को दुनीयॉ मे ऑंख खोलने से पहले ही मौत की निंद सुला देते है! उन औरतो पर सैकडो लानते जो खुद एक औरत हो कर अपने जैसी एक जिन्स को कत्ल करती है! और उस मर्द पर भी सैंकडो लानते जो यह काम करने के लिये अपनी औरत (बीवी) को मजबुर करता है! *क्या यह जमाना ए जाहीलीयत के काफीरो और मुशरीको की पैरवी नही? क्या यह एक खुला हुआ कत्ल नही?*_
💎 *_आयत :_* _अल्लाह तबारक तआला इर्शाद फर्माता है..........._
*_قَدۡ خَسِرَ الَّذِیۡنَ قَتَلُوۡۤا اَوۡلَادَہُمۡ سَفَہًۢا بِغَیۡرِ عِلۡمٍ_*
*_"बेशक तबाह हुए वह जो अपनी औलाद को कत्ल करते है अहमकाना जिहालत से!"_*
📚 *_हदीस :_* _सहाबी ए रसुल हजरत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदी अल्लाहु तआला अन्हु "अल-असराउल-मेहराज" मे नक्ल फर्माते है.........._
_हुजुर ए अकरम ﷺ ने इर्शाद फर्माया!............_
_"मेहराज की शब मैने जहन्नम मे दरख्तो मे लटकी हुई औरते देखी की उन पर खौलता हुआ गर्म पानी डाला जाता तो उनका गोश्त झुलस जाता और तुकडो मे गिर पडता, मैने पुछा ऐ जिब्राईल! यह कौन औरते है? तो जिब्राईल (अलैहिस्सलाम) ने मुझे बताया "या रसुलुल्लाह! यह वह औरते है जो अपनी औलाद को खाने पिने और उनकी परवरीश व तर्बीयत के खौफ की वजह से दवाएे पिकर अपनी औलाद को मार डालती थी!"_
📚 *_[अल-असराउल-मेहराज, उर्दु तर्जुमा, सफ नं 23]_*
*_____________________________________*
💫. *_दुनीयॉ के तमाम मुहज्जब ही नही मुहज्जब कौमो मे भी इंसान का कत्ल करना, उसकी जान लेना सख्त जुर्म करार दिया जाता है! कातील की सजा कत्ल ही करार पाई है! इसलिये की कातील हकीकत मे समाज मे एक फर्द की जान लेकर आलम ए इंसानियत पर जुल्म कर रहा है! कत्ल मे जवान, बुढा, हत्ता के एक दिन का बच्चा सब बराबर है! तो फिर रहम ए मादर के महफुज कमरे मे आराम करने वाला नौनिहाल जो इंसानी शक्ल अख्तियार करके एक बेहतरीन काबील दिमाग लेकर आलम ए इंसानियत के लिये नफा बख्श हो सकता हो, उसको खाक मे मिलाने वाला, उसको बर्बाद करने वाला, उसको जहर देकर हलाक करने वाला, जमीन मे दफ्न या जंगल और नालीयों मे डालने वाले को किस उसुल के मुताबीक मुजरीम और कातील न करार दिया जाए?????_*
*_______________________________________*
👉🏻 *_इन बातो से नसीहत हासील करे, जो जान बुझकर हमल गिरा देते है! अभी यहॉ दुनीयॉ मे मन-मानी कर लो लेकीन याद रहे इंसाफ जरुर होना है ऐसी अदालत मे जहॉ न कोई रिशवत काम आएंगी न ही कीसी वकील की जिरह! वह अल्लाह रब्बुल इज्जत की अदालत है जहॉ ना इन्साफी नही होती!_*
★________________________________★
*हदीसे पाक में है कि इल्म फैलाने वाले के बराबर कोई आदमी सदक़ा नहीं कर सकता।*
*(क़ुर्बे मुस्तफा,सफह 100)*
★________________________________★
इससे पहले की पोस्ट पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://razawahidi.blogspot.com/2020/10/blog-post_81.html
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें