*सुन्नियत का काम करेंगे!*📚 *मसलक ए आला हजरत को आम करेंगे!
*शाने साबिर पोस्ट न. 1⃣*
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*💖हज़रत मख़दुम साबिर पाक (रहमतुल्लाहि अलैहि) का नस़बनामा…*
*🌴कुतबुल मशाइख़ हज़रत मख़दुम सय्यद अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि का नसब़ी ताल्लुक सादात खानदान से था।* और सही नसब़ थे। और
*🌺आपका सिलसिला नसब़ कई वास्तो से इम़ाम हुसैन से मिलता है। इसलिए कहा जा सकता है कि आप सही नसब़ के सय्यद थे। आपके बाप-दादा काफ़ी समय से बग़दाद मे आबाद थे।* आपका खा़नदान ज़ाहिरी उलुम मे बड़ा मशहूर था।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न. 2⃣*
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*💝वालि़द की तरफ से नस़बनामा💝*
*🍃हज़रत मख़दुम सय्यद अलाउद्दीन अली अहमद साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि* बिन सय्यद फतहुल्लाह बिन सय्यद नूर मुहम्मद (रहमतुल्ललाह अलैहि) बिन हज़रत सय्यद अहमद बिन हज़रत सय्यद गयासुद्दिन बिन सय्यद बहाउद्दिन बिन सय्यद दाउद बिन हज़रत ताजुद्दिन बिन सय्यद मुहम्मद इस्माईल बिना सय्यद ईमाम नातिक मूसा क़ाजिम बिन हज़रत इमाम ज़ाफर साद़िक बिन हज़रत सय्यद इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम बिन हजरत मौला मुश्किल क़ुशा सय्यदना अ़ली रजियल्लाहु अन्हु ।
*शाने साबिर पोस्ट न. 3⃣*
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*🍒हज़रत मख़दुम साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि की वालिदा🍒*
*🌻आपकी वालिदा का नाम हज़रत हाजरा था लेकिन जमीला खातुन के नाम से मशहूर थीं। हज़रत हाजरा के वालिद का नाम काज़ी जमालुद्दिन सुलेमान था।* आप जमालुद्दिन सुलेमान की बड़ी बेटी थीं। हजरत बाबा फरीद गंज शकर की बड़ी बहन थीं। आप रात भर ख़ुदा की इबादत करती थीं। रोजा, नमाज, तकवा और परहेजगारी की तस्वीर थीं।
*🌷आपके वालिद हाजी अब्दुर॓हीम बग़दाद शरीफ से आकर अफगानिस्तान के शहर हिरात मे रहने लगे।* यहीं आपका निकाह हज़रत हाजरा उफ़॓ जमीला खातुन से 17 जमादिउल आख़िर 571 ह़िजरी को जिला मुल्तान मे हुआ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न. 4⃣*
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*💎हज़रत मख़दुम साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि की💎*
*🌺वालिदा का नस़बनामा🌺*
*🌸हज़रत बीबी हाज़रा का सिलसिला नसब़ यह है। हज़रत बीबी हाज़रा बाबा फरीद गंज शकर रहमतुल्ललाह अलैहि बिन काजी शेख जमालुद्दिन सुलेमान बिन काजी शेख शुऐब बिन शेख मुहम्मद अहमद बिन शेख युसूफ* बिन शेख शहाबुद्दीन बिन नसीर फख़रूद्दीन महमूद बिन शैख सुलेमान बिन शेख सऊद बिन शेख़ अब्दुल्लाह वाइज़ अल असगर बिन वाइज़ अल अम्बर अबुल फ़तह बिन शेख इसहाक़ बिन नासिरूद्दिन बिन शेख़ अब्दुल्लाह बिन अमीरूल मोमिनीन हज़रत उमर फारूक (रजियल्लाहु अन्हु हुज़ूर के दूसरे खलीफा)
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न. 5⃣*
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*🌺हज़रत साबिर पाक रहमतुल्लाहि के पैदा होने से पहले आसार व करामात…🌺*
*💝जिस दिन हज़रत सय्यद अब्दुर्रहीम से हज़रत हाजरा उर्फ जमीला का निकाह हुआ। उस समय उस हुज़रे मे जहाँ सुन्नते निकाह अदा की गई थी अजीब सी निशानीयाँ पैदा हुई।* और एक नूर जो याक़ूत की तरह था, हज़रत अब्दुर्रहीम साहब की पेशानी पर चमक रहा था। और उसी रंग का बादल बार-बार हुजरे की छत से मिलता हुआ मालूम होता था, जिसने पूरे हुजरे को अपनी खुशबू से महका दिया। निकाह के बाद भी यह नूर आपके वालिद की पेशानी पर चमकता रहा, जब तक की आपका वुजूद माँ के पेट मे न आ गया।
*💎वह सुर्ख नूर जो हज़रत अब्दुर्रहीम की पीठ मुबारक मे मौजूद था, ग्यारहवीं रबीउल अव्वल आखिर 591 हिज़री को जुम्मे की रात मे हज़रत बीबी हाजरा आपकी वालिदा के पास आ गया। हाजरा के कमरे में वही खुश रंग बादल छाया हुआ रहना लगा।* और सारे घर को अपनी खुश्बू से महकाने लगा। पैदाइश का दिन करीब आता गया। पैदाइश से नौ रोज़ पहले हज़रत की वालिदा ने अपने पेट से एक आवाज सुनी कि मैं ज़हुरूल्लाह हूँ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न.6⃣*
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*💎हज़रत मख़दुम साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि की पैदाईश व करामात..💎*
*🔮मुल्के अफगानिस्तान में एक शहर हिरात है जहाँ आप रहमतुल्लाहि अलैहि के वालिदेन ने सुकूनत इख्तियार कर ली थी।* वहीं आप 19 रबिउल अव्वल 592 हिजरी में तहज्जुद की नमाज के वक़्त पैदा हुए । जब आप पैदा हुए तो सारे घर में नूर ही नूर था और चारों तरफ खुश्बू फूट रही थी। और एेसा मालूम हो रहा था जैसे तमाम दरों-दीवार खुशी के मारे झुम रही हो। आपकी दाया बसरी बिन्त हाशिम का बयान है कि जिस वक़्त आप अपनी वालिदा के पेट से बाहर आए तो आपका सिर क़िबले की ओर था और पाँव मेरी ओर थे।
*💠 मेरी यह हिम्मत न हुई कि आपके पाक शरीर को हाथ लगा लूँ। जब आपको गुस्ल देने का इरादा करती और आपको उठाने के लिए तो हाथ लगाती* तो मेरे हाथ काँप जाते थे। फौरन ही हाथों में नाकाबिले बर्दाश्त सोजिश (जलन पैदा हुई)। आपकी वालिदा ने दाया को कहा कि पहले वुजू कर लो इसके बाद पाक शरीर को हाथ लगाना। चुनाँचे दाया ने वुजू करके ग़ुस्ल कराया।
*🌺उस वक़्त भी आपकी वालिदा को वही याक़ूती नूर और खुश्बू से भरपूर बादल अपने घर के कोने-कोने में* मालूम होता था। और यह भी महसूस होता था कि पाक रूहें सफेद लिबास पहने घर मे आ रही हैं और पैदा होने वाले मासूम बच्चे की पेशानी का बोसा लेकर वापस हो रही है।
*🌴प्यारे साबिर की अजमत पे लाखो सलाम*
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न.7⃣*
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*💝हज़रत मख़दुम साबिर पाक का नामे मुबारक की वज़ह💝*
*🍃पैदा होने के बाद आपका नाम अली अहमद रखा गया। लेकिन बाद में एक बुज़ुर्ग आपके वालिद के पास तशरीफ लाये और आपको बुलाकर देखा और प्यार किया। फिर फरमाया यह बच्चा अलाउद्दीन कहलाएगा।* और ऐसा ही हुआ।
*🌻आपकी पैदाइश से पहले आपकी वालिदा के ख्वाब में सरवरे कायनात मुहम्मद मुस्तफा अहमद मुजतबा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम* तशरीफ लाये और कहा आने वाले बच्चे का नाम अहमद रखना। बाद को एक रात हज़रत अली रजियल्लाहु अन्हु ख्वाब में आये और आपकी वालिदा को हिदायत दी कि इस बच्चे का नाम मेरी निस्बत से *अ़ली* रखना । फिर आपकी पैदाइश के बाद एक बुलन्द पाया बुजुर्ग मकान पर तशरीफ लाये और आपको गोद में लेकर पेशानी का बोसा लिया और आपको देखकर बहुत खुश हुए।
*💐आपके वालिद माजिद से कहा कि इस बच्चे का नाम अलाउद्दीन रखना। आपकी वालिदा ने अली अहमद रख दिया। मगर बाद में दोनो नामो को मिलाकर आपका नाम अलाउद्दीन अली अहमद रखा।* पैदाइश के अवसर पर उस जमाने के बुजुर्ग हज़रत शेख़ अबुल कासिम गिरगानी ने आपके कान मे आज़ान कहीं और कहा कि यह बच्चा कुतुब ए आलम होगा।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न.8⃣*
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*🌺बचपन में दूध पीने के दौरान की करामात🌺*
*💎आपके वालिद हज़रत अब्दुर॓हीम अपनी किताब अनवारूल-शहूद में फरमाते है। पैदाइश के बाद दुध पीने के दिनो में आपसे कई करमाते का सबूत मिलता है। पैदाइश के कई दिनों तक आपने दूध नहीं पीया, आखिर एक दिन आपके वालिद ने आपके सबृ व बुजुगी॓ पर 4 रक़अात नमाज़ निफ्ल शुकराने की पढी और 21 बार *या शेख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी शैयअन लल्ला मद्दा बिइजनिल्लाह* पढ़कर अलाउद्दीन अली अहमद के सीने पर द़म किया, तो दूध पीना शुरू कर दिया और एक साल तक लगातार आपका यह तरीका रहा कि आप एक दिन रोज़ा रखते और एक दिन दूध पीते।
*🔮इसके बाद यह दस्तूर रहा कि एक दिन दूध पीते और दो दिन रोज़ा रखते और दो साल के बाद अपने आप दूध पीना छोड़ दिया। जब आप तीन साल के हो गए और चौथे साल में कदम रखा तो आपने बोलना शुरू किया, तो सबसे पहले *हज़रत रहमतुल्ललाह अलैहि* की ज़बान से वो कलिमा निकला वह था – *ला माबूदा इल्ललल्लाह यानी अल्लाह* के सिवा कोई माबूद नहीं।
*💐जब आप की उम्र 6 साल की हुई तो आप यत़ीम हो गये। 7 वां साल शुरू होने पर आपने पाबंदी के साथ *तहज्जुद* पढ़ना शुरू किया। किसी वक़्त भी इबादते इलाही से ग़ाफिल नही रहते। अगर कभी किसी अहले बातिन और रोशन ज़मींर से कलामे इश्क़े इलाही सुनते तो आप पर फौरन वज़दानी कैफियत तारी हो जाती थी। आपकी वालिदा
*💠अक्सर आपसे फरमाती कि बेटा तुम्हारी उम्र अभी इस काबिल नहीं कि इस क़दर* मुजाहिदात व मशक्कत करो। आप जवाब में फरमाते। ऐ माद़रे मेहरबां क्या करूं दिल नही मानता। हमारी तमन्ना यही है कि राहे हक़ मे ख़ुद को फना कर दूँ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न.9⃣*
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*💎साँप के दो टुकडे हो जाना💎*
*🔮हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्ललाह अलैहि के वालिद माजिद का बयान है कि रबिउल अव्वल 592 हिजरी की घटना है कि उन्होंने* सुबह के वक्त मुराकबे से आँख खोली तो देखा कि एक साँप के दो टुकडे पड़े हुए हैं। साँप का एक टुकड़ा उन पर गिरा और दूसरा टुकडा जमीन पर गिरा।
*💠अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्ललाह अलैहि वहाँ बैठे हुए थे। हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्ललाह अलैहि की वालिदा ने फरमाया* :क्या में ख्वाब देख रही हूँ। अब अलाउद्दीन अली अहमद फरमाते है, आज से कोई साँप मेरे परिवार के किसी आदमी को नही काटेगा। मैंने सापों के बादशाह को मार डाला। और अब साँपों से वादा ले लिया कि वह मेरे परिवार के किसी भी आदमी को हरगिज़ नहीं काटेगा।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न. 🔟*
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*💎ख़ाली पानी में खुशबूदार चावल तैयार हो जाना💎*
*🌹आपकी वालिदा ने बताया है कि एक बार दो- तीन दिन से घर मे फांका था। और खाने को कुछ भी ना आता था। और किसी से माँगने या कहने को मेरा दिल न करता था।* सुबह की नमाज के बाद अलाउद्दीन अली अहमद मेरे पास आये। मुझसे कहा कि आज बडी भूख लगी है, कुछ खाने को दीजिये । माँ ने बेटे को तसल्ली देने के लिए पानी से भरी देगजी चूल्हे पर रख कर नीचे से आग सुल्गा दी और बेटे से कहा कि थोड़ी देर इंतज़ार करो, खाना पक रहा है। जब बहुत देर हो गई, खाना नही मिला तो फिर वालिदा साहिबा से अर्ज किया कि भूख बहुत लगी है।
*🔮हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद खुद ही देगची के पास गये और उसे खोलकर मुझसे कहा कि चावल तो बिल्कुल पक गए हैं,* आप मुझे जल्दी से खिला दीजिए। मुझे यह सुनकर बडी हैरत हुई कि देगची में चावलों का तो नाम भी न था। यह कैसे कह रहे हैं कि चावल पक गए हैं।
*☝जाकर देखा तो हक़ीक़त में बडे अच्छे पके हुए चावल तैयार थे। मैंने अलाउद्दीन अली अहमद को उनमे से निकाल कर खिलाये।* फिर मौलवी मुहम्मद क़ासिम को बुलाकर चावल दिखाए और सारी बात सुनाई। वे चावल मौलवी अबुल क़ासिम साहब ने तबर्रूक के तौर पर खुद भी खाए और फिर बाद में उन चावलों को तबर्रुकन तक़सीम कर दिया।
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣1⃣*
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*🌸हज़रत मख़दुम साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि के वालिद साहब की वफात🌸*
*🌷जब हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्ललाह अलैहि* की उम्र 6 साल की हुई, तो आपके वालिद माजिद का साया सर से उठ गया। आपको सख्त सदमा हुआ। आप एक साल तक खामोश रहे। *वालिद माज़िद के इंतकाल* के बाद आपकी वालिदा की ज़िन्दगी निहायत गुरबत मे बसर होने लगी। मगर वह अपनी गुरबत का इज़हार किसी से नही फरमाती थी। चार पाँच दिन बाद जब कुछ खाने को मिल जाता तो खा लेती थी।
*💎हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्ललाह अलैहि* दिन मे एक बार थोडा सा पानी पी लेते थे और अगर सूखी रोटी मिल जाती तो सूखी रोटी के टुकडे खा लेते। आप ज़्यादा तर ख़ामोश रहते। *अलाउद्दीन अली अहमद* पूरी पूरी रात इबादत में गुज़ार देते, खुदा की मुहब्बत मे खोये रहते थे। जिस कमरे में आप इबादत करते उसमे से कभी कभी यह आवाज आती थी कि *मैं ज़हूरूल्लाह हूँ।*
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर )*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣2⃣*
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*🔮आपकी वालिदा का आपको लेकर पाक पट्टन पहुँचना🔮*
*🌹आपकी वालिदा ने हज़रत अबुल कासिम गुरगामी रहमतुल्ललाह अलैहि से कहा कि मे अपने बेटे *हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद* को अपने भाई *हज़रत बाबा फरीद गंज शकर* के पास भेज दूँ।
*🍃हज़रत अबुल कासिम गुरगामी* इस बात पर बहुत खुश हुए। और कहा कि अलाउद्दीन अली अहमद को अपने भाई बाबा फरीद के पास ले जाऔ। वहा उनकी अच्छी तरह परवरिश और तालीम भी हो जाएगी और बातिनी इल्म भी मिल जाएगा।
*🌸सब मिलने वालो ने भी यही मशविरा दिया। हज़रत अबुल कासिम गुरगामी और आपकी वालिदा अलाउद्दीन अली अहमद* को लेकर सन् 1209 ई. यानी 601 हिजरी बुधवार शाम के वक्त बाबा फरीद के पास पाक पट्टन पहुंचे।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.16,17)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣3⃣*
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*💎हज़रत मख़दुम साबिर रहमतुल्ललाह अलैहि की उँगली शमा की तरह रोशन हो गई💎*
*🌹हजरत बाबा फरीद ने फरमाया कि जब जमाल ने तुम्हारा कुतुबियत नामा फाडा तो तुमने अपनी ज़बान से कुछ कहा तो नहीं, हज़रत मख़दुम साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि* ने अज॓ किया कि मैने ज़लाल मे आकर यह कह दिया कि तुमने मेरे फरमान को फाडा मैने तुम्हारा सिलसिला काट दिया। हजरत बाबा फरीद ने फरमाया अव्वल से या अख़िर से। साबिर पाक ने फरमाया अव्वल से , हज़रत बाबा फरीद ने फरमाया दीन के पहलवानों का वार कभी खाली नहीं जाता।
*☘यह अच्छा हुआ कि तुमने अव्वल से कहा कम से कम आख़िर तो बचा रहा। तुम्हारे सिलसिले में एक कुतुब पैदा होगा वह तुम्हारा मुरीद हुआ करेगा।* उसकी ही बरकत से कुतुब हांसवी का सिलसिला बाकी रहेगा।
*💖हज़रत शैख़ जमालुद्दीन कुतुब हांसवी के बडे बेटे अल्लाह की इबादत में मशगूल हो कर बाप ही के सामने इस दुनिया से चले गए।* हज़रत कुतुब साहब के पर्दा करने के बाद उनके छोटे बेटे हज़रत बुरहानुद्दीन ने हज़रत बाबा साहब से ज़ाहिरी व बातिनी इल्म हासिल की, लेकिन दोलते पिदरी और मर्तबा खिलाफत व इजाजते बैअत से महरूम रहे। मगर हज़रत नुरूद्दीन छोटे बेटे
*🌼हज़रत जमालुद्दीन कबीरूल औलिया पानीपत के मुरीद होकर दजा॓ कमाल को पहुंचे। इस वाकिया से यह मालूम हुआ कि जब हज़रत बाबा को दिया हुआ खिलाफत नामा हज़रत हांसवी रहमतुल्ललाह अलैहि* ने फाडा तो हज़रत मख़दुम साबिर पाक रहमतुल्लाहि अलैहि ने हांसी से वापस अजोधन (पाक पट्टन) तशरीफ लाकर हालात बताये तो हज़रत बाबा ने दोबारा खिलाफत नामा लिखकर दिया और कलियर की सरजमीन आपको बख़्श कर वही जाने का हुक्म दिया।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.15,16)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣4⃣*
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*🌹हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि की पाक पट्टन में पहली करामात🌹*
*🌼उस समय आप की उम्र 11 वर्ष की थी जब अलाउद्दीन अली अहमद की वालिदा ने अलाउद्दीन अली अहमद को बाबा फरीद* की गोंद में दिया। उस वक़्त अलाउददीन अली अहमद पर एक *अज़ीब कैफियत* तारी थी । आपने अपने मामु जान *हज़रत बाबा फ़रीद* से कहा कि आज से 3 साल बाद मेरे दादा का इंतकाल हो जायेगा। *बाबा फरीद* ने फ़रमाया,बेटे तुम यहाँ हो और तुम्हारे *दादा बगदाद* में है। तुम्हे कैसे पता चला की उनका तीन साल के बाद इंतिक़ाल हो जायेगा।
*💎अलाउद्दीन अली अहमद ने फ़रमाया, मेने अभी अपने दिल की और देखा तो *वालिद का चेहरा* सामने आ गया। और दायें हाथ की 3 उंगलिया मेरी और उठाई जो मोत की निशानी है। यह सुन कर *हज़रत बाबा फरीद* ने आप को सीने से लगा लिया।और लगाना ही था की बाबा फरीद को अजीब कैफियत होने लगी। और आप जब्ब् की हालत में बार बार कहते मरहबा फ़रज़न्द *अली अहमद बतनुल वली बतनुल वली बतनुल वली*। तुम बचपन से ही वली हो। ऐसा हुआ 3 साल के बाद की आप के दादा हज़रतअब्दुल वहाब सफैदुद्दीन का बगदाद शरीफ में इंतिक़ाल हो गया।
*(📚करामातऔर दास्तान शाने सबीरे पाक पेज न.16)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣5⃣*
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*💖आपका बाबा फरीद रहमतुल्लाह अलैहि से बैत होना💖*
*🌸आपकी वालिदा ने अपने भाई बाबा फ़रीद गंज शकर रहमतुल्लाह अलैहि* से कहा की आप इस बच्चे को अपनी गुलामी में ले लो । इस पर बाबा फरीद ने कहा कि बहन मैं तुम्हारा बहुत अहसानमंद हूँ जो तुम अपने बच्चे को मेरे पास छोड़ रही हो ।
ये बच्चा *औलीया अल्लाह* के जूमरे में यकता और बेमिसाल होगा। यह बच्चा बादशाहे-दो जहां हैं। इस बच्चे को में तीन साल के बाद *मुरीद करूँगा।*
इन तीन साल में यह बच्चा बातिनी इल्म भी सीख़ लेगा, वह भी ज़रूरी हैं।
हज़रत अबुल क़ासिम गुरगामी और हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद की वालिदा 3 साल तक हज़रत बाबा फ़रीद के यहां कयाम किया ।
इसके बाद हिरात चली गई । तीन साल बाद बाबा फरीद ने अलाउद्दीन अली अहमद को मुरीद किया । आपको हज़रत बाबा फ़रीद ने इस वक़्त जो मुरीद किया वह *ख़ानदाने पाक हनफिया में मुरीद* किया था ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.17,18)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣6⃣*
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*💖तक़सीमे लंगर💖*
*💞हज़रत बाबा फरीद ने लंगर तक़सीम करने का हुक्म दिया तो उस वक़्त आपकी उम्र 11 साल की थीं। बयान किया जाता है कि आपने 26 शव्वाल 603 हिज़री को लंगर बाटना शुरु किया ।* आपके लंगर बाटने का तारीका यह था कि आप सुबह की नमाज़ जमाअत के साथ अदा करते थे और इसके बाद अपने हुजरे के अंदर ज़िक्र व फ़िक्र में लग जाते ।
इसके बाद अपने हुजरे शरीफ से बाहर तशरीफ लाते और ग़रीबो, मिस्किनो में लंगर तक़सीम करते । इसके बाद फिर आप हुजरे शरीफ में चले जाते और वहाँ फिर इबादात में लग जाते ।
*💎आप दिन में दो बार लंगर तक़सीम करते । एक सुबह के वक़्त , फिर मग़रिब की नमाज के बाद लंगर तक़सीम करते और फिर हुजरे शरीफ में वापस चले जाते ।* आपने लगभग 12 साल तक लंगर तक़सीम किया और इस दौरान किसी ने भी हज़रत अलुद्दीन अली अहमद को कुछ खाना खाते हुए या कुछ पीते हुए नही देखा ।
*🌹यानी जिस दिन से हज़रत बाबा फ़रीद ने लंगर उनके सुपूर्द किया उस दिन के बाद आपको किसी ने खाते या पीते हुए नहीं देखा ।* मतलब यह है कि आपने इसी दिन से जिस्मानी ग़िज़ा बिल्कुल तर्क कर दी थी और आपकी जिन्दगी का दारोमदार तमामतर रूहानी ग़िज़ा पर था।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.18,19)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣7⃣*
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*💝तक़सीमे लंगर💝*
*💐जब आपकी वालिदा ने देखा की मेरे बेटे की परवरिश और तालीम अच्छी तरह से हो रही हैं तो उन्होंने वापस आने का इरादा किया । जब आपकी वालिदा आपको पाक पट्टन छोड़कर हिरात जाने लगी तो चलते वक़्त उन्होंने अपने भाई बाबा फरीद* से कहा कि यह बच्चा बहुत कम बोलता है और खाने पीने की तरफ बहुत कम ध्यान देता है । यह मुझसे खाना नहीं माँगता, आप खुद इसके खाने पीने का ध्यान रखना ।
*🌼यह बच्चा रोज़े बहुत रखता है और बहुत शर्मीला है । 12 साल बाद में वापस आऊँगी और इसकी शादी तुम्हारी लड़की से करूंगी बाबा फरीद ने उसी वक़्त हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद* को बुलाकर उनकी वालिदा के सामने हुक्म दिया कि सुबह से तुम लंगर का इन्तजाम और खाना तक़सीम किया करो और
*🌹आपने यह भी फ़रमाया कि बहन दोनों बच्चे तुम्हारे है । तुम जैसा भी चाहो कर लेना । यह सुनकर आपकी वालिदा भी बहुत खुश हुई और* अलाउद्दीन अली अहमद को प्यार करके हिरात वापस चली गयी ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.18,19)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣8⃣*
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*🌹आपका हुजरे शरीफ़ में रोना🌹*
*🌷एक मर्तबा का जिक्र है । एक आदमी ने देखा कि हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद अपने हुजरे शरीफ़ में रो रहे हैं । बाद में उस आदमी ने अलाउद्दीन अली अहमद* से रोने का सबब मालूम किया तो आपने जवाब दिया कि मुझे सुलूक के सल्ब हो जाने का खौफ हैं।
आज से *अल्लाह तआला* ने मुझे दुनिया-ए-फानी से बिल्कुल लाताल्लुक़ बना दिया। आज के बाद कोई आदमी मेरे पास नहीं आएगा। बस रिजालुलगैब और
*🌹औलीया के मासीवा कोई मेरे पास नहीं आने पायेगा । लिहाज़ा उस रोज़ के बाद हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद के हुजरे शरीफ के अंदर दाखिल होना तो दरकिनार किसी में इतनी मजाल भी नहीं थी कि हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद* के हुजरे शरीफ के क़रीब भी भटक सकता और इसके बाद अपको जलाली कैफ़ियत शुरू हो गयी।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.19)*
*शाने साबिर पोस्ट न.1⃣9⃣*
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*🌷आपने 12 साल तक लंगर का एक भी दाना नहीं खाया🌷*
*📜कहा जाता है कि जब हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्लाह अलैहि* की वालिदा को इन दर्दनाक वाक़ियात की इत्तिला मिली तो आप हिरात से अलीमुल्लाह अब्दाल के साथ पाक पट्टन शरीफ़ 19 जमादिल अव्वल 610 हिज़री जुमे के दिन की नमाज़ के बाद तशरीफ लाई । तीनो भतीजो की मौत का उनके दिल पर बहुत असर हुआ और जब आपकी वालिदा ने अपने बेटे
*💎अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्लाह अलैहि* को देखा तो बहुत ज्यादा कमजोर व लागर पाया । इसका सबब मालुम किया तो उन्हें पता चल गया कि आप बिलकुल भी कुछ नहीं खाते । तो उन्हें बहुत अफ़सोस हुआ ।
आपने अपने भाई *बाबा फरीद* से फ़रमाया, आपने मेरे बच्चे को खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया। इस पर *बाबा फ़रीद* ने फ़रमाया , मैने तो इस बच्चे को पूरे लंगर का मालिक बनाया था , आप बुलाकर दरयाफ़्त कर लेँ।
*🌺जब हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद रहमतुल्लाह अलैहि को बुलाकर पूछा गया तो आपने फरमाया मामूँ जान आपने मुझे लंगर बाटने के लिये कहा था , खाने के लिये नहीं ।* आख़िर में किस तरह खा सकता था । इस बात पर हज़रत बाबा फ़रीद ने हज़रत अलाउद्दीन अली अहमद को अपने सीने से लगा लिया और बहन की तरफ मुखातिब होकर कहा , यह बच्चा साबिर कहलाने के लिए पैदा हुआ है। उस दिन से आप पूरी दुनिया मेँ साबिर पाक के नाम से मशहूर हो गये ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.21)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣0⃣*
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*🍒हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि का निकाह🍒*
*🌹कुछ दिनों के बाद आपकी वालिदा ने अपने भाई बाबा फ़रीद से फ़रमाया कि मेरा साबिर* बालिग़ हो चूका हैं। इसलिए में चाहती हूँ कि आप अपनी लड़की *ख़दीजा उर्फ़ शरीफ़ा* की शादी मेरे साबिर से कर दीजिये । इस पर आपके भाई बाबा फ़रीद ने फ़रमाया कि *हज़रत मख़दूम साबिर* इस लायक़ नहीं कि इनकी शादी की जाये , वह शादी-ब्याह से बहुत दूर है ।
*🌻हज़रत मख़दूम साबिर* अपने होश में नहीं रहते , इसलिए उनकी शादी मत करो ।
*🌺आपकी वालिदा को हज़रत बाबा फ़रीद की यह बात सुनकर दुःख हुआ और कहने लगी कि मेरा साबिर यतीम है* और में गरीब हूँ , इस वजह से आप अपनी लड़की की शादी मेरे साबिर के साथ नहीं करना चाहते । बहन के इन कलिमात ने भाई के दिल पर असर किया। हज़रत की वालिदा ने 21 शव्वाल बुध के दिन अस्र की नमाज़ के बाद 613 हिज़री को हज़रत बाबा फ़रीद की लड़की
*🔮ख़दीजा उर्फ़ शरीफ़ा के साथ हज़रत मख़दूम साबिर पाक* का निकाह कर दिया ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.22)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣3⃣*
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*🌹नौ साल की तल्लीनता🌹*
*🌺हज़रत मख़दूम साबिर पाक अपनी वालिदा की वफ़ात के बाद 9 साल तक अपने हुजरे से सिवाए ज़रूरते ख़ास के बाहर नहीं आए* और आपको फिर ऐसा इस्तगराक हुआ कि आप 9 साल तक उसी हुजरे शरीफ़ में बंद रहे , कुछ नहीं खाया । आपने लगभग 12 साल लंगर तक़सीम किया । वलियों में ऐसी मिसाले बहुत कम देखने को मिलती हैं।
*(📚करामात और दास्तान साबिर पेज न. 23)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣4⃣*
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*💖हज़रत साबिर पाक का बाबा फ़रीद के हाथ पर मुरीद होना💖*
*🌹हज़रत बाबा फ़रीद फरमाते हैं कि हज़रत मख़दूम साबिर पाक को अपने हुजरे में 9 साल हो गए तो मुझे बमोजिबे इल्हामे बातिन में नज़र आया कि मख़दूम साबिर पाक* को उठाओ ।
*🍁👉🏿हज़रत बाबा फ़रीद सन् 1217 ई. 623 हिजरी सुबह के वक़्त मख़दूम साबिर पाक के हुजरे में गये तो देखा कि हज़रत मख़दूम साबिर पाक हालाते मस्तगरक में है ।* उन्हें अपना कुछ होश नहीं । बाबा फ़रीद ने उनके कान में 7 बार कलमा-ए-शहादत पढ़ा तो मख़दूम साबिर पाक ने बाबा फ़रीद को सलाम किया। बाबा फ़रीद ने उन्हें कमरे से बाहर ले आये , उस वक़्त आपको थोड़ी-थोड़ी बेखुदी थी ।
*🌹फिर अस्र की नमाज़ के बाद सब हाज़रीन के सामने मख़दूम साबिर पाक को अपने हाथ पर ख़ानदाने पाक चिशतिया में दाखिल किया यानी आपको मुरीद किया* और अपनी कलाह मुबारक पहना दी। और खिरका मुक़द्दसा अपना उड़ा दिया । बैअत होने के बाद
*🥀हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि दिन में ठीक रहते और रात में इस्तगराक की हालत में हो जाते*और रात भर आप अल्लाह की याद में गुज़ारते। ज़िक्र व तस्बीह के साथ हज़रत बाबा फ़रीद की नेक तालीम में रहकर और फ़िक्र के दर्जात हासिल किये और 27 साल तक इसी तरह मुजाहिदात और बाबा फ़रीद से तालीम पर दिल से अमल करते रहे। और फिर *हज़रत मखदूम साबिर पाक रात में हालते इस्तगराक में हो जाते।*
*(📚करामात और दास्तान साबिर पेज न.24)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣5⃣*
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*💝हज़रत साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि की ख़िलाफ़त व इजाज़त अता करना💝*
*🌹👉हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि के हज़रत बाबा फ़रीद* सगे मामू भी थे । पीर भी थे और ससुर भी थे और आखिर 27 साल की रियाज़त और मुजाहिदे के बाद
*💎👉हज़रत बाबा फ़रीद ने अल्लाह के हुक़्म से आपको ख़िलाफ़त अता की और कहा कि तुम कलियर शरीफ़* के साहिब-विलायत हो, कलियर शरीफ़ जाओ और ख़ुदा की इबादत करो और साथ में अली मुल्ला अब्दाल ख़ादिम को भी आपके साथ रवाना कर दिया । फ़रमाया की आज *मख़दूम साबिर* मेरा ज़ाहिरी-बाहरी-बातनी इल्म ले चला ।
*(📚करामात और दास्तान साबिर पेज न.24)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣6⃣*
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*💎हज़रत साबिर पाक का कलियर शरीफ़ आना💎*
*🌷हज़रत पीर के रोज़ सन् 1253 ई. (650) को अली मुल्ला अब्दाल के साथ कलियर शरीफ़*पहुंचे , एक बूढ़ी औरत गुलज़ारी रोग़न के मकान में मुक़ीम हुए और हस्बे मामूल इबादत व रियाज़त में मशग़ूल हुए । *आपके ज़ुहद व तक़वा की शोहरत कलियर* में चारो तरफ़ फैलने लगी ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.25)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣7⃣*
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*🌷आपकी कलियर शरीफ़ में लोगों को हिदायत🌷*
*🌸👉🏿आपने अपने पीर हज़रत बाबा फ़रीद की इजाज़त से कलियर शरीफ़ में अल्लाह* के बताए हुए दीन व तालिम को समझना शुरू किया । बूढ़ी औरत गुलज़ारी जिसके मकान में आप ठहरे थे वो औरत और उसका लड़का और दो-तीन आदमी आपके साथ रहने लगे।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.25)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣8⃣*
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*🌺आपका गुलज़ारी के मकान पर कयाम करना🌺*
*💖👉🏿हज़रत मख़दूम साबिर पाक गुलज़ारी के मकान के एक कोने में इबादत में मशगूल रहते थे। सबसे पहले मसम्मात गुलज़ारी ज़ईफा* आपकी मुरीद हुई और इसके बाद उसका लड़का बहाद्दीन मुरीद हुआ। जब आपकी बहुत शोहरत होने लगी तो लोग आपसे चिढ़ने लगे और आपके खिलाफ हो गए। जिसमे सबसे ज्यादा खिलाफ क़ाज़ी तबारक था
*🍁👉🏿 जो उस वक़्त कलियर शरीफ का क़ाज़ी बना हुआ था । क़ाज़ी तबारक ने आपके खिलाफ लोगो को बहकाना शुरू कर दिया । बहुत से लोगो ने क़ाज़ी तबारक* की वजह से आपके पास आना छोड़ दिया ।
“`🌸गुलज़ारी उसका बेटा और चार व पांच आदमी आपकी ख़िदमत में थे। क़ाज़ी तबारक का ज़ुल्म दिन-ब-दिन बढ़ता रहा ।“` आपने कलियर शरीफ की मस्जिद में भी वाज़ व नसीहत का सिलसिला शुरू किया । यह बात तबारक को सख़्त नागवार मालुम हुई । उसने रईसे *कलियर क्यामुद्दीन* से शिकायत करनी शुरू कर दी की कलियर में एक ऐसा आदमी आया है जो खुद को इमाम कहलाना चाहता हैं और आपनी बुज़ुर्गी व करामात का दावा करता हैं और अपने आप को किसी मुर्शद का भेजा हुआ कलियर का साहिबे विलायत कहता हैं ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.25,26)*
*शाने साबिर पोस्ट न.2⃣9⃣*
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*🌹आपकी करामात से पेट में बकरी का बोलना🌹*
*🌷👉रईसे कलियर की बकरी जो तुमने खाई हैं उसके बारे में बताओ । तो उन लोगो ने एक जबाँ होकर इन्कार किया की हम लोगोँ ने बकरी नहीं खाई , तब आपने रईसे कलियर* से कहा की तुम उस बकरी का नाम लेकर आवाज दो । रईसे कलियर ने अपनी बकरी का नाम *हरमना* लेकर पुकारा तो उन लोगो के पेट से बकरी की आवाज आई । बकरी ने सारा माज़रा ब्यान कर दिया । कहा इसको ज़िबह किया और कहा बकरी का गोश्त भून कर खाया गया।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.26)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣0⃣*
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*🌺हज़रत बाबा फ़रीद को हक़ीक़ते हाल लिखकर भेजना🌺*
*💐👉🏿 हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि को कलियर* आये हुए अभी ज्यादा अरसा नहीं हुआ था कि आपकी करामात और शोहरत दूर-दूर तक होने लगी।
“`🍁हज़रत मख़दूम साबिर पाक के फयूज़ व बरकात से लोग मुस्तफीज होने लगे । वहा का क़ाज़ी आपको बहुत परेशान करता था और मख़दूम साबिर पाक के खिलाफ लोगो को भड़काता था, लेकिन“`
*🌸मख़दूम साबिर पाक इन बातो को बर्दाश्त करते थे । जब आप बहुत परेशान हुए तो आपने आख़िर में आकर एक ख़त में हक़ीक़ते हाल *अपने पीर व मुर्शद* के हुजरे में पेश किया ।
*🌷👉🏿हज़रत बाबा फ़रीद* ने उस ख़त को पढ़कर उसका जवाब लिख दिया और फ़रमाया मेरे साबिर ने बहुत सब्र किया और जवाब में क़ाज़ी को समझाया कि *साबिर-ए-पाक आले नबी औलादे अली है* । *हज़रत बाबा फ़रीद* ने कहा कि बर्खुद्दार *अल्लाह तआला* के हुक़्म से यह विलायत तेरी है और इसका इख़्तियार तेरे हाथ में है जैसा समझा करो।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.27)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣1⃣*
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*💞साबिर पाक को जादूगर बताना💞*
*🌺👉🏿 यह करामात देखकर रईसे-कलियर ने बे-साख्ता कहा कि तुम वाकई जादूगर हो । वह चाहता था कि आपके हाथ पर बैअत करे। मगर मक्कार क़ाज़ी ने रईसे कलियर* को किसी तरह से बहका कर यह समझा दिया कि यह सब जादू के असर से हुआ हैं।
*🌸👉🏿कहा कि आप तो जादूगर है आपने जादू के असर से यह सब किया हैं । मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि* ने मुस्करा कर फ़रमाया कि अल्हम्दुलिल्लाह *रसूलुल्लाह की सुन्नत* अदा हुई ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.27)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣2⃣*
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*🌹कलियर की जामा मस्जिद को सज्दा करना🌹*
*🌺हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि जुमे की नमाज़ पढ़ने के लिए जामा मस्जिद गए और वहाँ पहली सफ में तशरीफ फ़रमा हो गए और कुछ देर बाद जब उल्माए ज़ाहिर की जमाअत जामा मस्जिद* में पहुंची तो उन्होंने पहली सफ को घेरा हुआ पाया । वहां के रईसों ने आपके खादिमो को निहायत हिकारत आमेज़ लहजे में कहा तुम इस जगह के क़ाबिल नहीं हो ।
*🕌👉यहां से उठो और पीछे की सफ में बेठो । आपके ख़ादिमों ने कहा की हम जब यहां आये थे तो यह जगह खाली थी । हम पहले आये थे इसलिए यहां बैठ गए ।* जब क़ाज़ी तबारक और वहाँ के रईस ने यह सुना तो गुस्से में आग बबूला हो गया और बोला कि यह जगह हमारी है, चाहे कोई पहले आये या बाद में , यहां पर कोई नहीं बैठ सकता ।
*🌷👉जब बात बढ़ने लगी और मस्जिद में शोर होने लगा तो हज़रत मख़दूम साबिर पाक ने फ़रमाया कि मै यहां का साहिबे विलायत हूँ ।* वहां के लोगों ने कहा कि आपकी विलायत का क्या सुबूत है । इस पर *हज़रत मख़दूम साबिर पाक* को जलाल आ गया और आपने फ़रमाया कि
*🌻👉मेरी विलायत का सुबूत यह है कि तुम सब मर जाओगे और अहले शहर में से कोई ज़िंदा नही बच सकेगा और एक अरसे तक यह शहर आबाद नही होगा । यह कहकर आप अपने सभी खादिमो के साथ बाहर तशरीफ लाए और मस्जिद को सज्दा करने का हुक़्म दिया ।* आपकी ज़बान से इन अलफ़ाज़ का निकलना था कि *मस्जिद फ़ौरन शहीद हो गई* और तमाम लोग जो मस्जिद के अंदर थे दब कर मर गए ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.27)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣3⃣*
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*💎जामा मस्जिद से गुलज़ारी का लड़का ज़िंदा निकला💎*
*🌺गुलज़ारी ने जब यह वाक़िआ सुना तो वह दौड़ती हुई आई और आपके पैरो में गिर गई और हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि से अर्ज़ करने लगी , हुज़ूर मेरा बेटा बहाउद्दीन*भी नमाज़ पढ़ने आया था तो आपने फ़रमाया कि तू फ़िक्र न कर जा आखिरी सीढ़ी के निचे जाकर निकाल ले।
उसने कहा हुज़ूर मुझसे सीढ़ी किस तरह हट सकेगी तब
*🌹हज़रत मख़दूम साबिर पाक ने अलीमुल्लाह अब्दाल की और ईशारा किया* कि तुम जाकर निकाल दो । उन्होंने जाकर सीढ़ी को उठाया तो उसके निचे से *शैख़ बहाउद्दीन ठीक ठाक निकल आये ।* उनको गुलज़ारी के हवाले करके आपने इर्शाद फ़रमाया कि देखो में तुमको खबरदार करता हूँ कि 12 बजे तक मुझे ख़ास अब्दियत हासिल है तुम तुरंत शहर से 12 कोस दूर पर चले जाओ , यहाँ पर अब अल्लाह का अज़ाब आएगा और 12 कोस के अंदर किसी को भी पनाह नहीं मिल सकेगी ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.28)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣4⃣*
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*💞अलीमुल्लाह अब्दाल का पाक पट्टन पहुंचना💞*
*🌹इसके बाद आपने मस्जिद के शहीद होने की खबर अलीमुल्लाह अब्दाल* को एक ख़त में लिखकर *हज़रत बाबा फ़रीद* को भेजी और सारा हाल भी बताया । इर्शाद फ़रमाया जब वापस आओ तो मेरा नाम लेते रहना , मेरे सामने मत आना वर्ना जलकर राख़ हो जाओगे । बस मेरी पीठ की तरफ रहना और जो में कहूँ वहीँ करना और इसके अलावा हरगिज़ कुछ मत करना । यह सुनकर *अलीमुल्लाह अब्दाल पाक पट्टन* की ओर रवाना हो गए ।
*🌺जब अलीमुल्लाह अब्दाल बाबा फ़रीद के पास पाक पट्टन पहुंचे तो वहाँ बहुत से बुज़ुर्ग बेठे थे और बाबा फ़रीद से कह रहे थे की हमारा दिल बहुत घबरा रहा है । और अगर हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि* का नाम लेते है या उनका ज़िक्र करते है तो दिल को चैन आ जाता है वरना दिल घबराया जा रहा है । अलीमुल्लाह अब्दाल ने *साबिर पाक का ख़त बाबा फरीद को दिया* और सारा हाल भी बताया ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.29)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣5⃣*
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*💎अलीमुल्लाह अब्दाल का पाक पट्टन से कलियर आना💎*
*💐अलीमुल्लाह अब्दाल* पाक पट्टन से कलियर वापस आये तो *मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि* के नाम को बुलंद आवाज़ से पढ़ते आये और आपकी पीठ के पीछे खड़े रहे । *कलियर शरीफ* से जब आपके अकीदतमंद 12 कोस दूर चले गए तो *मख़दूम साबिर पाक का जलाल* बढ़ता चला गया।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.29)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣6⃣*
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*💖कलियर शरीफ़ को जलाकर राख कर देना💖*
*🍇हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि ने आँखे बन्द की और कुछ पढ़ा और फिर आँखे खोलकर ज़मीन की तरफ देखा तो ज़मीन से आग के शोले निकलने लगे और 12 कोस* तक आग ही आग हो गयी । आग के शोले आसमान को छूने लगे । जिस जगह आपकी निगाह पड़ती आग के शोले निकलने लगते और सब कुछ जलकर राख हो जाता । चारो तरफ बस आग ही आग थी।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.29,30)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣7⃣*
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*💖हज़रत बाबा फ़रीद का पर्दा फरमाना💖*
*🌺हज़रत बाबा फ़रीद रहमतुल्लाह अलैहि का कोई क्या मक़ाम लिख सकता है आप माँ के पेट से वली है, लाखो अल्लाह के वलियों में से किसी को वह ख़ास मुक़ाम हासिल होता था ।* आपकी तारीफ़ सारी जिंदगी भर भी की जाए तो आपकी तारीफ़ पूरी न होगी ।
*🌷👉जिसके मुरीद हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि कलियरी और हज़रत निजामुद्दीन महबूबे इलाही* जैसे हो तो उनके पीर कैसे होंगे । आपने अपनी ज़िन्दगी में बिना अल्लाह की मर्ज़ी के कोई काम नहीं किया ।
*☝जो खुदा का हुक़्म आपको होता बस आप वही काम करते । आप अपनी किताब सिर्र्ल्ल-अबुदियत में फरमाते है कि इस फ़कीर से 27000 जिन्नात -जिन्न इंसान खुल्फा और अकताब हुए है। हज़रत बाबा फ़रीद रहमतुल्लाह अलैहि का इंतकाल सन् 1266 ई. (664 हिज़री) को हुआ ।* आपने अपने इंतिक़ाल से पहले कुछ वसीयत की और फ़रमाया कि आज मेरा वक़्त पूरा हो गया। फिर आपने मग़रिब की नमाज़ पढ़ी और आपको इस्तगराक हो गया और इस्तगराक की ही हालत में दुनिया से पर्दा कर अल्लाह से जा मिले ।
*💐जब साबिर पाक को इस बात का पता चला तो आपको बहुत दुःख हुआ और कहा की *मेरे बाबा फ़रीद को फ़ना और बका दोनों चीजें हासिल थी । शम्सुद्दीन ने पूछा , हुज़ूर फ़ना क्या है और बक़ा क्या है ? आपने फ़रमाया : शम्सुद्दीन वक़्त आने पर बताऊंगा ।*
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.30)*
*Shaan-e-Sabir post no.3⃣8⃣*
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*💖ek baarat ko pyale me kaid karna💖*
*💐👉Ek baar ek baaraat Kaliyar sharif* ke paas se guzar rahi thi baaraat me dhol taashe aur gaane bhi baj rhe the . Jab us dhol taasho aur gaano ki aawaje *hazrat makhdoom sabir e paak rehmatullah Alaihi* ke kaano me pahunchi to aapne aankhe kholkar farmaaya , yah hamari ibadat me khalal daalne kahaa se aa gaye .
*💐Shamsuddin yah aawaj kesi hai. Shamsuddin ne kahaa huzoor koi baaraat jaa rahi hai* yah uski Aawaj hai .Aapne farmaya *Shamsuddin jo pyala* tumhaare paas rakha hai baaraat ka dhyaan karke pyale ko ulta kardo. Shamsuddin ne jese hi pyala ulta kiya ,baratiyo ko chaaro taraf pahaad hi pahaad dikhne lage aur baratiyo ko raasta nahi mila . Barati pareshan hokar wahi thehar gye . Kuch log barat se aage nikal chuke the wah bahut pareshan the . Ki ab tak barat kyu nahi aayi . Jab weh bahut pareshan ho gye to dehli me
*🌸👉Hazrat nizamuddin mehboob E Elaahi ki sewa me jaakar kaha , Huzoor 4 roz se hmaari barat laapta hai . Hazrat Nizamuddin mehboob E Elaahi* ne Farmaya ki kal tumhari barat pahunch jaayegi . Aapne ek khat likhkar *Muhammad Afzal abdal* ke hath Kaliyar sharif *Hazrat makhdoom sabir paak* ke paas bheja .
Khat me likha tha Hazrat in logo ki galti ko muaaf kar do , inse bhool se khataa ho gyi hai .
*🍃Sabir e paak ne* khat padhkar Shamsuddin se kaha pyala seedha kar do. Seedha karte hi pahaad hat gye aur baratiyo ka raasta mil gya . Muhammad afzal abdal ne baratiyo se jakar kaha ki raaste me bilkul gaana bjaana mat karna . *NIZAMUDDIN MEHBOOBE E LAAHI* ki wajah se tumhari galti muaaf hui hai aur tumhe Raasta mila hai.
*(📚karaamat or daastan shane sabir page no.30)*
*शाने साबिर पोस्ट न.3⃣9⃣*
*_______________________________*
*💖कलियर शरीफ़ में 12 कोस तक आग ही आग💖*
*💐कई दिन तक इसका सिलसिला चलता रहा और सारा कलियर शहर जल भूनकर राख का ढेर हो गया । केवल वही चार चीजे बाकी रही । आग लगे 4 दिन गुजर गए मगर जमीन तनूर की तरह गर्म थी । किसी में इतना साहस न था की 12 कोस के अंदर कदम उठा सके । इसी दोरान हज़रत बाबा के भेजे हुए खुल्फा आपकी खेरियत मालूम करने पहुंचे , मगर आग की तपिश के कारण कोई आगे कदम न बड़ा सका , कभी *हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि* गूलर के पेड़ के निचे खड़े होते और कभी *इमाम* की जगह पहुंच जाते । मगर जिस वक़्त आंख खोलते और जलाली निगाह ज़मीन पर पड़ती तो शोले उठना शुरू हो जाते ।
*🍃अलीमुल्लाह अब्दाल* सबको लेकर आ गए। आपकी जुबान पर वही कलिमात या हू *या हू या मन लैसा ल हुवा इल्ला हु* जारी थे और किसी वक़्त जज़्ब की तेज़ी में ला ,ला , ला भी निकल जाता । *अली मुल्लाह अब्दाल* ने पीछे से कहा सब लोग आपकी खेरियत मालूम करने आये है । आपने जवाब में फ़रमाया : *अल्हम्दुलिल्लाह या हक़* और सब लोग आपकी बातिनी कैफ़ियत से खुश हो गए । इसके बाद अली मुल्ल्लाह अब्दाल उन सबको पीछे की तरफ से ले जाकर आग की हद से बाहर छोड़ आये।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.31,32)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣0⃣*
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*💎आपका 12 साल गूलर की टहनी पकडे खड़े रहना💎*
*🌹हज़रत मख़दूम साबिर रहमतुल्लाह अलैहि गूलर के पेड़ की एक टहनी पकड कर खड़े हो गए और आपको ऐसा इस्तगराक हो गया* की आप लगभग 12 साल तक गूलर की टहनी पकडे खड़े रहे ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.32)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣1⃣*
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*💖हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन को बुज़ुर्ग की तलाश 💖*
*🌼हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन अच्छे बुज़ुर्ग की तलाश में थे । उस वक़्त हिंदुस्तान* में बहुत बुज़ुर्ग थे जो सूरज की तरह चमक रहे थे आप बुज़ुर्ग की तलाश में हिन्दुस्तान आये और घूमते घूमते 628 हिजरी में पाक पट्टन पहुंचे और *बाबा फ़रीद* से दुआ की कि हुज़ूर हमें अपनी गुलामी में ले लो । *हज़रत बाबा फ़रीद ने फ़रमाया* की कोई ऐसा आदमी है जो *मेरे साबिर को बिठा दे ,* आज 12 साल हो गए उनको खड़े हुए ।
*🔮ख्वाजा शम्सुद्दीन खड़े हो गए और कहा हुज़ूर जो आदमी साबिर* को बिठा देगा , उसको क्या मिलेगा। हज़रत *बाबा फ़रीद रहमतुल्लाह अलैहि* ने फ़रमाया की हम साबिर को ही उसको दे देगे । यह सुनकर शमसुद्दीन की रज़ा मंदी पर *हज़रत बाबा फ़रीद* ने आपको अपने पास बुलाकर फ़रमाया कि खबरदार *हज़रत मख़दूम साबिर पाक* के सामने न आ जाना बल्कि उनकी पुश्त की ओर से उनके पास जाना और उनकी खिदमत में रहकर उन्हें बिठाने की कोशिश करना । *अल्लाह* तुम्हारी मदद करेगा और बेटा कलियर शरीफ जाते वक़्त *साबिर पाक का नाम* पढते रहना ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.32)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣2⃣*
*_______________________________*
*💞हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन का पाक पट्टन से कलियर शरीफ आना💞*
*🌹आप वहाँ से 29 रोज में कलियर शरीफ* पहुंचे । *कलियर शरीफ* से 12 कोस की दूरी पर उन्हें अली मुल्लाह अब्दाल मिले । *हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन* ने सारा हाल अली मुल्ला अब्दाल को बताया ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.33)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣3⃣*
*_______________________________*
*🍁हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन का क़ुरआन पाक की तिलावत करना🍁*
*🌸👉अली मुल्लाह अब्दाल उन्हें अपने साथ लेकर साबिर पाक के* पास पहुंचे । साबिर पाक के करीब पहुंच कर आपने ऊँची आवाज से *”कुरआन शरीफ”* की तिलावत करना शुरू कर दी । और पुश्त की ओर खड़े होकर *अल्लाह का कलाम* पढ़ते रहे । आपके कुरआन शरीफ पढ़ने का अंदाज बहुत *सुहाना और दर्*द भरा था जिसे सुनकर
*🌹👉हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि ने अपनी आँखे खोल दी और फ़रमाया : पुश्त की और अल्लाह का कलाम पढ़ना ठीक नहीं है , सामने से आकर पढ़ो ।* हज़रत शम्सुद्दीन कुछ आगे आकर बाए हाथ के पास खड़े होकर क़ुरआन शरीफ की तिलावत करते रहे । फिर अचानक रुक गए ।
*💎साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि ने फ़रमाया की रुक क्यों गए शम्सुद्दीन और पढ़ो । इस पर शम्सुद्दीन ने अर्ज़ किया की हज़रत खड़े खड़े थक गया* अब खड़े होकर पढ़ने की हिम्मत नहीं है । हज़रत शम्सुद्दीन का यह जवाब सुनकर आपने फ़रमाया : अच्छा बैठ जाओ , बैठकर पढ़ो ।
*🌻इस पर हज़रत शम्सुद्दीन ने जवाब दिया , हुज़ूर ऐसा कैसे हो सकता है कि हुज़ूर खड़े रहे और गुलाम बैठ जाए।*
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.33)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣4⃣*
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*💖हज़रत मखदूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैह का 12 साल बाद बैठना💖*
*🌺अल्लाह का कलाम सुनने के शौक़ में हज़रत मखदूम साबिर पाक* ने बैठने का इरादा किया, लेकिन बैठते कैसे हाथ पांव सुन्न हो गए थे।
*🌸हज़रत शम्सुद्दीन* ने सहारा देकर इसी गूलर के तने से लगा कर आपको बेठा दिया और फिर क़ुरआन शरीफ की तिलावत करना शुरू कर दिया।
*🍃इसके कुछ देर तक फिर हज़रत शम्सुद्दीन* पढ़ते-पढ़ते रुक गए तो *हज़रत मखदूम साबीर पाक* ने पूछा अब फिर क्यों तिलावत बंद कर दी।
*तो हज़रत शम्सुद्दीन* ने कहा मेरा इरादा पाक पट्टन जाने का हैं अगर हुज़ूर मुस्तकिल तौर पर इस गुलाम को अपनी खुदमत का शर्फ आता फरमाये तो यही कयाम करूँ!
*💝हज़रत मखदूम साबिर पाक* ने फ़रमाया तुमको मेरे पीर ने भेजा हैं। शम्सुद्दीन ने कहा जैसा हुज़ूर को मालूम हैं।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.33,34)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣5⃣*
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*🌺हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन को साबिर पाक का बैअत होना🌺*
*🌹हज़रत मखदूम साबिर पाक ने ख़्वाजा शम्सुद्दीन के सर पर हाथ रखा फरमाया कि तुम मेरे बेटे हो।* इसके बाद साबिर पाक ने उनको मुरीद किया और बाकायदा चिश्तिया सिलसिले में शरीक हो गए।
*💐👉आपकी तिलावत का सिलसिला जारी ही रहा कि मग़रिब की नमाज़ का वक़्त आ गया तो आपने हज़रत मखदूम साबिर पाक* से अर्ज़ किया कि हज़रत भूख लगी हैं।
तो आपने इर्शाद फ़रमाया इस गूलर की गूलारियां तोड़कर उबाल लो और खा लो। हज़रत शम्सुद्दीन ने गूलारियां तोड़कर उबाल ली और मगरिब की नमाज़ से पहले साबिर पाक के सामने पेश की।
*🌻👉आपने खाने से इंकार कर दिया। इस पर शम्सुद्दीन ने कहाँ यह कैसे मुमकिन हैं की हुज़ूर नही खाये और मैं खाऊँ, तो हज़रत मखदूम साबिर पाक* ने भी यह गूलारियां खायी। फिर हज़रत शम्सुद्दीन ने आपको वुज़ू कराया और पीर-मुरीद दोनों ने मग़रिब की नमाज़ अदा की।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.34)*
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*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣6⃣*
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*💎हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन को साबिर पाक की नसीहत💎*
*🌷👉हज़रत मख़दूम साबिर पाक ने शम्सुद्दीन को हिदायत दी की बेटे रात के वक़्त मेरे पास मत आना , तुम्हे सुबह आने की इजाज़त है । हज़रत शम्सुद्दीन* ने दूर जाकर रात बसर की और तहज्जुद के वक़्त साबिर के पास आते और तीन बार आपके कान में सलात कहते तो उनको होश आ जाता ।
*💐👉साबिर पाक को वज़ू कराते और और फिर वे तहज्जुद व फ़ज्र की नमाज* के बाद ख़ुदा की याद में डूब जाते और कभी कभी गूलर की टहनी पकड़कर खड़े हो जाते।
*🌸👉हज़रत शम्सुद्दीन उनको जब याद दिलाते की नमाज का वक़्त हो गया तो हज़रत साबिर पाक* को नमाज अदा कराते । कुछ वक़्त बाद हज़रत शमसुद्दीन ने एक झोपडी बनाई जिसमे वह अपने पीर के साथ रहने लगे । हज़रत मख़दूम साबिर पाक का रोज़ का मामूल था की दिन में हर दिन रोजा रखते थे ।
*🌼👉इफ्तार के वक़्त जब हज़रत शम्सुद्दीन गूलरिया आपके सामने पेश करते तो कभी-कभी आलमे-इस्तगराक में फ़रमाते कि खुदा खाने और पीने से पाक है ।* फिर जब कुछ होश आता तो फ़रमाते हां, लाओ खुदा खुदा ही है और बन्दा बन्दा ही है। बन्दा खाता है ख़ुदा इससे पाक है । हज़रत शम्सुद्दीन के अलावा और कोई बनी आदम में से हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि के सामने हाज़िर नही रहता था।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.34,35)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣7⃣*
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*🌷हज़रत ख़्वाजा शम्सुद्दीन का अँधा होना🌷*
*🍁हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि के मुँह से जो भी कालिमा निकलता था वह फ़ौरन पूरा हो जाता था ।* हज़रत शम्सुद्दीन कहते है की मै दिन में कई बार अंधा होता था और कई बार लंगड़ा होता था और फिर बाद में ठीक हो जाता था । साबिर पाक गुस्से में होते तो कहते कि शम्सुद्दीन क्या तुम अंधे हो गए हो तो में अँधा हो जाता था फिर आवाज देते की शम्सुद्दीन यहाँ आओ तो में कहता की हुज़ूर मुझे तो कुछ दिखाई नही देता । तब साबिर पाक फ़रमाते की मेरा शम्सुद्दीन अँधा कैसे हो गया । उसी वक़्त मेरी आँखे ठीक हो जाती ।
*🌴हज़रत मख़दूम साबिर पाक चाहते नही थे की ऐसा हो , लेकिन अगर आपके मुँह से कोई कालिमा निकल जाता तो फ़ौरन वैसा ही हो जाता ।* ख़्वाजा शम्सुद्दीन कहते है की साबिर पाक के मुँह से जो भी कालिमा निकलता उनसे मुझे ऐसी ताज़गी मिलती कि मुझे भूख प्यास नही लगती थी और न किसी मौसम का असर होता था ।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.35)*
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*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣8⃣*
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*🌺हांडी में नमक डालना🌺*
*🌷👉बयान किया जाता है की जब कोई दिल्ली से आपकी खिदमत* में आने का इरादा करता तो आपको पहले ही मालूम हो जाता था । आप शम्सुद्दीन से फ़रमा देते थे कि दिल्ली वाला आ रहा है हांडी में नमक डाल देना । एक बार का ज़िक्र है की *हज़रत सुल्तानुल मशाइख* का कोई मुरीद आपकी खिदमत में हाज़िर हुआ।
*🌸👉सलाम के बाद सुल्तानुल मशाइख का पैगाम दिया* फिर आपसे मालूम लगा की हुज़ूर के कितने मुरीद है। आपने फ़रमाया केवल एक , फिर आपने इस मुरीद से पूछा तुम्हारे मुर्शिद के कितने मुरीद है। तो उस मुरीद ने जवाब में बताया की जितने आसमान पर सितारे है। यह जवाब सुनकर *हज़रत मख़दूम साबिर पाक रहमतुल्लाह अलैहि मुस्कराए* और फरमाने लगे की हमारा शम्स औलिया में मिसाले आफ़ताब है।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.36)*
*शाने साबिर पोस्ट न.4⃣9⃣*
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*💝हज़रत अमीर खुसरु का वाकिया💝*
*🌸👉रिवायत हैं की एक बार हज़रत सुल्तानुल मशाइख हज़रत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के खास ख़लीफ़ा हज़रत अमीर खुसरु हज़रत मखदूम साबिर पाक का नियाज़ हासील करने के* लिए कलियर शरीफ तशरीफ़ लाये और अपना कलाम
*🌷👉हज़रत मखदूम (रहo) को सुनाया। आप उनका कलाम सुनकर उनसे* बहुत ख़ुलूस व मोहब्बत के साथ पेश आये। जब हज़रत अमीर खुसरु अपने मुर्शिद की खिदमत में वापस पहुँचे तो सुल्तानुल मशाइख ने आपकी खैरियत पूछी और उनके बाद फ़रमाया,
*_💝किया तूने बिरादर बुज़ुर्ग को देखा?_*
*🌻👉तो अमीर खुसरु ने कहा हूँ। हुज़ूर मैने उनको देखा हैं यह सुनकर हज़रत सुल्तानुल मशाइख* ने उनकी आँखे चूम ली जिसने उन्होंने हज़रत मखदूम साबिर को देखा था।
*_💖फिर पूछा किया तूने मेरे भाई से मुसफह किया था?_*
*☘👉इस पर भी अमीर खुसरु ने जवाब दिया की हाँ, तो हज़रत सुल्तानुल मशाइख ने हज़रत अमीर खुसरु के हाथ चूम लिए क्योंकि उन्हीं आँखों से आपको हज़रत मखदूम साबिर पाक (रहo)* का दीदार नसीब हुआ था और मुसाफह किया था।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.36)*
*शाने साबिर पोस्ट न.5⃣0⃣*
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*🌷हज़रत बाबा फ़रीद के हसन कव्वाल का कलियर शरीफ आना🌷*
*💝👉एक बार हसन कव्वाल जो की हज़रत बाबा फरीद का कव्वाल था उसने हज़रत बाबा फरीद से कहा की हुज़ूर आपके खुलफ़ाओ को देखने के लिए जी चाहता* हैं और आपसे इज़ाज़त लेकर दिल्ली पहुँचा । यहाँ हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया से मुलाक़ात हुई। *हज़रत निजामुद्दीन मेहबूब-इलाही* ने कव्वाल की खातिर की और चलते वक़्त बहुत ज्यादा इनाम खुद भी दिया और अपने सारे मुरीदों से भी इनाम दिलवाया। कव्वाल वहाँ से खुश होकर कव्वाली गाते हुए चल दिए और कलियर की राह ली और सोचता हुआ जा रहा था की यहाँ से जब इतना मिला तो वहां से कितना मिलेगा।
_*⚠नोट*_ _इस वक़्य की आधी पोस्ट इन्शाअल्लाह कल आयेगी_
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.37)*
*शाने साबिर पोस्ट न.5⃣1⃣*
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*💝हज़रत बाबा फ़रीद के हसन कव्वाल का कलियर शरीफ आना💝*
*_🌸क्योंकि हज़रत साबिर पाक तो दामाद भी हैं भांजे भी और खलीफा आजम भी। जब हसन कलियर शरीफ पहुँचा तो देखा।_*
कि चारों तरफ वीरानी ही वीरानी हैं और हज़रत साबिर पाक(रह०) एक गूलर की टहनी पकडे हुए खड़े हैं।
*_🌹हज़रत ख्वाजा शम्सुद्दीन तुर्क पानीपत_*
ने इन लोगो से हाल मालूम किया और जब पता चला की ये हज़रत बाबा के कव्वाल हैं तो फरमाया की ठहरो जिस वक़्त आपकी हालात ठीक होगी पेश कर दूंगा।
दो दिन इसी इंतज़ार में गुज़र गए। यहां जंगल में खाने के लिए कुछ न था केवल कच्चे गूलर थे जो *_ख्वाजा शम्सुद्दीन ने इनको भी खाने को दिए । कव्वाल बहुत परेशान थे,_*
_*🌺यहाँ आ कर फंस गए।*_
*☘👉गूलर इनके हलक से कब उतरते क्योंकि ये लोग तो तर निवाला खाने वाले थे और हज़रत सुल्तान औलिया शैख़ निजामुद्दीन मेहबूबे* इलाही के यहां की दावते उठाये हुए थे।
यहां इसके बिलकुल उल्टा था।
_*⚠नोट*_ इस वक़्य की अगली पोस्ट कल
*शाने साबिर पोस्ट न.5⃣2⃣*
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*🥀हज़रत बाबा फ़रीद के हसन कव्वाल का कलियर शरीफ आना🥀*
*_🌻👉इस्तगराक़ से बाहर आये तो ख्वाजा शम्सुद्दीन ने कहा हुज़ूर पाक पट्टन से हसन कव्वाल आया हैं । साबिर पाक_* ने अपनी आँखे खोलकर
*👉फ़रमाया कौन हसन कव्वाल ?*
हसन कव्वाल ने कहा बाबा फरीद का कव्वाल।
*👉साबिर पाक ने फ़रमाया कोन फरीद ?*
*🌸👉हसन कव्वाल ने कहा अपने पीर बाबा फरीद। इस पर हज़रत साबिर पाक ने फ़रमाया किया हमारे शैख़ अच्छे हैं? यह कहकर साबिर पाक* को फिर इस्तगराक हो गया। ख्वाजा शम्सुद्दीन ने हसन कव्वाल की खातिर यानि गूलर में नमक डाल कर खिलाये। अब हसन कव्वाल परेशान कि यहाँ से जाऊ तो कैसे।
*💐👉साबिर पाक तो इस्तगराक़ में हैं बिना पूछे जाऊ तो मुसीबत न जाऊ तो मुसीबत । इसी हलात में 3 दिन और गुज़र गए तो हज़रत साबिर पाक को होश* आया।ख्वाजा शम्सुद्दीन ने कहा हुज़ूर यह हसन कव्वाल जा रहा हैं। हज़रत साबिर पाक (रह०) ने अपने पास से 3 गुलरिया उठाई और हसन कव्वाल को दी और कहा खुद हाफिज।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.37,38)*
*शाने साबिर पोस्ट न.5⃣3⃣*
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*💐हसन कव्वाल को कलियर शरीफ से पाक पट्टन जाना💐*
*_🌷👉हसन कव्वाल यहाँ से पाक पट्टन के लिए चल दिये। हसन कव्वाल को यह सब नागवार सा लगा। गूलर को हिफाज़त से रख लिए कि बाबा फरीद_*को दिखाऊंगा की तुम्हारे लाडले भांजे ने यह दिए हैं ।
*💝👉जब बाबा फरीद की खिदमत में हाज़िर हुआ तो हसन हसन कव्वाल ने सारा वकीआ सुनाया।* आपने मालूम किया कि कहो हमारा भाई निजामुद्दीन अच्छा हैं।
*🌸👉क़व्वालो ने आपकी तारीफ की , हुज़ूर वे बहुत ऊँचे बुज़ुर्ग हैं। लोग टूट पड़ते हैं। दिल्ली का बादशाह व उसके रईस व उमरा भी उसके मुरीद ह*ैं और हमारी उन्होंने बड़ी अच्छी खातिर की और बड़ा भरी इनाम भी दिया।
हसन कव्वाल ने कहा अजी मैं उम्मीदे लेकर वहां गया था, लेकिन वहाँ तो कुछ भी नही हैं।
*वहां न आदमी न आदमज़ाद । बयावान जंगल हैं बस एक गूलर* का पेड़ खड़ा हुआ हैं बस उसकी टहनी पकड़े खड़े हुए थे। वह बहुत जलाली से हैं ।
*👉बोले तक नही।*
*🌺👉सरकार बाबा फरीद ने फ़रमाया हज़रत मखदूम साबिर पाक ने हमारे लिए भी कुछ कहाँ।*
*🌷👉हसन क़वाल ने अर्ज़ किया हज़रत उन्होंने तो आपको पहचाना तक नही। मेने कहाँ कि मैं बाबा फरीद का क़व्वाल हूँ तो* कहने लगे कोन बाबा फरीद । जब मेने कहा तुम्हारे पीर बाबा फरीद । इस पर कहाँ की अच्छा क्या हमारे पीर बाबा फरीद अच्छे हैं।
*(📚करामात और दास्तान शाने साबिर पेज न.38)*
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